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लॉकडाउन: 20 दिनों बाद खुली शराब की दुकानें, लंबी कतारें भी हौसला नहीं डिगा सकी शराब के शौकीनों का

असम की सरकार ने शराब की सभी दुकानें, गोदाम, बॉटलिंग संयंत्रों, डिस्टिलरी और ब्रेवरीज को सुबह दस बजे से शाम पांच बजे तक रोज खोलने की अनुमति दे दी है ताकि शराब के शौकीन अपनी प्यास बुझा सकें और राज्य सरकार राजस्व प्राप्त कर सके

12:50 AM Apr 14, 2020 IST | Desk Team

असम की सरकार ने शराब की सभी दुकानें, गोदाम, बॉटलिंग संयंत्रों, डिस्टिलरी और ब्रेवरीज को सुबह दस बजे से शाम पांच बजे तक रोज खोलने की अनुमति दे दी है ताकि शराब के शौकीन अपनी प्यास बुझा सकें और राज्य सरकार राजस्व प्राप्त कर सके

लॉकडाउन  20 दिनों बाद खुली शराब की दुकानें  लंबी कतारें भी हौसला नहीं डिगा सकी शराब के शौकीनों का
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कोविड-19 के चलते लॉकडाउन के कारण देश पूरी तरह से बंद है। जिसके चलते लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इस बीच, असम में लॉकडाउन के बीच 20 दिनों बाद जब शराब की दुकानें खुली तो लोगों में इसे हासिल करने के लिए धक्का-मुक्की और लड़ाई होने लगी। वहीं कुछ युवतियों ने महिलाओं के लिए अलग कतार की मांग करते हुए हंगामा भी किया। लंबी कतारों में लगे लोगों ने शराब लेने के लिए कई स्थानों पर धैर्य भी दिखाया और अपनी बारी के इंतजार में घंटों कतार में खड़े रहे। दुकानदारों ने सामाजिक दूरी बनाए रखने के लिए दुकानों के बाहर सर्किल या बॉक्स बना रखे थे।
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असम की सरकार ने शराब की सभी दुकानें, गोदाम, बॉटलिंग संयंत्रों, डिस्टिलरी और ब्रेवरीज को सुबह दस बजे से शाम पांच बजे तक रोज खोलने की अनुमति दे दी है ताकि शराब के शौकीन अपनी प्यास बुझा सकें और राज्य सरकार राजस्व प्राप्त कर सके। कई स्थानों पर पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था ताकि सामाजिक दूरी के नियमों का कड़ाई से पालन हो सके। शराब की दुकान के एक कर्मचारी ने बताया कि लॉकडाउन से पहले जो व्यक्ति शराब की एक बोतल खरीदता था उसने फिर से बंद की आशंका के मद्देनजर पांच बोतल खरीदी।
गुवाहाटी में मनोज शर्मा बताते हैं, ‘‘मैं दोपहर दो बजे एक क्वार्टर खरीदने आया था लेकिन मैं जो खरीद सकता था उस ब्रांड का स्टॉक नहीं था। मेरी छोटी नौकरी है इसलिए मैं बड़े ब्रांड की शराब नहीं पी सकता।’’क्योंझर में कतार में खड़े रॉबिन बोरो ने कहा कि यहां खड़े-खड़े दो घंटे से अधिक समय बीत गए और लगता है अभी कुछ घंटे और लगेंगे। राज्य की राजधानी में एक इंजीनियरिंग संस्थान के पूर्व प्रोफेसर ने कहा कि वह माइक्रोबेवरी में घर में ही चावल की बीयर बना रहे थे, जिसे उन्होंने अपने तकनीकी कौशल से बनाया है। कतार में खड़ी एक युवती भीड़ और दुकानदार पर खीझ रही थी क्योंकि उसका धैर्य जवाब दे रहा था। उसने महिलाओं के लिए अलग कतार लगाए जाने की मांग की।
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