NASA के Perseverance रोवर ने मंगल पर पहली बार 21 फुट की दूरी तय की
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा की ओर से मंगल ग्रह पर भेजा गया परसेवरेंस रोवर ने अपने पहले प्रायोगिक मुहिम में 21 फुट की दूरी तय की।
10:56 AM Mar 06, 2021 IST | Desk Team
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा की ओर से मंगल ग्रह पर भेजा गया परसेवरेंस रोवर ने अपने पहले प्रायोगिक मुहिम में 21 फुट की दूरी तय की। मंगल ग्रह पर जीवन की संभावना तलाशने की मुहिम के तहत परसेवरेंस रोवर ग्रह की सतह पर उतरने के दो सप्ताह बाद अपने स्थान से कुछ दूर चला। रोवर शुक्रवार को आगे और पीछे चला। यह प्रक्रिया करीब 33 मिनट बेहद सुगमता से चली।
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कैलिफोर्निया के पासाडेना में नासा के जेट प्रणोदक प्रयोगशाला ने एक संवाददाता सम्म्मेलन में इस घटना की तस्वीरें साझा कीं। नासा की जेट प्रोपल्शन लैब के रोवर मोबिलिटी टेस्ट बेड इंजीनियर अनास जराफियान ने कहा, रोवर के चलने और उसकपहियों के निशान देखकर मैं बहुत खुश हूं। उन्होंने कहा, अभियान में यह बहुत बड़ी उपलब्धि है। जितनी जल्दी परसेवरेंस पर सिस्टम का नियंत्रण पूरा होगा, रोवर एक प्राचीन नदी के डेल्टा के लिए आगे बढ़ेगा और धरती पर लौटने से पहले वहां से चट्टानें एकत्र करेगा।
इससे पहले परसेवरेंस का सॉफ्टवेयर अपडेट कर दिया गया। इसमें लैंडिंग के लिए लगे सॉफ्टवेयर को हटाकर मंगल पर एक्सपेरिमेंट में काम आने वाले सॉफ्टवेयर को इंस्टॉल किया गया। इसके अलावा इसके रेडार इमेजर फॉर मार्स सबसर्फेस एक्सपेरिमेंट (RIMFAX) और मार्स इन-सीटू रिसोर्स यूटिलाइजेशन एक्सपेरिमेंट (MOXIE) इंस्ट्रूमेंट को भी चेक किया गया। MOXIE मंगल पर ऑक्सिजन बनाने की कोशिश करेगा ताकि भविष्य में इंसानों को भेजे जाने की स्थिति में जरूरी टेक्नॉलजी को टेस्ट किया जा सके। इसके अलावा मार्स एन्वायरनमेंटल डायनैमिक्स अनैलाइजर (MEDA) के दो विंड सेंसर्स को काम पर लगा दिया गया।
इंजिनियर्स ने रोवर की 2 मीटर लंबी रोबॉटिक आर्म को भी दो घंटे तक अलग-अलग जॉइंट्स पर हिला-डुलाकर देखा। रोवर के डेप्युटी मिशन मैनेजर रॉबर्ट हॉग के मुताबिक साइंस टीम के काम में आने वाला यह सबसे अहम टूल है क्योंकि इसकी मदद से जेजीरो क्रेटर को जांचा जाएगा। वहां ड्रिल करके सैंपल इकट्ठा किए जाएंगे।
इसके लिए पहले रोवर में लगे 23 कैमरों की मदद से यह देखा जाएगा कि क्या कोई ऐसा सैंपल है जिसे कलेक्ट करके स्टडी करने से हमें कुछ मिल सकता है। अगर ऐसा सैंपल पाया जाएगा तो रोबॉटिक आर्म उसे कलेक्ट करेगी और फिर अपने कैशिंग सिस्टम में संभालकर रख देगी। भविष्य में जाने वाले मिशन इन सैंपल्स को स्टडी के लिए धरती पर वापस लेकर आएंगे।
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