Top NewsIndiaWorldOther StatesBusiness
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

कुदरत का कहर

04:30 AM Sep 07, 2025 IST | Kiran Chopra
पंजाब केसरी की डायरेक्टर व वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब की चेयरपर्सन श्रीमती किरण चोपड़ा

पिछले महीने अगस्त की अखबारी सुर्खियां डराती रही-
-उत्तराखंड में बादल फटे-दस गांव तबाह
-जम्मू-कश्मीर में बादल फटे- कई गांव तबाह, पचास लोग मारे गए
-हिमाचल के कुल्लू-मनाली, मंडी में बादल फटे
-पंजाब के सभी 23 जिलों में बाढ़ का पानी और 1400 से ज्यादा गांव डूबे
-दिल्ली में यमुना उफान पर, 207 मीटर का निशान पार कर गया नदी का जलस्तर और बन गया एक और रिकॉर्ड, दर्जनों कॉलोनियां जलमग्न तथा जनजीवन प्रभावित, लोग करने लगे इंद्र देवता से गुहार
-भारी बारिश के चलते समूचे गुरुग्राम दिल्ली-जयपुर हाईवे पर 20 किमी. जाम लग गया
-गुरुग्राम की दर्जनों हाई-फाई सोसाइटी जलमग्न
कुल मिलाकर आज कॉलम लिखे जाने तक यही स्थिति है। दिल्ली में जब हम देखते हैं कि जहां मृतकों का संस्कार किया जाता है वह निगम बोध घाट भी बाढ़ के पानी की चपेट में है। माता वैष्णो देवी यात्रा इतिहास में पहली बार पिछले 12 दिन से बंद है। सड़कों पर पानी-घरों में पानी, पार्कों में पानी, सैकड़ों ट्रेनें रद्द, दिल्ली एनसीआर, गुरुग्राम, नोएडा, गाजियाबाद और कई इलाकों में दर्जनों सड़कें बंद। कुदरत के इस कहर का ​किसी के पास जवाब नहीं है। पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, उत्तराखंड, दिल्ली में कुरदत का कहर बाढ़ के रूप में टूटा है जिसका सबको मिलकर सामना
करना होगा।
दिल्ली जैसी राजधानी में लोग जो यमुना के किनारे रहते थे वह अपने घरबार छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर चले गए हैं। यह बात सच है कि इस बार दिल्ली में सामान्य से 45 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है। कुदरत की इस रोद्र लीला और हम कब तक आंसु बहायेंगे।
इस समय बाढ़ लीला से बचाव के लिए मिलजुलकर काम करना चाहिए। पंजाब में दिलजीत दोसांझ, सोनू सूद और जिप्पी ग्रेवाल जैसी बड़ी-बड़ी हस्तियां साधारण मजूदरों की तरह पंजाब के बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत कार्यों में डटे नजर आए। सदा सुर्खियों में रहने वाले हमारे नेता और वे नेत्रियां अब अपने इलाकों में बाढ़ के दौरान कहां हैं, यह भी पूछा जा रहा है। जितनी तबाही पंजाब, उत्तराखंड या हिमाचल में हुई है, भगवान से प्रार्थना है कि लोग अपने-अपने घरों में सुरक्षित रहें। मानवता की सेवा में हमें एकजुट होकर आगे आना होगा।
हालांकि सरकार पंजाब, उत्तराखंड या हिमाचल या​ ​िफर दिल्ली की ही क्यों न हो, यहां तक कि केन्द्र सरकार भी बहुत कुछ कर रही है। कुरदत के ​इस कहर के आगे किसी का कोई जोर नहीं है। पंजाब ने जो बाढ़ झेली, कई जगह जानवर, बच्चे व बुजुर्ग बह गए लेकिन मानवता की खातिर एकजुट होकर सब इस अस्थायी चुनौती का सामना कर रहे हैं। घर बह गए व टूट गए। यदि हर कोई थोड़ा-थोड़ा योगदान भी दें तो वह बड़ा बन सकता है और दुख तथा कुदरती कहर बरपाने वाले ये बादल भी छंट जाएंगे। हम सब ठान लें और व्यक्तिगत तौर पर अपनी पाॅकेट से अपना योगदान दें तो हम इस आपदा पर जीत पा लेंगे। मदद के ​िलए हर किसी को आगे आना होगा। हमारी एकता ही कुदरत के इस कहर पर विजय पाएगी। कुरदती कहर के नुक्सान की भरपाई हम सब के योगदान से तब होगी जब इस कहर के बाद उन सबके घरबार नए सिरे से स्थापित हो जाएंगे। आओ मानवता के इस मिशन में आज और अभी से जुट जाएं, जिनके घरबार बारिश  में तबाह हो गए हैं। राजनीतिक स्तर पर राहत पैकेजों की मांग चल रही है। अगर चारधाम यात्रा उत्तराखंड में प्रभावित हुई  है तो असर वैष्णो देवी में भी देखा जा सकता है। जहां भारी लैंडस्लाइड के चलते अब 12 दिन बाद भी पवित्र यात्रा अभी दोबारा शुरू नहीं हो सकी है।
वायुसेना बहुत मदद कर रही है। यहां तक ​िक पंजाबी विशेषकर पंजाबी सरदार जो हर आपदा में लोगों की मदद के लिए आगे रहे हैं। जब उनकी मदद के बारे में सुनते हैं तो सिर उनके आगे नतमस्त हो जाता है। कैसे बोट में जाकर लोगों को बचा रहे हैं, कैसे लोगों को जरूरत का सामान पहुंचा रहे हैं। कहीं गर्भवती महिला को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जा रहा है, कैसे बुजुर्गों की मदद कर रहे हैं, सभी मदद कर रहे हैं, परन्तु सरदार भाइयों का मुकाबला नहीं। आओ सब एकजुट होकर मदद करें।

Advertisement
Advertisement
Next Article