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नवजोत सिद्धू : जब जनता ठोकने पर आ जाए

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09:33 AM Feb 18, 2019 IST | Desk Team

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बड़बोलेपन के चक्कर में पूर्व क्रिकेटर और पंजाब के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू इतने बुरे फंसे कि टी.वी. चैनल ने उन्हें अपने लोकप्रिय कार्यक्रम कपिल शर्मा शो से आऊट कर दिया। पुलवामा हमले में सीआरपीएफ के 40 जवानों की शहादत पर उनके बयानों ने देश के जनमानस को इस कद्र उद्वेलित कर दिया कि टी.वी. चैनल को यह कदम उठाना पड़ा। पंजाब की कैप्टन अमरिन्दर सिंह सरकार से तो टी.वी. चैनल ही समझदार रहा जिसने जनभावनाओं का सम्मान करते हुए सिद्धू को बाहर का रास्ता दिखा दिया। कांग्रेस हाईकमान तो हर बार की तरह सिद्धू के बयान को उनका व्यक्तिगत वक्तव्य बता कर पल्ला झाड़ने में लगी हुई है। कांग्रेस को अभी तक जनभावनाओं का अहसास ही नहीं हो पाया। सिद्धू बहुत अच्छे वक्ता हैं उन्हें मुहावरों से युक्त भाषण देने में महारत हासिल है। वह पंजाब की संस्कृति से भी जुड़े हुए हैं, लेकिन राष्ट्र कभी यह स्वीकार नहीं कर सकता कि वह भारत की बजाय पाकिस्तान के ब्रांड एम्बैसडर बनकर उसकी पैरवी करे। हर बात पर ठहाके लगाने वाले नवजोत सिंह सिद्धू की जनभावनाओं ने ऐसा ठोका कि टी.वी. चैनल ने सिद्धू वाणी काे रोकना पड़ा।

पुलवामा आतंकवादी हमले के बाद जब समूचा देश उबल रहा था तब नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा था कि गाली देने से कुछ नहीं होगा। पाकिस्तान से बात करनी होगी। समूचे पाकिस्तान को इन मुट्ठीभर दहशतगर्दों की बिना पर जिम्मेदार कैसे ठहराया जा सकता है। हालांकि उन्होंने आत्मघाती हमले की निन्दा की लेकिन उनके बयान से स्पष्ट है कि सिद्धू आतंकवाद को पाकिस्तान की स्टंट पालिसी नहीं मानते। उनकी नज़र में पािकस्तान पाक साफ है। पाक की तरफदारी वाले सिद्धू के इस बयान ने पहले से ही गुस्से में उबल रहे भारतीय जनमानस के लिए आग में घी डालने का काम किया। सोशल मीडिया पर वह इतने ट्रोल हुए और देशवासियों ने इतना जबरदस्त विरोध किया कि उन्होंने कपिल शर्मा के शो का बायकाट करने की धमकी दे दी।

कार्यक्रम की टीआरपी गिरने के खतरे से डरकर चैनल ने तुरंत कदम उठाया। हैरानी इस बात की है कि कांग्रेस को नवजोत सिंह सिद्धू की बयानबाजी से अपनी टीआरपी गिरने का कोई अहसास नहीं हुआ। पाकिस्तान और क्रिकेटर से सियासतदान बने इमरान खान के प्रेम में फंसकर नवजोत सिंह सिद्धू लगातार देश को अपमानित कर रहे हैं। वह लगातार देश की जनभावनाआें से खिलवाड़ भी कर रहे हैं। इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में जाकर जब वह पाकिस्तान के आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा से गले लगे थे तब भी देश में जमकर आक्रोश फैल गया था। सीमापार से हमारे सैनिकों को घात लगाकर मारने आैर लगातार सीजफायर का उल्लंघन करने के आरोपी बाजवा के साथ सिद्धू का दोस्ताना व्यवहार न केवल भारत सरकार के लिए बल्कि पंजाब की कांग्रेस सरकार के लिए भी शर्म का बायस बना।

करतारपुर गुरुद्वारे तक के कारिडोर के उद्घाटन का जब सवाल आया तो तब भी वह पंजाब की अमरिन्द्र सिंह सरकार की इच्छा के विपरीत पाकिस्तान गए और वहां जाकर पाक प्रधानमंत्री इमरान खान की प्रशंसा के जमकर कसीदे पढ़े। सिंह को समझना चाहिए कि वह पंजाब के मंत्री हैं और संवैधानिक पद पर हैं। इस पद पर रहकर वह टी.वी. चैनल जैसी अल्हड़ मस्ती पद की गरिमा और मर्यादा के खिलाफ है। जब भी कोई मंत्री विदेश जाता है तो उसका कुछ भी बोलना भारत का वक्तव्य माना जाएगा, क्योंकि उन्हें संवैधानिक पद पर रहते हुए भारत का प्रतिनिधि ही माना जाएगा लेकिन सिंह कामेडी करते रहे।

वह कहते रहे कि वह अपने दोस्त इमरान खान की ताजपोशी में व्यक्तिगत तौर पर गए थे। वह लगातार लोकतंत्र का अपमान करते रहे। करतारपुर गुरुद्वारे के गलियारे का मामला सिख समुदाय की धार्मिक भावनाओं से जुड़ा है। लेकिन कोई भी धर्म, देश से बड़ा नहीं होता। नवजोत सिंह सिद्धू कभी भाजपा के स्टार प्रचारक थे आैर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को जमकर कोसते रहे हैैं। कांग्रेस में शामिल होकर उन्होंने राहुल गांधी को कप्तान मान लिया। लोग भी उन्हीं के अंदाज में उनपर टिप्पणियां कर रहे हैं-ओजी बादशाहो शॉट हमेशा बाउंड्री

लाइन से बाहर ही जाते हैं, ठोको ताली…
जाने कौन सा हादसा अखबार में आ जाए,
न जाने कौन सा सिक्का बाजार में आ जाए
सारे फेंकने वालों के साथ दोस्ती रखो यारो,
न जाने कौन कल सरकार में आ जाए।

नवजोत सिंह खुद को शांति का दूत मानते हैं लेकिन उन्हें इस बात का पता होना चाहिए कि आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते। लेकिन जनता की नज़र में वह शांति दूत बन चुके हैं। सिद्धू ने क्रेडिट लेने के चक्कर में अपनी स्टम्प खुद उखाड़ कर जनता के हाथ में दे दी है। क्या ऐसे व्यक्ति को संवैधानिक पद पर रहने के योग्य माना जा सकता है। पाकिस्तान में इमरान खान अपने दोस्त सिद्धू की तारीफ करते रहे हैं कि यदि सिद्धू पाकिस्तान में चुनाव लड़े तो जीत जाएंगे। सिद्धू का पाकिस्तान में सियासी भविष्य तो संभव नहीं है लेकिन उनकी राजनीति पर पंजाब में भी सवाल खड़ा हो गया है।

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