सच्चा सनातन धर्म है नवरात्र और नवसम्वत्सर
रविवार 30 मार्च को चैत्र के शुभ नवरात्रों के अवसर पर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई…
रविवार 30 मार्च को चैत्र के शुभ नवरात्रों के अवसर पर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई और जय माता दी। नवरात्रों के शुभ अवसर पर मां जगदम्बा की देशवासियों और पूरी दुनिया पर कृपा हो, यही शुभकामना है। इसी दिन विक्रमी सम्वत् 2082 यानी हिन्दू वर्ष नव सम्वत्सर 2025 आरम्भ हो रहा है। नवरात्रों और हिन्दू नववर्ष की शुरूआत एक साथ हो रही है। यह एक बहुत शुभ आगाज है।
यह हमारे देश की संस्कृति ही है कि हम हर किसी के लिए सब कुछ शुभ होने के दुआएं करते हैं। सही मायनों में यही हमारा सनातन धर्म है जो हमें दुनिया में सबके कल्याण की भावना से जोड़ती है। मेरा तो यह मानना है कि नवरात्रों के मौके पर पवित्र और भक्तिमय रहने की एक संस्कृति हमारे सनातन का ही हिस्सा है। यह सनातन पूरे भारत वर्ष की संस्कृति की पहचान है और पूरी दुनिया इसे स्वीकार करती है। इसलिए इसे जात-पात-मजहब से भी ऊपर उठ कर देखना चाहिए। नवरात्रे जहां हर क्षेत्र में उन्नित अर्थात वृद्धि का शुभ संदेश लाते हैं वहीं लोग नवरात्रों को आर्थिक दृष्टिकोण से भी लाभकारी मानते हैं। फिर भी नवरात्रे साम्प्रदायिक सद्भाव में वृद्धि लाते हैं आैर इसकी आज के समय में सबसे ज्यादा जरूरत भी है।
नवरात्रों के मौके पर जहां सब कुछ पवित्र हो जाता है, शुद्ध हो जाता है, शुभ हो जाता है वहीं मंदिर भी हमारी आस्था को और भी चमकदार बना देते हैं। हवन यज्ञ आरम्भ हो जाते हैं तो कुल मिलाकर यही कहना चाहूंगी कि नवरात्रों के शुभ अवसर पर पुण्य कमाई का यह अवसर हाथ से नहीं जाना चाहिए। मंदिरों के बाहर और कालोनियों में लोग मां जगदम्बा की कृपा से भंडारे आयोजित करते हैं यह हमारी एक बड़ी पूजा माना गया है, जिसे अन्नदान से जोड़ा गया है। लोगों को नवरात्रों के शुभ मौके पर स्वच्छता से जोड़ कर आगे बढ़ना चाहिए और मादक पदार्थों से दूर रहने का संकल्प भी लेना चाहिए। यह सच है िक सभी नवरात्रों के अलग-अलग दिनों पर मां जगदम्बा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है लेकिन इस कड़ी में मैं विशेष रूप से एकल श्रीराम कथा का उल्लेख करना चाहूंगी जिसका आयोजन शिक्षा आैर सेवा को समर्पित भारत लोक शिक्षा परिषद ने पंजाबी बाग स्टेडियम नई िदल्ली में किया है। परम पूज्य भाई श्री रमेश भाई ओझा एकल राम कथा करेंेगे। सर्वहित और सर्वकल्याण के लिए 29 मार्च से 6 अप्रैल 2025 तक प्रतिदिन सहस्त्र चंडी महायज्ञ भी चलेगा जिसमें भाग लेकर हम पुण्य कमा सकते हैं। जब हम किसी को किसी भी धार्मिक आयोजन से जुड़ने के लिए आमंत्रित करते हैं तो यह एक सनातन परम्परा है। यह हमारी संस्कृति भी है जो हमारे संस्कारों से ही निकली है। एक अच्छी व्यवस्था करना आैर उसे लागू करना केवल सुशासन नहीं बल्कि अच्छी नीति और अच्छी नीयत भी दर्शाती है। यह सब कुछ सनातन का िहस्सा है। हमारे विद्वान पुरुष अौर आचार्य लोग सही कहते हैं कि भारत की संस्कृति और सनातन बहुत गहराई वाले आैर बहुत विराट हैं।
लोग नवरात्रों के मौके पर मंदिरों में जाकर मां दुर्गा की उपासना करते हैं, कठिन व्रत रखते हैं और मंिदरों में आयोजकों की टीमें अच्छा प्रबंधन करती हैं तो हम सबका यह कर्त्तव्य है कि हम भी मंदिरों में इस प्रबन्धन का हिस्सा बनें अगर कहीं कोई कागज का टुकड़ा या गंदगी मंदिर के आसपास दिखाई दे तो उसे उठाकर कूड़ेदान में डाल दें। अगर हम अपने मंदिरों को साफ-सुथरा और स्वच्छ रखेंगे तो जहां जीवन में अनुशासन आएगा वहीं भगवान भी इसे पूजा के तौर पर स्वीकार करते हैं। आमतौर पर खान-पान या प्रसाद की चीजों में मिलावट की खबरें भी सोशल मीडिया पर आती रहती हैं। कुट्टू या सिंघाड़े का आटा हो या साबूदाना या फिर अन्य िमष्ठान इनमें मिलावट नहीं होनी चाहिए। दुकानदारों को इस चीज का बहुत ध्यान रखना चाहिए। भगवान को प्रसाद स्वरूप अर्पित की जाने वाली किसी भी चीज में मिलावट नहीं होनी चाहिए।
छात्र-छात्राएं , महिलाएं, बच्चे, बुजुर्ग कोई भी हों नवरात्रों में मां दुर्गा के प्रति समर्पित भाव रखकर हमें अच्छे आदर्श निभाने के साथ-साथ अच्छा इंसान बनने का संकल्प भी लेना चाहिए। नवरात्रों से पवित्रता आैर शुद्धता का रिश्ता तो है लेकिन एक-दूसरे के प्रति मददगार बनने के अवसर पर हर पल, हर घड़ी तत्पर रहना चाहिए। कन्या आैर लौंकड़ा पूजन यद्यपि नवरात्रों का समापन है लेकिन यह एक पूजा है जो सब करते हैं लेकिन जीवन में कर्मठता से, ईमानदारी से, अनुशासन से जीना, व्रत रखना सच्चा सनातन है। आओ नवरात्रों में सनातनी बनें और अपना धर्म अपनाएं जो कि भारत आैर भारतीयता के साथ-साथ सनातन के आदर्शों से बना है जिसे हमें अनुशासन आैर संस्कारों के साथ निभाना है।