Top NewsIndiaWorldOther StatesBusiness
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

नेपाल के PM ओली ने संसद भंग करने के कदम का किया बचाव, अपनी पार्टी के नेताओं पर मढा दोष

नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने संसद भंग करने के अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि पार्टी के भीतर गतिरोध की वजह से उनकी सरकार का कामकाज प्रभावित होने के कारण नया जनादेश लेने की जरूरत है।

06:22 PM Dec 21, 2020 IST | Ujjwal Jain

नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने संसद भंग करने के अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि पार्टी के भीतर गतिरोध की वजह से उनकी सरकार का कामकाज प्रभावित होने के कारण नया जनादेश लेने की जरूरत है।

नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने संसद भंग करने के अपने फैसले का बचाव करते हुए सोमवार को कहा कि नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के भीतर गतिरोध की वजह से उनकी सरकार का कामकाज प्रभावित होने के कारण नया जनादेश लेने की जरूरत है। 
Advertisement
ओली ने अपने प्रतिद्वंद्वियों को आश्चर्यचकित करते हुए रविवार को संसद भंग करने की सिफारिश कर दी और इसे राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई। ओली और पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘‘प्रचंड’’ के बीच सत्ता के लिए लंबे समय से चल रहे संघर्ष के बीच यह कदम उठाया गया। 
प्रधानमंत्री ओली ने राष्ट्र के नाम अपने विशेष संबोधन में कहा कि उन्हें संसद भंग करने के लिए मजबूर होना पड़ा और कहा कि उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने के बारे में पता चलने के बाद उन्होंने मध्यावधि चुनाव कराने की घोषणा की। 
संसद को भंग करने और मध्यावधि चुनावों की तारीख की घोषणा के अपने फैसले का बचाव करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘चुनाव के जरिए नया जनादेश हासिल करने के लिए मुझे मजबूर होना पड़ा क्योंकि मेरी सरकार के खिलाफ कदम उठाए जा रहे थे, सही से काम नहीं करने दिया जा रहा था।’’ 
ओली ने कहा कि सत्तारूढ़ नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के भीतर गतिरोध से सरकार के कामकाज पर बुरा असर पड़ा। उन्होंने कहा, ‘‘निर्वाचित सरकार को किनारे कर दिया गया और इसके खिलाफ लामबंदी की गयी जिसके कारण मुझे संसद को भंग करने का फैसला करना पड़ा।’’ 
ओली ने कहा, ‘‘विवाद पैदा कर जनादेश और लोगों की इच्छाओं के खिलाफ राष्ट्रीय राजनीति को अंतहीन और लक्ष्यहीन दिशा में ले जाया गया। इससे संसद का महत्व खत्म हो गया क्योंकि निर्वाचित सरकार को समर्थन नहीं बल्कि हमेशा विरोध और विवादों का सामना करना पड़ा।’’ 
ओली ने ऐसे कदम उठाने के लिए मजबूर करने को लेकर अपनी पार्टी के ही कुछ नेताओं पर दोष मढ़े। उन्होंने कहा, ‘‘जब बहुमत की सरकार के प्रधानमंत्री को काम नहीं करने दिया गया तो मैं अनुचित तौर तरीका नहीं अपनाना चाहता था।’’ उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सबसे अच्छा उपाय यही है कि नया जनादेश लिया जाए। 
प्रधानमंत्री ने जोर दिया कि उनकी सरकार ने देश की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा के लिए बेहतर कदम उठाए। नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी की स्थायी कमेटी की बैठक में ओली के कदम को ‘‘असंवैधानिक, अलोकतांत्रिक’’ बताया गया और प्रधानमंत्री के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की गयी। 
पार्टी के कदम को खारिज करते हुए ओली ने कहा, ‘‘चूंकि मैं पार्टी का प्रथम अध्यक्ष हूं, इसलिए दूसरे अध्यक्ष द्वारा बुलायी गयी बैठक वैध नहीं है।’’ ‘माय रिपब्लिका’ अखबार के मुताबिक इससे पहले दिन में ओली ने अपने करीबी सांसदों को संबोधित किया और कहा कि अपनी पार्टी में ‘घिर’ जाने और राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय ताकतों के साथ साठगांठ से उनके खिलाफ ‘साजिश’ के बाद उन्हें यह फैसला करना पड़ा। 
Advertisement
Next Article