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New Criminal Laws: तीन नए आपराधिक कानून आज से लागू, जानें नए कानूनों की खास बातें

06:42 AM Jul 01, 2024 IST | Shivam Kumar Jha
new criminal laws  तीन नए आपराधिक कानून आज से लागू  जानें नए कानूनों की खास बातें

New Criminal Laws: देश में सोमवार 1 जुलाई यानी आज से क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में बदलाव होने जा रहा है। अंग्रेजों के बनाए कानून से भारतीय न्याय प्रणाली अब मुक्त होने जा रही है। दरअसल, आज से तीनों नए आपराधिक कानून भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), 1860 की जगह भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), क्रिमिनल प्रोसिजर कोड (सीआरपीसी),1898 की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और एविडेंस एक्ट,1872 की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) लागू हो गया है। अब से बदलाव के मुताबिक ही केस दर्ज होंगे।

1 जुलाई से लागू हो रहे ये नए कानून

भारतीय न्याय संहिता (BNS): यह IPC का नया नाम होगा। इसमें कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं, जैसे कि अपराधों के लिए नई सजाएं, जमानत के नए प्रावधान, और त्वरित सुनवाई के लिए नए नियम।

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS): यह CrPC का नया नाम होगा। इसमें पुलिस जांच, अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष के अधिकारों, और सबूतों के संग्रह से संबंधित प्रावधानों में बदलाव किए गए हैं।

भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA): यह ईवीए का नया नाम होगा। इसमें साक्ष्यों के प्रकार, उनकी स्वीकार्यता और मूल्यांकन से संबंधित प्रावधानों में बदलाव किए गए हैं।

इन तीनों कानूनों का उद्देश्य विभिन्न अपराधों और उनकी सजाओं को परिभाषित कर देश में आपराधिक न्याय प्रणाली को पूरी तरह से बदलना है। इन कानूनों में कई नई दफा यानी धाराएं शामिल की गई हैं तो कुछ धाराओ में बदलाव हुआ है, कुछ हटाई गई हैं। नए कानून लागू होने पर आम आदमी, पुलिस, वकील और अदालतों के कामकाज में काफी बदलाव होगा।

नए कानूनों की खास बातें

  •  अदालतों में पेश और स्वीकार्य साक्ष्य में इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड, ईमेल, सर्वर लॉग, कंप्यूटर, स्मार्टफोन, लैपटॉप, एसएमएस, वेबसाइट, स्थानीय साक्ष्य, मेल, उपकरणों के मैजेस को शामिल।
  • केस डायरी, एफआईआर, आरोप पत्र और फैसले सहित सभी रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण किया जाएगा।
  •  इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड का कानूनी प्रभाव, वैधता और प्रवर्तनीयता कागजी रिकॉर्ड के समान ही होगी।
  • अब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये भी न्यायालयों में पेशी हो सकेगी।
  •  अब 60 दिन के भीतर आरोप तय होंगे और मुकदमा समाप्त होने के 45 दिन में निर्णय देना होगा।
  •  सिविल सेवकों के खिलाफ मामलों में 120 दिन में निर्णय अनिवार्य होगा। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 के अंतर्गत मामलों की तय समय में जांच, सुनवाई और बहस पूरी होने के 30 दिन के भीतर फैसला देने का प्रावधान है।
  • ई-एफआईआर के मामले में फरियादी को तीन दिन के भीतर थाने में पहुंचकर एफआईआर की कॉपी पर साइन करने होंगे।
  • नए बदलावों के तहत जीरो एफआईआर को कानूनी तौर पर अनिवार्य कर दिया है। फरियादी को एफआईआर, बयान से जुड़े दस्तावेज भी दिए जाने का प्रावधान किया गया है।
  •  फरियादी चाहे तो पुलिस द्वारा आरोपी से हुई पूछताछ के बिंदु भी ले सकता है। यानी वे पेनड्राइव में अपने बयान की कॉपी ले सकेंगे। इस प्रकार नए कानूनों में आमजन को बहुत सारे लाभ प्रदान किए गए हैं।
  •  नए कानून में अब ऑनलाइन विटनेस हो सकता है, सशरीर मौजूदगी जरूरी नहीं होगी, ऐसे में समय खराब नहीं होगा। केस पेंडिंग नहीं रहेंगे और समय पर समाधान होता जाएगा।
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Shivam Kumar Jha

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