''जाको राखे साइयां मार सके ना कोय'', शालीमार बाग में मेडिकल करिश्मा, 55 वर्षीय मरीज ने कई हार्ट अटैक के बाद भी पाई नई जिंदगी
New Delhi News: फोर्टिस हॉस्पिटल, शालीमार बाग के डॉक्टरों ने 9 दिसंबर को एक 55 वर्षीय मरीज की जान बचाकर बड़ी सफलता हासिल की है। यह मरीज मधुमेह(डायबिटीज) से पीड़ित था और पीठ पर मौजूद एक छोटे से सेबेशियस सिस्ट (गैर-कैंसरकारी गांठ) को हटाने के लिए दूसरा अस्पताल गया था। सर्जरी साधारण थी, लेकिन करीब छह घंटे बाद मरीज को अचानक बेहोशी आ गई और उनका हृदय काम करना बंद कर गया।
New Delhi News: मरीज की गंभीर स्थिति
मरीज को तुरंत सीपीआर दिया गया और कई बार इलेक्ट्रिक शॉक देकर उसे पुनर्जीवित करने की कोशिश की गई। हालत बेहद नाजुक थी, इसलिए वहां के डॉक्टरों ने तुरंत फोर्टिस हॉस्पिटल, शालीमार बाग की कार्डियोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. राशि खरे से संपर्क किया। उन्होंने मरीज का मूल्यांकन करने के बाद उसे तुरंत फोर्टिस लाने की सलाह दी।
Fortis Hospital News: फोर्टिस पहुंचते ही बिगड़ी हालत
फोर्टिस शालीमार बाग पहुंचने तक मरीज की स्थिति और खराब हो चुकी थी। वह वेंटिलेटर पर था और शरीर कई गंभीर जटिलताओं से जूझ रहा था। स्कैन से पता चला कि लगातार लंबे समय तक दिए गए सीपीआर के कारण उसके फेफड़ों को नुकसान पहुंचा है और हृदय भी बहुत कमजोर हो चुका था। मरीज को तुरंत कैथ लैब ले जाकर आपातकालीन एंजियोग्राफी की गई, जिससे ब्लॉक धमनियों में रक्त प्रवाह बहाल किया जा सका। लेकिन इसके बाद भी उसे दोबारा हार्ट अटैक आया, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई।
ECMO का सहारा: जीवन बचाने का बड़ा फैसला
मरीज की हालत देखते हुए मेडिकल टीम ने एक बड़ा निर्णय लिया, उसे ECMO (एक्स्ट्राकॉर्पोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजनेशन) पर रखने का। ECMO मशीन कुछ समय के लिए हृदय और फेफड़ों की भूमिका निभाती है, जिससे शरीर को आराम मिल सके और अंग फिर से काम करने लगें। एक घंटे के भीतर ECMO शुरू कर दिया गया और पाँच दिनों तक लगातार चलाया गया। धीरे-धीरे मरीज के हृदय और फेफड़ों ने बेहतर काम करना शुरू कर दिया।
Shalimar Bagh News: टीमवर्क से मिली नई जिंदगी
कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. एन. एन. त्रिपाठी, एडिशनल डायरेक्टर डॉ. राशि खरे, और कार्डियक एनेस्थीसिया टीम के डॉक्टर अमित प्रकाश और विशाल गर्ग ने मिलकर लगातार निगरानी और उपचार जारी रखा। कुछ समय बाद मरीज में सुधार दिखने लगा, संक्रमण नियंत्रित हुआ, हार्ट की पंपिंग बढ़ी और अंततः उसे ECMO व वेंटिलेटर से हटा दिया गया। कई हफ्तों तक गहन देखभाल के बाद मरीज को स्वस्थ स्थिति में अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। अब वह घर पर पूरी तरह से स्वस्थ हो रहा है।
एक्सपर्ट के विचार
डॉ. राशि खरे ने बताया कि मरीज को लगभग 45 मिनट तक सीपीआर दिया गया था और कई बार हार्ट अटैक भी आया था, इसलिए उसके बचने की उम्मीद मात्र 5% रह गई थी। ऐसे में ECMO ही एकमात्र विकल्प था जिसने उसके हृदय व फेफड़ों को पुनर्जीवित होने का अवसर दिया।
नवीन शर्मा, फोर्टिस हॉस्पिटल शालीमार बाग के फैसिलिटी डायरेक्टर, ने कहा कि यह मामला टीमवर्क और तुरंत लिए गए सही फैसलों की शक्ति को दर्शाता है। कई बार हार्ट अटैक के बाद भी मरीज का पूरी तरह स्वस्थ हो जाना बहुत दुर्लभ है और इससे फोर्टिस टीम की विशेषज्ञता सिद्ध होती है।
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