बिहार में नई सरकार
बिहार में अब पुनः श्री नीतीश कुमार का मुख्यमन्त्री बनना तय है क्योंकि वर्तमान चुनावों मे उनकी साख ने एनडीए को चुनाव जीतने में मदद की है। इसके साथ ही प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता ने भी एनडीए को भारी बहुमत दिलाने में सहायता की है। अतः इन दोनों नेताओं के इकबाल पर राज्य में लगातार एनडीए सरकार के गठन का मार्ग प्रशस्त हुआ है। श्री नीतीश कुमार बिहार के अकेले ऐसे मुख्यमन्त्री होंगे जिनका कार्यकाल सबसे लम्बा होगा और उनकी छवि भी एक सुशासन बाबू की होगी। उनकी सरकार ने जो भी लोक कल्याणकारी योजनाएं शुरू की हैं उनका असर इन चुनावों पर देखने को मिला है, हालांकि विपक्षी दल इन्हें रेवड़ियां भी बता रहे हैं मगर जनता ने इन्हें इस रूप में नहीं लिया है। बिहार में इस बार सत्तारूढ़ जनता दल व भाजपा के आपसी समीकरण पिछले चुनावों से बहुत भिन्न प्रकट हुए हैं। इसका कारण यह है कि इन दोनों दलों को लगभग बराबर–बराबर 89 व 85 सीटें प्राप्त हुई हैं। 243 की सदस्य संख्या वाली बिहार विधानसभा में इन दोनों पार्टियों का संख्याबल बताता है कि दोनों समान रूप से ताकतवर हैं जबकि पहले यह समझा जाता था कि राज्य में भाजपा की ताकत प्रभावी क्षेत्रीय दलों के मुकाबले कमजोर रहती है परन्तु पिछले 2020 के चुनावों में ही भाजपा ने 74 सीटें लाकर जद(यू) को बहुत पीछे छोड़ दिया था क्योंकि इसकी सीटें केवल 43 ही आयी थीं।
2020 में जो दोनों दलों की मिलीजुली सरकार बनी थी उसका आपसी गणित दूसरा था, मसलन इसमें भाजपा के मन्त्रियों की संख्या अधिक और जद(यू)के मन्त्रियों की संख्या आनुपातिक रूप से कम थी परन्तु इस बार ऐसा होता नहीं दिख रहा है। वैसे भी दोनों ही पार्टियों ने इस बार के चुनावों में 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ा था। अतः दोनों के बीच बराबरी का भाव शुरू से ही था। मगर जहां तक सरकार के नेतृत्व का सवाल था तो श्री नीतीश कुमार निर्विवाद रूप से इसके नेता थे। ठीक यही स्थिति वर्तमान चुनावों के बाद भी बनी हुई है। इसका एक कारण और भी माना जा रहा है कि केन्द्र की मोदी सरकार को लोकसभा में नीतीश कुमार की पार्टी का समर्थन प्राप्त है जो इस सरकार को बहुमत के आंकड़े तक पहुंचाने में मदद करता है। अतः यह माना जा रहा है कि राज्य में जद(यू) व भाजपा के बीच सत्ता का बंटवारा बहुत न्यायप्रिय तरीके से होगा और मन्त्रियों के बीच विभागों का बंटवारा भी इसी के अनुरूप होगा।
एनडीए में इस बार श्री चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी को भी 19 सीटें मिली हैं और जीतन राम मांझी की हम पार्टी को पांच व उपेन्द्र कुशवाहा की आरएलपी को चार सीटें मिली हैं। अतः यह फार्मूला निकल रहा है कि चिराग की पार्टी को सरकार में दो मन्त्री पद दिये जायें और हम व आरएलपी को एक-एक। राज्य में सरकार का गठन अब 20 नवम्बर तक होना तय माना जा रहा है क्योंकि श्री नीतीश कुमार की निवर्तमान सरकार ने आज राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। अगली व्यवस्था होने तक वह कार्यवाहक मुख्यमन्त्री बने रहेंगे मगर यह व्यवस्था 20 नवम्बर को ही होने की उम्मीद है। इसकी एक वजह यह भी है कि आगामी 22 नवम्बर को निवर्तमान विधानसभा का कार्यकाल समाप्त हो रहा है।
राज्य में चुनाव इससे पहले ही पूरे हो चुके हैं और चुनाव आयोग ने नवनिर्वाचित 243 सदस्यों की तालिका राज्यपाल को सौंप दी है। अब नये विधायकों को सदस्यता की शपथ 20 नवम्बर के बाद दिलाई जायेगी। फिलहाल एनडीए सरकार के गठन का जो फार्मूला है उसके अनुसार नीतीश कुमार के नये मन्त्रिमंडल में जद(यू) व भाजपा के बराबर- बराबर मन्त्री होंगे और दो मन्त्री लोजपा के होंगे व एक जीतन राम मांझी व उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी के होंगे। इससे मन्त्रिमंडल का सन्तुलन बना रहेगा। मगर इस बार गृह व वित्त विभाग भाजपा के पास जायेगा। इसके साथ इस पार्टी के दो उप मुख्यमन्त्री होंगे या नहीं इसका फैसला भी अभी होना है। पिछली सरकार में भाजपा के विजय कुमार सिन्हा व सम्राट चौधरी दो उप मुख्यमन्त्री थे। ये दोनों नेता ही इन चुनावों में भारी बहुमत से विजयी हुए हैं। जहां तक सम्राट चौधरी का सवाल है तो इनके खिलाफ विपक्ष ने भ्रष्टाचार व कदाचार के गंभीर आरोप लगाये थे।
विजय सिन्हा को भी विपक्ष ने आरोपों के घेरे मे ले रखा था। मगर दोनों के चुनाव जीतने से यह सिद्ध हो गया है कि आम जनता ने इन आरोपों को गंभीरता से नहीं लिया है। फिर भी भाजपा आलाकमान ने इस बारे में अभी कोई अन्तिम फैसला नहीं किया है। भाजपा राज्य में अपना कद्दावर क्षेत्रीय नेतृत्व भी पैदा करना चाहती है। अभी तक यह स्थान भाजपा में खाली पड़ा हुआ है। ऐसा भी माना जा रहा है कि भाजपा किसी नये नेता को उपमुख्यमन्त्री बना कर उस पर दांव लगा दे। पिछली सरकार में भाजपा के 22 मन्त्री थे तो जद(यू)के केवल 12 ही थे। मगर इस बार जद(यू) बराबर के मन्त्री रखेगी। देखने वाली बात होगी कि भाजपा गृह व वित्त विभाग के अलावा और किन महत्वपूर्ण विभागों को अपने पास रखती है।

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