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भारत में EV कार निर्माण को बढ़ावा देने की नई योजना

EV कार निर्माण के लिए भारत में निवेश का अवसर

08:04 AM Jun 03, 2025 IST | IANS

EV कार निर्माण के लिए भारत में निवेश का अवसर

केंद्र सरकार ने भारत को इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण का ग्लोबल हब बनाने के लिए नई योजना शुरू की है। इस योजना के तहत, टेस्ला जैसी कंपनियों को निवेश के लिए आकर्षित करने हेतु 15% सीमा शुल्क पर इलेक्ट्रिक कारों के आयात की अनुमति दी जाएगी। योजना से ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार सृजन होगा।

केंद्र सरकार ने सोमवार को भारत में ग्लोबल कार मैन्युफैक्चरर्स से इलेक्ट्रिक वाहन सेगमेंट में निवेश आकर्षित करने के लिए नई स्कीम लॉन्च की। इस स्कीम का उद्देश्य भारत को इलेक्ट्रिक कार सेगमेंट में ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में विकसित करना है। सरकार ने ग्लोबल कार कंपनियों जैसे टेस्ला से इस स्कीम के तहत निवेश आकर्षित करने के लिए कई प्रावधान किए हैं। इस स्कीम में तहत कंपनियों को आवेदन स्वीकृत होने की तारीख से 5 वर्ष की अवधि के लिए 15 प्रतिशत की कम सीमा शुल्क पर न्यूनतम 35,000 डॉलर के सीआईएफ (कॉस्ट इंश्योरेंस और फ्रेट वैल्यू) के साथ इलेक्ट्रिक चार पहिया वाहनों की पूरी तरह से निर्मित इकाइयों (सीबीयू) का आयात करने की अनुमति दी जाएगी। स्कीम के प्रावधान के मुताबिक, जिन आवेदकों का आवेदन स्वीकृत होता है, उन्हें कम से कम 4,150 करोड़ रुपए का निवेश करना होगा।

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इस स्कीम के तहत कोई कार कंपनी एक साल में अधिकतम 8,000 यूनिट्स का ही आयात कर सकती है। इसके अलावा अप्रयुक्त वार्षिक आयात सीमा को अगले साल के लिए कैरीफॉरवर्ड किया जा सकता है। नोटिफिकेशन के अनुसार, इस योजना के तहत आयात की जाने वाली इलेक्ट्रिक वाहनों की अधिकतम संख्या ऐसी होगी कि प्रति आवेदक अधिकतम शुल्क छूट 6,484 करोड़ रुपए या न्यूनतम निवेश सीमा 4,150 करोड़ रुपए, जो भी कम हो तक सीमित रहे।

नोटिफिकेशन में कहा गया है कि अगर योजना के तहत निवेश ब्राउनफील्ड परियोजना पर किया जाता है, तो मौजूदा मैन्युफैक्चरिंग सुविधाओं के साथ स्पष्ट भौतिक सीमांकन किया जाना चाहिए। आधिकारिक बयान के अनुसार, इस योजना से ग्लोबल ईवी मैन्युफैक्चरर्स से निवेश आकर्षित करने और भारत को ई-वाहनों के मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। साथ ही कहा कि यह योजना भारत को ईवी मैन्युफैक्चरिंग के लिए ग्लोबल मैप पर लाने, रोजगार सृजन और ‘मेक इन इंडिया’ के लक्ष्य को प्राप्त करने में भी मदद करेगी।

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