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नेक्सट जेन जीएसटी सुधार

04:45 AM Sep 05, 2025 IST | Aditya Chopra
पंजाब केसरी के डायरेक्टर आदित्य नारायण चोपड़ा

लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जीएसटी में बदलाव लाने की जो घोषणा की थी उसे पूरा कर दिया गया है। वर्ष 2017 से लागू की गई वस्तु एवं कर सेवा को आसान बनाने की प्रक्रिया के तहत जीएसटी के मौजूदा 4 स्लैब में से 12 और 28 प्रतिशत वाले स्लैब हटा दिए जाएंगे तथा 5 और 18 प्रतिशत वाले स्लैब ही रहेंगे। नुक्सानदेह और विलासिता की वस्तुओं पर 40 फीसदी की दर से शुल्क लगाने का फैसला किया गया। जीएसटी काउंसिल की बैठक में लिए गए फैसलों से आम आदमी को बड़ी राहत मिलेगी। वहीं इस टू टियर टैक्स स्ट्रक्चर से छोटे व्यापारियों और दुकानदारों को व्यापार करने में बहुत आसानी होगी। आम आदमी ने तो सस्ती और महंगे होने वाले उत्पादों के बारे में तो जानकारी ले ही ली होगी क्योंकि फेस्टिवल सीजन में हर कोई जेब के मुताबिक बाजार में जाकर खरीदारी करेगा। भारत निर्यात उन्मुखी देश नहीं है। हम जो पैदा करते हैं उसी को अपने ही बाजार में बेचते हैं। अगर बाजार में चीजें सस्ती होती हैं तो निश्चय ही इससे आम आदमी को राहत मिलती है। बाजार तभी गुलजार होंगे जब उपभोक्ता की जेब में पैसा होगा। जब से जीएसटी लागू हुआ है तब से ही हर साल सरकार की कमाई में जोरदार इजाफा होता आया है। इस साल 2025 में तो जीएसटी कलेक्शन ने सारे रिकॉर्ड तोड़े। शुरूआती साल में इसके जरिए सरकारी खजाने में 7.41 लाख करोड़ रुपये (जुलाई से मार्च तक) आए थे, तो वहीं अगले साल 2018-19 में जीएसटी से कमाई का आंकड़ा 11.77 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया। वहीं इसकी शुरुआत से अब तक कलेक्शन में तीन गुना से ज्यादा का इजाफा दर्ज किया गया है और 2021-22 से लेकर 2024-25 तक सिर्फ पांच साल में ही जीएसटी से सरकार की कमाई दोगुनी हो चुकी है और ये 11.37 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 22.08 लाख करोड़ रुपये हो गई है।
इस साल 2025 में जीएसटी क्लैक्शन ने पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़े आैर सरकार को ताबड़तोड़ कमाई कराई। अप्रैल महीने में अब तक सबसे बड़ा मासिक जीएसटी क्लैक्शन हुआ जो 2.37 लाख करोड़ का रहा। जीएसटी दरों में बदलाव के चलते सरकार ने करीब 40 हजार करोड़ के सालाना राजस्व नुक्सान की आशंका जताई है। इसका मतलब यह है कि कर सुधारों से कमाई पर असर पड़ेगा। विपक्ष शासित राज्य सरकारें राजस्व की भरपाई की मांग कर रही हैं। राज्यों का कहना है कि अगर वर्ष 24-25 के आधार वर्ष होने के कारण वृद्धि 14 फीसदी से कम रहती है तो उनके राजस्व को होने वाले नुक्सान की भरपाई की जानी चाहिए। विशेषज्ञ लम्बे समय से यह कहते रहे हैं कि अलग-अलग स्लैब होने से जीएसटी प्रणाली का कामकाज और प्रदर्शन प्रभावित हुआ है। ऐसे में उन्हें युक्ति संगत बनाने की कवायद काफी समय से लम्बित थी। जीएसटी के शुरूआती पांच साल तक राज्यों की क्षतिपूर्ति उपकर के जरिये की गई। कोरोना महामारी के दौरान जब उपकर संग्रह कम हो गया तो उसकी भरपाई उधारी से की गई। फिर उधारी को चुकाने के लिए उपकर संग्रह की अवधि बढ़ाई गई लेकिन यह व्यवस्था हमेशा जारी नहीं रखी जा सकती। राज्यों को राजस्व की हानि न हो। इसके ​िलए कोई ठोस व्यवस्था बनाई जानी चाहिए। आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि स्लैब कम होने से घरेलू मांग में जबरदस्त इजाफा होगा और इससे राजस्व बढ़ेगा। अगर राजस्व संग्रह बेहतर होता है तो फिर राज्यों को कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ने वाला। कर सुधारों से उद्योग जगत को भी फायदा होगा। कपड़ा, एफएमसीजी, फार्मा और ऑटोमोबाइल उद्योग को इस फैसले से लाभ होगा क्योंकि कर घटने से उनकी बिक्री बढ़ सकती है। उदाहरण के लिए, 1,200 सीसी तक की छोटी गाड़ियों पर जीएसटी 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत करने का निर्णय मध्यमवर्गीय खरीदारों के लिए सकारात्मक रहेगा और इससे ऑटोमोबाइल सैक्टर की बिक्री में उछाल आ सकता है। वहीं टीवी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन जैसे इलैक्ट्रॉनिक उत्पादों की कीमतें घटने से उपभोक्ता मांग बढ़ेगी और मैन्युफैक्चरिंग सैक्टर को मजबूती मिलेगी। दूसरी ओर लग्जरी गाड़ियां और महंगे इलैक्ट्रॉनिक सामान बनाने वाली कंपनियों को नुक्सान हो सकता है क्योंकि 40 प्रतिशत कर से उनकी बिक्री घट सकती है। एमएसएमई और स्टार्टअप्स के लिए किए गए सुधार भी महत्वपूर्ण हैं। जीएसटी रजिस्ट्रेशन का समय 30 दिन से घटाकर 3 दिन कर देना और निर्यातकों को ऑटोमैटिक रिफंड की सुविधा देना व्यापार की आसानी को बढ़ाएगा। इससे छोटे और मध्यम व्यवसायों की नकदी प्रवाह में सुधार होगा और वे अपने उत्पादों और सेवाओं की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ा पाएंगे। ऑटोमैटिक रिटर्न फाइलिंग का नया प्रस्ताव जीएसटी अनुपालन को सरल बनाएगा और करदाताओं को झंझट से बचाएगा। यह सुधार 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' की दिशा में एक अहम कदम माना जाएगा। जीएसटी परिषद ने एक तीर से कई निशाने किए हैं। अर्थशा​स्त्रियों का अनुमान है कि इससे आर्थिक विकास होगा तथा अमरीकी टैरिफ वृद्धि के प्रभाव को कम करने में मदद मिलेगी।
इन कर सुधारों को नेक्स्ट जेन जीएसटी सुधार कहा गया है। उम्मीद की जाती है कि इन बदलावों से भारत की अर्थव्यवस्था में मजबूती आ सकती है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि राज्य राजस्व के लिए जीएसटी पर ही निर्भर हैं। राज्यों के साथ राजस्व साझा करने के मामले पर केन्द्र को उदार हृदय से काम लेना होगा।

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