Top NewsIndiaWorldOther StatesBusiness
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

मानवाधिकार विषय पर NHRC का दो दिवसीय आवासीय क्षमता निर्माण कार्यक्रम तमिलनाडु पुलिस के सहयोग से संपन्न

03:15 PM Oct 08, 2024 IST | Rahul Kumar

कार्यक्रम में तमिलनाडु और कर्नाटक के लगभग 45 पुलिस अधिकारियों ने भाग लियाप्रख्यात विशेषज्ञों द्वारा विशेष रूप से तैयार किए गए सात व्याख्यानों में उन्हें मानवाधिकारों के विभिन्न पहलुओं के बारे में अवगत कराया गया

Highlight

पुलिस अधिकारियों के लिए दो दिवसीय आवासीय क्षमता निर्माण कार्यक्रम का आयोजन किया

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी), आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अधिकारियों सहित अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों को संवेदनशील बनाने के लिए मानवाधिकार जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करता रहा है। इस श्रृंखला में, आयोग ने 3-4 अक्टूबर, 2024 को कोयंबटूर में तमिलनाडु और कर्नाटक पुलिस अधिकारियों के लिए दो दिवसीय आवासीय क्षमता निर्माण कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम, तमिलनाडु पुलिस के सहयोग से आयोजित किया गया था। कार्यक्रम में उद्घाटन और समापन सत्रों के अलावा, मानवाधिकार और पुलिस के विभिन्न पहलुओं पर सात तकनीकी सत्र भी आयोजित किए गये। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एडिशनल एसपी), पुलिस अधीक्षक (एसपी) और उप महानिरीक्षक (डीआईजी) रैंक के अधिकारियों सहित लगभग 45 पुलिस कर्मियों ने भाग लिया।

Advertisement

महानिदेशक श्री देवज्योति रॉय और एनएचआरसी के रजिस्ट्रार (कानून) श्री जोगिंदर सिंह की उपस्थिति में कार्यक्रम का उद्घाटन

3 अक्टूबर, 2024 को भारत में एनएचआरसी के महानिदेशक (आई), श्री अजय भटनागर ने तमिलनाडु के पुलिस महानिदेशक श्री शंकर जीवाल, कर्नाटक के अतिरिक्त महानिदेशक श्री देवज्योति रॉय और एनएचआरसी के रजिस्ट्रार (कानून) श्री जोगिंदर सिंह की उपस्थिति में कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि राज्यों द्वारा दंडात्मक कार्रवाई की तुलना में निवारक कार्रवाई की अवधारणा को प्राथमिकता देनी चाहिए। यह विचार पुलिस कार्य प्रणाली के सभी पहलुओं में समाहित होना चाहिए। तमिलनाडु के डीजीपी श्री शंकर जीवाल ने कोयंबटूर में क्षेत्रीय स्तर पर, क्षमता निर्माण प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने की अभिनव अवधारणा की प्रशंसा की और इस आयोजन के लिए एनएचआरसी का आभार व्यक्त किया।

मानवाधिकारों के उल्लंघन, हिरासत में कैदी के साथ हिंसा और कानून प्रवर्तन में पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता पर जोर

मानव अधिकार और नैतिक दुविधाएं एक पेशेवर का दृष्टिकोण' विषय पर आयोजित पहले सत्र में श्री अजय भटनागर ने कानून प्रवर्तन के ढांचे के भीतर मानवाधिकारों को बनाए रखने के दौरान अपनी जिम्मेदारियों को संतुलित करने में अधिकारियों के सामने आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डाला।
दूसरे सत्र में, तमिलनाडु राज्य मानवाधिकार आयोग के सदस्य न्यायमूर्ति श्री वी. कन्नदासन ने 'मानवाधिकार और पुलिस अधिकारियों की भूमिका' के बारे में बात की। उन्होंने झूठी शिकायतों और न्याय सुनिश्चित करने में न्यायिक सक्रियता के महत्व सहित कई मुद्दों पर प्रकाश डाला।एनएचआरसी के रजिस्ट्रार (कानून) श्री जोगिंदर सिंह ने तीसरे सत्र में पुलिस और उच्‍चतम न्‍यायालय के महत्वपूर्ण मामलों से सम्‍बंधित एनएचआरसी द्वारा जारी किए गए विभिन्न दिशा-निर्देशों' के बारे में बात की। उन्होंने उन प्रमुख क्षेत्रों के बारे में बताया जहां आयोग ने पुलिस कार्य प्रणाली में सुधार के लिए निर्देश जारी किए हैं। इन मामलों में जांच के दौरान मानवाधिकारों के उल्लंघन, हिरासत में कैदी के साथ हिंसा और कानून प्रवर्तन में पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता पर विशेष जोर दिया गया है।कर्नाटक के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक श्री देवज्योति रे ने पहले दिन के चौथे सत्र में 'कर्नाटक में मानवाधिकार शिकायत निवारण प्रणाली के बुनियादी ढांचे' पर बात की। उन्होंने शिकायत पंजीकरण के लिए कर्नाटक राज्य मानवाधिकार आयोग (केएसएचआरसी) के अभिनव दृष्टिकोण के बारे में जानकारी दी। उन्‍होंने बताया कि ऐप-आधारित प्रणाली और वेब-आधारित प्लेटफ़ॉर्म की सुविधा से नागरिक आसानी से मानवाधिकार उल्लंघन की रिपोर्ट दर्ज करा सकते हैं।दूसरे दिन, भारत में एनएचआरसी महासचिव श्री भरत लाल ने पहले सत्र में 'मानवाधिकार ढांचे के विकास के बारे में बात की।

भारतीयों और कई स्वतंत्रता सेनानियों और समाज सुधारकों के उदाहरण

उन्होंने न्याय प्रदान करने और सभी के खासकर, सबसे कमजोर लोगों के मानवाधिकारों को बनाए रखने में पुलिस की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला और इस बात पर जोर दिया कि महानता का मतलब दूसरों के कल्याण को प्राथमिकता देना है।उन्होंने अपना पूरा जीवन दूसरों की भलाई के लिए समर्पित करने वाले भगवान बुद्ध और महात्मा गांधी, डॉ. अंबेडकर, डॉ. कर्वे, राजा राम मोहन राय जैसे अन्य भारतीयों और कई स्वतंत्रता सेनानियों और समाज सुधारकों के उदाहरण दिए। नेल्सन मंडेला, मार्टिन लूथर किंग जूनियर और कई अन्य नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं ने मानवाधिकार रक्षकों के रूप में काम किया। महासचिव श्री भरत लाल ने पुलिस अधिकारियों से सच्चे मानवाधिकार रक्षक बनने की अपील की।

महिला कैदियों के अधिकार और राज्य के दायित्व पर चर्चा की

एनएचआरसी के पूर्व सदस्य श्री राजीव जैन ने दूसरे सत्र में 'मानव अधिकारों पर न्यायशास्त्र' विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्‍तुत किया। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 21 के अनुसार मौलिक अधिकारों की रक्षा के महत्व पर जोर दिया और इस सम्‍बंध में सुनील बत्रा और मेनका गांधी सहित उच्‍चतम न्‍यायालय के ऐतिहासिक मामलों का संदर्भ दिया। उन्होंने न्याय तक पहुंच, महिला कैदियों के अधिकार और राज्य के दायित्व पर चर्चा की। उन्होंने मानवाधिकारों की रक्षा में न्यायपालिका की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। अंतिम सत्र में अपने संबोधन में रजिस्ट्रार (विधि) श्री जोगिंदर सिंह ने एनएचआरसी में पंजीकृत 'तमिलनाडु से सम्‍बंधित मानवाधिकार उल्लंघन के मामले' के बारे में चर्चा की।

देश और दुनिया की तमाम खबरों के लिए हमारा YouTube Channel ‘PUNJAB KESARI’ को अभी subscribe करें। आप हमें FACEBOOK, INSTAGRAM और TWITTER पर भी फॉलो कर सकते हैं

 

Advertisement
Next Article