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NIA को मिली बड़ी कामयाबी : सीमा पार कारोबार के जरिए आतंकवाद के वित्तपोषण के मिले सबूत

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को पुलिस उपाधीक्षक देवेंद्र सिंह के मामले की जांच के दौरान सीमा पार से कारोबार के जरिए आतंकवाद को वित्तपोषित करने के “सबूत” मिले हैं।

04:04 PM Feb 16, 2020 IST | Shera Rajput

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को पुलिस उपाधीक्षक देवेंद्र सिंह के मामले की जांच के दौरान सीमा पार से कारोबार के जरिए आतंकवाद को वित्तपोषित करने के “सबूत” मिले हैं।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को पुलिस उपाधीक्षक देवेंद्र सिंह के मामले की जांच के दौरान सीमा पार से कारोबार के जरिए आतंकवाद को वित्तपोषित करने के “सबूत” मिले हैं।
अधिकारियों ने रविवार बताया कि एनआईए के अधिकारियों ने प्रतिबंधित आतंकी समूह हिज़्बुल मजाहिदीन के स्वयंभू कमांडर सैयद नवीद मुश्ताक अहमद उर्फ नवीद बाबू से संगठन को मिलने वाले पैसे को लेकर पूछताछ की। साथ में यह भी पूछा कि वे किस तरह से पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं के संपर्क में रहते हैं। 
सिंह को आतंकवादियों को कश्मीर घाटी से बाहर ले जाने के दौरान गिरफ्तार किया गया था। उसके साथ पकड़े गए दहतगर्दों में नवीद भी शामिल था। उन्होंने कहा कि नवीद से पूछताछ में एजेंसी को नियंत्रण रेखा के पार से होने वाले कारोबार के जरिए आतंकवाद के वित्तपोषण के ‘सबूत’ मिले। 
एनआईए ने नियंत्रण रेखा के पार से होने वाले कारोबार के सिलसिले में 2016 में अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था और कश्मीर के बारामूला जिले के सलामाबाद और जम्मू के पुंछ जिले के चकन दा बाग में छापेमारी भी की थी। 
अधिकारियों ने बताया कि पिछले चार साल से जांच में एनआईए, व्यापारियों से प्राप्त पैसों के अंतिम लाभार्थी का पता लगाने में असमर्थ रही थी, लेकिन नवीद से पूछताछ में एजेंसी को अहम सुराग मिले हैं। 
अधिकारियों ने कहा कि इस मामले में पूछताछ के लिए कुछ लोगों को हिरासत में लिया जा सकता है, क्योंकि पुलिस उपाधीक्षक के प्रकरण ने चार पुराने मामलों की तरफ ध्यान आकर्षित किया है। 
हाल ही में एलओसी व्यापार संगठन के अध्यक्ष तनवीर अहमद वानी को एनआईए ने गिरफ्तार किया था और उनसे पूछताछ की जा रही है। 
नियंत्रण रेखा के पार कारोबार की शुरुआत 2008 में भारत-पाकिस्तान के बीच विश्वास बहाली उपाय के तौर पर हुई थी लेकिन केंद्र सरकार ने इसके अवैध हथियार, मादक पादर्थ और जाली मुद्रा का जरिया बनने का हवाला देकर पिछले साल अप्रैल में बंद कर दिया था। 
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