यमन में फांसी से बचीं निमिषा प्रिया, भारत के बुजुर्ग धर्मगुरु की पहल लाई राहत
केरल की रहने वाली नर्स निमिषा प्रिया की फांसी की सजा पर फिलहाल रोक लगा दी गई है। उन्हें 16 जुलाई 2025 को यमन में फांसी दी जानी थी, लेकिन भारत के 94 वर्षीय बुजुर्ग धर्मगुरु की कोशिशों के चलते यह फैसला टल गया। इस मानवीय पहल का पूरा श्रेय भारत के प्रमुख सुन्नी मुस्लिम नेता कंथापुरम एपी अबूबकर मुस्लियार को जाता है, जिन्हें 'ग्रैंड मुफ्ती ऑफ इंडिया' के नाम से भी जाना जाता है। उनकी कोशिशों से यमन में मृतक के परिवार से संवाद स्थापित हुआ और माफी का रास्ता खुला।
धार्मिक संवाद से बनी सहमति
कंथापुरम मुस्लियार ने ‘धार्मिक संवाद’ के जरिये इस गंभीर मामले को हल करने की कोशिश की। यमन में वर्षों से यह परंपरा है कि हत्या जैसे मामलों में मृतक के परिवार की अनुमति से 'ब्लड मनी' देकर सजा माफ कराई जा सकती है। इसी परंपरा को ध्यान में रखते हुए निमिषा प्रिया के परिवार ने मृतक परिवार को 8.6 करोड़ रुपये की पेशकश की है ताकि निमिषा की फांसी को टाला जा सके।
कहां और कैसे हुई बातचीत?
यह महत्वपूर्ण बातचीत यमन के धमार शहर में हुई, जहां मृतक तलाल अब्दो महदी के परिवार और यमन के प्रमुख सूफी धर्मगुरु शेख हबीब उमर बिन हाफिज के बीच मुलाकात हुई। कंथापुरम मुस्लियार ने हबीब उमर के माध्यम से मृतक परिवार से संपर्क साधा। क्योंकि मृतक का परिवार भी सूफी परंपरा से जुड़ा हुआ है, इसलिए इस धार्मिक पहल को सम्मान मिला और बातचीत सकारात्मक दिशा में बढ़ी। इसके नतीजतन, यमन के न्याय तंत्र ने फांसी की तारीख टालने का निर्णय लिया।
निमिषा प्रिया पर लगे हैं क्या आरोप?
केरल के पलक्कड़ जिले की रहने वाली नर्स निमिषा प्रिया पर अपने यमन के व्यापारिक साझेदार तलाल अब्दो महदी की हत्या का आरोप है। साल 2020 में उन्हें यमन की अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी। 2023 में उनकी अंतिम अपील खारिज हो गई थी। इस समय वह यमन की राजधानी सना की एक जेल में बंद हैं।
भारत सरकार की भूमिका
भारत सरकार ने भी इस मामले में लगातार प्रयास किए। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया था कि यमन की स्थिति को देखते हुए भारत सीधे हस्तक्षेप नहीं कर सकता, लेकिन हरसंभव कूटनीतिक प्रयास किए जा रहे हैं। अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने अदालत को बताया था कि सरकार वहां के प्रभावशाली धर्मगुरुओं और शेखों के जरिये समाधान निकालने की कोशिश कर रही है।
उम्मीद की किरण
अब जब यमन की अदालत ने फांसी पर पुनर्विचार का संकेत दिया है, निमिषा प्रिया और उनके परिवार को बड़ी राहत मिली है। इस मानवीय प्रयास ने यह साबित कर दिया कि संवाद और धर्म के माध्यम से कई मुश्किल हालात का समाधान संभव है।