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निर्जला एकादशी : शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि, 13 जून,इस दिन भूलकर भी न करें ये 10 काम

इस साल निर्जला एकादशी 13 जून के दिन है। ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष में पडऩे वाली एकादशी को निर्जला एकादशी कहते हैं। ये पूरे साल जो 24 एकादशी होती हैं

11:06 AM Jun 10, 2019 IST | Desk Team

इस साल निर्जला एकादशी 13 जून के दिन है। ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष में पडऩे वाली एकादशी को निर्जला एकादशी कहते हैं। ये पूरे साल जो 24 एकादशी होती हैं

इस साल निर्जला एकादशी 13 जून के दिन है। ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष में पडऩे वाली एकादशी को निर्जला एकादशी कहते हैं। ये पूरे साल जो 24 एकादशी होती हैं उन एकादशियों में सबसे सर्व श्रेष्ठ मानी जाती है। निर्जला एकादशी के दिन बिना पानी पिए और अन्न खाए इस व्रत को किया जाता है। 
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निर्जला एकादशी के व्रत में शेषशायी रूप में विराजमान भगवान विष्णु की अराधना की जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि विष्णु जी की पूजा-अर्चना करते वक्त हमें कुछ जरूरी बातों का हमेशा ध्यान रखना चाहिए। क्योंकि भूल से की गई कुछ गलतियां हो न हो आपके ऊपर ही भाड़ी पड़ सकती है। तो आइए जानते हैं कि ऐसे कौन से काम हैं जिन्हें निर्जला एकादशी के दिन करने से बचना चाहिए।
1.निर्जला एकादशी के दिन विष्णु भगवान की पूजा करने से पुण्य मिलता है। क्योंकि ये व्रत बिना पानी पीए रखा जाता है। इसलिए ब्रम्ह मुहुर्त के बाद से ही पानी नहीं पीना चाहिए। क्योंकि ये त्याग की भावना को दर्शाता है।
2.निर्जला एकादशी के दिन भगवान को धन्यवाद देने के लिए अन्न का भी ग्रहण नहीं करना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि एक दिन आप बिना कुछ खाए अपने हिस्से का अन्न ऐसे जरूरतमंद को दान कर सकते हैं जिसको अन्न की जरूरत है।
3.निर्जला एकादशी का व्रत उन व्रतों में से है जो बहुत पुण्य फल देने वाले व्रत होते हैं। इस दिन अपने मन को भी शुद्घ रखना चाहिए। एकादशी के दिन कभी गलती से भी किसी की बुराई नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने से आपको व्रत का फल कभी नहीं प्राप्त होगा। 
4.इस दिन बड़ों का अपमान भूलकर भी नहीं करना चाहिए। क्योंकि बृहस्पति देव को वरिष्ठ माना जाता है। ऐसे में अगर आप एकादशी के दिन किसी भी बुजुर्ग के साथ गलत शब्दों का प्रयोग करेंगे तो आपका दुर्भाग्य आ सकता है।
5.निर्जला एकादशी ही नहीं बल्कि किसी भी एकादशी के दिन चावल नहीं खाने चाहिए और न ही घर पर चावल बनाने चाहिए। ऐसी मान्यता है कि एकादशी के दिन चावल खाने से प्राणी रेंगने वाले जीव की योनि में जन्म लेता है। 
6.चावल से जुड़ी हुई एक और मान्यता है। ऐसा बोला जाता है कि चावल का संबंध पानी से है और पानी चंद्रमा से प्रेरित  होता है। एकादशी के दिन चावल खाने से पांचों ज्ञान इन्द्रियां और पांचों कर्म इन्द्रियों का मन पर अधिकार नहीं रहता है।
7.एकादशी के दिन भूखे-प्यासे रहने के पीछे शास्त्रों द्घारा बताई गई महत्वपूर्ण बात यह है कि एकादशी के दिन शरीर में पानी की मात्र जितनी कम रहेगी। आपको व्रत पूरा करने में उतनी ही ज्यादा सात्विकता रहेगी।
8.महाभारत काल में भी वेदों का विस्तार करने वाले भगवान व्यास ने पांडव के बेटे भीम को निर्जला एकादशी व्रत रखने का सुझाव दिया था। इस व्रत को स्त्री-पुरुष कोई भी रख सकता है।
9.एकादशी के व्रत के दिन साफ-सफाई का खास ध्यान रखना चाहिए। इस दिन घर में कूड़े का ढ़ेर इकट्ठा नहीं करना चाहिए। क्योंकि ऐसा होने पर आपके घर में मां लक्ष्मी नहीं टिकेंगी। 
10.अगर आप निर्जला एकादशी का व्रत करते हैं तो ध्यान रहें आपको दिन में सोने से बचना चाहिए। क्योंकि ये दिन विष्णु भगवान की पूजा के लिए होता है और भगवान विष्णु शयनासन की अवस्था में होते हैं। ऐसे में अगर आप सोते हैं तो इसका अर्थ हुआ आप भगवान विष्णु का आपमान कर रहें हैं। 

जाने एकादशी का शुभ मुहूर्त

एकादशी तिथि आरंभ: 12 जून को शाम 6.27 बजे
एकादशी तिथि समाप्त: 13 जून को शाम 4.49 बजे
एकादशी व्रत: 13 जून 2019 को
व्रत पारण मुहूर्त: 14 जून को सुबह 6.04 बजे से 8.42 के बीच
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