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नीतीश ने जल-जीवन-हरियाली अभियान की 1650.54 करोड़ रुपए की योजनाओं का किया शिलान्यास, उदघाटन

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जल-जीवन-हरियाली अभियान की 1650.54 करोड़ रुपए की योजनाओं का शनिवार को शिलान्यास और उद्घाटन किया।

07:23 PM Oct 26, 2019 IST | Shera Rajput

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जल-जीवन-हरियाली अभियान की 1650.54 करोड़ रुपए की योजनाओं का शनिवार को शिलान्यास और उद्घाटन किया।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जल-जीवन-हरियाली अभियान की 1650.54 करोड़ रुपए की योजनाओं का शनिवार को शिलान्यास और उद्घाटन किया। 
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पटना के सम्राट अशोक कन्वेंशन केंद्र स्थित ज्ञान भवन में जल-जीवन-हरियाली अभियान अन्तर्गत 1359.27 करोड़ रुपए की 32,781 योजनाओं का शिलान्यास एवं 291.27 करोड़ रुपए की 2,391 योजनाओं का उद्घाटन करते हुए नीतीश ने कहा कि इस अभियान के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण के लिए काम किया जायेगा। 
उन्होंने कहा कि जल-जीवन-हरियाली अभियान के अंतर्गत 11 अवयवों को शामिल किया गया है। 
नीतीश ने कहा कि जल-जीवन-हरियाली अभियान को मिशन मोड में चलाया जाएगा। उसके लिए जागरुकता अभियान भी चलाया जाएगा। संसदीय कार्य मंत्री के नेतृत्व में राज परामर्शदात्री समिति का गठन किया गया है, जिसमें बिहार विधानसभा अध्यक्ष के द्वारा 15 विधायकों का मनोनयन किया जाएगा और बिहार विधान परिषद के सभापति के द्वारा पांच विधान पार्षदों का मनोनयन किया जाएगा। 
उन्होंने कहा कि इस समिति में अधिकारी भी रहेंगे। साथ ही मुख्य सचिव की अध्यक्षता में जल-जीवन-हरियाली अभियान के एक-एक काम की मॉनिटरिंग की जा रही है। बिहार विकास मिशन के शासी निकाय द्वारा इसका अनुश्रवण भी किया जाएगा। 
नीतीश ने कहा कि पर्यावरण में असंतुलन पैदा हो रहा है, जिससे जलवायु परिवर्तन संबंधित कई समस्याएं हो रही हैं। धरती के किसी भी हिस्से में पर्यावरण से छेड़छाड़ होने का असर पृथ्वी के दूसरे भागों में भी जलवायु परिवर्तन के रूप में देखने को मिल रहा है। 
उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में जलवायु परिवर्तन की वजह से ग्लोबल वार्मिंग की स्थिति पैदा हो रही है, ग्लेशियर सिकुड़ रहे हैं, रेगिस्तान का फैलाव बढ़ता जा रहा है। 
नीतीश ने कहा कि बिहार में ऐसी कोई गतिविधि नहीं हो रही है जिससे पर्यावरण संकट हो लेकिन यहां भी जलावायु परिवर्तन के असर दिख रहे हैं। वर्ष 2007 में 22 जिलों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हुई थी, वर्ष 2008 में कोसी त्रासदी हुई, वर्ष 2016 में गंगा नदी के जलस्तर में वृद्धि होने से इसके आसपास के क्षेत्र प्रभावित हुए, वर्ष 2017 में फ्लैश फ्लड की स्थिति बनी थी। वर्ष 2018 में 280 प्रखंड में सुखाड़ की स्थिति पैदा हुई थी। 
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