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एक दौर वो भी जब पाकिस्तान में गूंजा था नीतीश कुमार का नाम, आखिर क्यों चर्चा का विषय बने थे बिहार के CM?

01:58 PM Dec 08, 2025 IST | Amit Kumar
Nitish Kumar Pakistan Influence ( credit S-M)

Nitish Kumar Pakistan Influence: एक समय था जब देशभर में विकास मॉडल को लेकर बहस तेज रहती थी। जहां एक तरफ गुजरात मॉडल चर्चा में था, वहीं दूसरी तरफ बिहार मॉडल भी सुर्खियों में था। 2005 के बाद नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार ने कानून व्यवस्था, प्रशासनिक सुधार, महिलाओं की भागीदारी और आर्थिक वृद्धि के क्षेत्र में जो काम किए, उसने राज्य की छवि पूरी तरह बदल दी। यही वजह थी कि उनके ‘सुशासन’ की गूंज देश से निकलकर पड़ोसी देश पाकिस्तान तक भी पहुंची।

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Nitish Kumar Pakistan Influence: पाकिस्तान में उम्मीदों से भरा स्वागत

8 नवंबर 2012 को जब उस समय के बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पाकिस्तान पहुंचे, तो माहौल सामान्य राजनीतिक दौरे जैसा बिल्कुल नहीं था। कराची एयरपोर्ट पर उनका स्वागत ऐसे हुआ जैसे किसी ऐसे नेता का स्वागत हो जिसने अपने राज्य की किस्मत बदल कर नए मानक स्थापित किए हों। एयरपोर्ट पर लगे पोस्टरों में लिखा था, “Welcome Nitish Kumar – Architect of Bihar’s Growth.” यह सिर्फ औपचारिकता नहीं बल्कि इस बात का प्रतीक था कि बिहार मॉडल ने पाकिस्तान के लोगों के बीच भी जिज्ञासा पैदा की थी। कई जगहों पर लोग हाथों में बैनर लिए नज़र आए, जिन पर लिखा था, “बिहार जैसे शासन का सूत्र क्या है?”

Pakistan Media on Nitish Kumar: इमरान खान से अनौपचारिक मुलाकात

इस यात्रा का सबसे यादगार क्षण था इमरान खान से नीतीश कुमार की अनौपचारिक बातचीत। यह मुलाकात किसी सख्त प्रोटोकॉल के तहत नहीं बल्कि दो नेताओं की सहज और खुली चर्चा की तरह हुई। बातचीत के दौरान इमरान खान ने कहा था कि बिहार जैसे आर्थिक रूप से कमजोर राज्य को विकास के रास्ते पर लाना एक बड़ी उपलब्धि है और पाकिस्तान के लिए प्रेरक भी। उनका यह बयान दोनों देशों की मीडिया में खूब छाया रहा।

Nitish Kumar Pakistan Influence ( credit S-M)

इतिहास और संस्कृति की धरोहर से जुड़ाव

दौरे के दौरान नीतीश कुमार ने मोहनजोदड़ो, टैक्सिला, गुरुद्वारा डेरा साहिब और डेटा दरबार जैसे ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों का भी भ्रमण किया। लाहौर में एक बुजुर्ग ने उन्हें गले लगाकर कहा, “आप भारत से नहीं, पटना से आए हैं… हमारी साझा कहानी वहीं से शुरू होती है।” यह पल दर्शाता है कि यह यात्रा सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक जोड़ का माध्यम भी बन गई थी।

बिहार मॉडल पर गहन चर्चा

कराची और इस्लामाबाद में व्यापारियों, सांसदों और सामाजिक संगठनों के साथ हुई बैठकों में नीतीश कुमार से लगातार सवाल पूछे गए, बिहार में अपराध कैसे कम हुआ? महिलाओं को 50% आरक्षण देने का अनुभव कैसा रहा? सड़क, शिक्षा और कृषि सुधार साथ-साथ कैसे चलाए गए? जवाब में नीतीश कुमार ने कहा“अच्छा शासन ही विकास का असली इंजन है।” उन्होंने व्यापारिक समूहों को बिहार के कृषि उत्पाद, हस्तशिल्प और आईटी सेक्टर को पाक बाजार से जोड़ने की संभावनाएं भी बताईं।

Nitish Kumar Pakistan Influence ( credit S-M)

एक राजनीतिक नहीं, मानवीय यात्रा

16 नवंबर को यात्रा समाप्त करते समय नीतीश कुमार ने कहा था कि यह सिर्फ राजनीतिक यात्रा नहीं बल्कि भावनात्मक अनुभव था। पाकिस्तान की मेहमाननवाज़ी और लोगों की अपनत्व भरी प्रतिक्रिया उनके लिए अविस्मरणीय रही। एक्सपर्ट मानते हैं कि इस दौरे ने एक अनोखा उदाहरण पेश किया, जहां एक भारतीय मुख्यमंत्री ने सीमा पार सम्मान पाया और विकास मॉडल पर चर्चा ने दोनों देशों के बीच एक सकारात्मक माहौल पैदा किया।

Nitish Kumar political History: CM नीतीश का राजनीतिक सफर

बिहार की राजनीति में चाणक्य के नाम से पहचाने जाने वाले नीतीश कुमार एक अनुभवी और समाजवादी विचारधारा वाले नेता हैं। सोशल इंजीनियरिंग और सुशासन की छवि ने उन्हें तीन बार बिहार का मुख्यमंत्री बनने का अवसर दिया। पटना इंजीनियरिंग कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग करने वाले नीतीश का जन्म 1951 में एक साधारण परिवार में हुआ था। उनके पिता स्वतंत्रता सेनानी थे और वे परिवार में ‘मुन्ना’ नाम से जाने जाते थे।

Nitish Kumar Pakistan Influence ( credit S-M)

राजनीति की सीख उन्होंने जयप्रकाश नारायण, लोहिया, कर्पूरी ठाकुर और जॉर्ज फर्नांडिस जैसे नेताओं से ली। 1973 में उन्होंने इंजीनियर मंजू सिन्हा से विवाह किया और उनका एक पुत्र है। नीतीश की राजनीतिक यात्रा 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ने से शुरू हुई। 1985 में वे पहली बार विधायक बने और 1987 में युवा लोकदल के अध्यक्ष। बाद में वे जनता दल के महासचिव बने और 1989 में पहली बार लोकसभा पहुंचे।

उन्होंने केंद्रीय मंत्री के रूप में कृषि, सहकारी, रक्षा समिति सदस्य, रेलवे और कृषि मंत्रालय का कार्यभार संभाला। 2000 में पहली बार और 2005, 2010 तथा आगे कई बार बिहार के मुख्यमंत्री बने। एनडीए से पुराने रिश्ते तोड़ने के बाद वे नई राजनीतिक संभावनाएँ तलाशते रहे और आज भी बिहार की राजनीति में उनका प्रभाव मजबूत माना जाता है।

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