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शपथ लेने के बाद नीतीश की गेम पॉलिटिक्स शुरू, मोदी के खिलाफ कर सकते हैं ये बड़ा काम

बिहार के मुख्यमंंत्री नीतीश कुमार शपथ लेने के बाद अब राजनीति का खेल खेलने की कोशिश कर में जुटे हैं। उनका अगला कदम क्या होगा? इस बात का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता, लेकिन उन्होंने एक बयान में कहा है कि 2014 में जीतने वाले क्या फिर 2024 में फिर विजयी होंगे।

05:54 PM Aug 10, 2022 IST | Desk Team

बिहार के मुख्यमंंत्री नीतीश कुमार शपथ लेने के बाद अब राजनीति का खेल खेलने की कोशिश कर में जुटे हैं। उनका अगला कदम क्या होगा? इस बात का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता, लेकिन उन्होंने एक बयान में कहा है कि 2014 में जीतने वाले क्या फिर 2024 में फिर विजयी होंगे।

बिहार के मुख्यमंंत्री नीतीश कुमार शपथ लेने के बाद अब राजनीति का खेल खेलने की कोशिश में जुटे हैं। उनका अगला कदम क्या होगा? इस बात का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता, लेकिन उन्होंने एक बयान में कहा है कि 2014 में जीतने वाले क्या फिर 2024 में फिर विजयी होंगे। नीतीश ने कहा कि वह प्रधानमंत्री सहित इस तरह के किसी पद के उम्मीदवार नहीं हैं और वह चाहेंगे कि विपक्ष 2024 के आम चुनाव के लिए एकजुट हो। इससे सीएम नीतीश का साफ इशारा देखा जा रहा है कि भविष्य में नीतीश कुमार विपक्ष को एकजुट होता देखना चाहते हैं। 
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नीतीश जैसा ही राजनीतिक संदेश पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने भी देने की कोशिश की है। उन्होंने कहा है कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में जदयू और लालू प्रसाद यादव की राजद के एक साथ आने से उन्हें पुराने दिन याद आ गए जब वे सभी एक साथ थे। नीतीश और देवेगौड़ा के बयान से साफ है कि वे विपक्ष को एकजुट करना चाहते हैं, जिसमें पुराना जनता परिवार सबसे बड़ी कड़ी साबित हो सकता है। 
भाजपा को चुनौति देने की तैयारी में नीतीश 
भाजपा को अकेले चुनौति देना किसी भी विपक्षी पार्टी की बसकी बात नहीं है। देश में भाजपा के पास काफी बहुमत है और ऐेसे में पार्टी से टक्कर लेना एक तरह की मजाक करना है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्ष को एकजुट कर केन्द्र की भाजपा को चुनौति देने के संकेत दे रहे हैं। नीतीश ने कहा कि वह प्रधानमंत्री सहित इस तरह के किसी पद के उम्मीदवार नहीं हैं और वह चाहेंगे कि विपक्ष 2024 के आम चुनाव के लिए एकजुट हो।
दरअसल देवेगौड़ा जिस पुराने जनता परिवार की बात कर रहे हैं यानी जनता दल। उस जनता दल में 90 के दशक में वीपी सिंह, मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार, देवीलाल जैसे नेता शामिल थे। लेकिन बाद में जनता दल बिखर गया और उसके सभी प्रमुख नेता अपने-अपने क्षेत्रों के क्षत्रप बन गए। 1990 के दशक में, जब केंद्र में किसी एक राजनीतिक दल को बहुमत नहीं मिल रहा था, गठबंधन का युग शुरू हुआ और इस कड़ी में तीन प्रधान मंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह, एचडी देवगौड़ा और इंदर कुमार गुजराल जनता दल से उभरे। जबकि देवीलाल उपप्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री बने। जबकि मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार, बीजू पटनायक अपने-अपने गृह राज्यों में मुख्यमंत्री बने।
विपक्ष को एकजुट करना नीतीश के लिए बड़ी चुनौैति 
सक्रिय राजनीति से दूर रहे देवेगौड़ा का उत्साह इसलिए दिखाई दे रहा है क्योंकि उन्हें उम्मीद है कि नीतीश कुमार जनता दल के पुराने कबीले में शामिल हो सकते हैं। क्योंकि नीतीश कुमार के साथ मुलायम सिंह यादव के बेटे अखिलेश यादव, लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव, देवेगौड़ा के बेटे एचडी कुमारस्वामी और बीजू पटनायक के बेटे नवीन पटनायक एक होने की कड़ी साबित हो सकते हैं। ऐसे में अगर नीतीश कुमार को बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कड़ी चुनौती देनी है तो इस दल को एकजुट करना उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी। 
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