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पंजाब में अब कोई बच्चा नहीं मांगेगा भीख, DNA से रिश्तों की पहचान करेगी सरकार

01:56 PM Jul 21, 2025 IST | Neha Singh
Punjab Government

Punjab: पंजाब की मान सरकार की एक बड़ी पहल समाज में लगातार बदलाव ला रही है। राज्य सरकार ने राज्य में 'ऑपरेशन जीवनज्योत' शुरू किया है। इसके तहत सड़कों पर भीख मांगने वाले बच्चों के हाथों में किताबें पहुंचाने का सपना देखा गया और सरकार इसमें काफी हद तक कामयाब होती दिख रही है। पिछले नौ महीनों में पंजाब की गलियों, चौराहों और धार्मिक स्थलों से 367 बच्चों को बचाया गया है। बचाए गए 350 बच्चों को उनके परिवारों तक सुरक्षित पहुंचाया गया और जिन 17 बच्चों के परिवारों का पता नहीं चल पाया, उन्हें बाल गृहों में सुरक्षित रखा गया।

Punjab: 183 बच्चों का स्कूलों में दाखिला कराया गया

इनमें से 183 बच्चों का स्कूलों में दाखिला कराया गया और 13 छोटे बच्चों को आंगनवाड़ी केंद्रों में शामिल किया गया। साथ ही, आर्थिक रूप से कमज़ोर परिवारों के 30 बच्चों को 4,000 रुपये प्रति माह की सहायता दी जा रही है, ताकि वे अपनी पढ़ाई जारी रख सकें। वहीं, 16 बच्चों को पेंशन योजनाओं से जोड़ा गया और 13 बच्चों को स्वास्थ्य बीमा कवर प्रदान किया गया। इसके साथ ही, इन बच्चों की स्थिति पर भी नज़र रखी जा रही है। ज़िला बाल संरक्षण इकाइयां हर तीन महीने में जांच करती हैं कि ये बच्चे अपनी पुरानी ज़िंदगी में वापस लौटे हैं या नहीं। हालाँकि, अब तक 57 बच्चे ऐसे हैं जो फ़ॉलो-अप में नहीं मिल पाए हैं। इसी वजह से, प्रोजेक्ट जीवनज्योत-2 शुरू किया गया है।

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Punjab Government Anti Begging Plan

Punjab: डीएनए जांच भी की जा रही है

इसके तहत अब बच्चों के साथ मिले वयस्कों का डीएनए परीक्षण किया जा रहा है, ताकि बच्चे के असली माता-पिता का पता लगाया जा सके। अभियान के तहत 17 जुलाई को राज्य भर में 17 छापों में 21 बच्चों को बचाया गया, जिनमें से 13 मोहाली, 4 अमृतसर और बाकी बरनाला, मानसा और फरीदकोट से थे। डीएनए परीक्षण के लिए बठिंडा में 20 बच्चों की पहचान की गई है।

Punjab: बच्चों का जीवन खराब करने वालों पर होगी कार्रवाई

कानूनी तौर पर, अगर कोई व्यक्ति किसी बच्चे को भीख मांगने के लिए मजबूर करता है या मानव तस्करी में लिप्त पाया जाता है, तो उसे 5 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है। वहीं, अगर कोई माता-पिता अपने बच्चे को बार-बार इस कुचक्र में धकेलता है, तो उसे 'अयोग्य माता-पिता' घोषित किया जा सकता है और राज्य उस बच्चे की देखभाल कर सकता है।

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