For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

'किसानों के हितों से समझौता नहीं...', भारत ने डेयरी सेक्टर पर अमेरिका को दी नसीहत!

09:09 PM Jul 15, 2025 IST | Amit Kumar
 किसानों के हितों से समझौता नहीं      भारत ने  डेयरी सेक्टर पर अमेरिका को दी नसीहत
India-US Trade Deal

भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित व्यापार समझौते (India-US Trade Deal) को लेकर एक बार फिर से बातचीत तेज हो गई है. भारतीय प्रतिनिधिमंडल वाशिंगटन पहुंच चुका है और उम्मीद की जा रही है कि 1 अगस्त 2025 से पहले कोई बड़ा ऐलान हो सकता है, जो अमेरिकी टैरिफ लागू होने की तारीख है.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस डील में सबसे बड़ी अड़चन कृषि और डेयरी क्षेत्र से जुड़ी मांगों को लेकर है. अमेरिका चाहता है कि भारत अपने डेयरी और कृषि बाजार को अमेरिकी उत्पादों के लिए खोले. लेकिन भारत सरकार इस पर सख्त रुख अपनाए हुए है और साफ कह चुकी है कि वह किसानों के हितों से कोई समझौता नहीं करेगी.

SBI रिपोर्ट का बड़ा खुलासा

भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की एक ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, यदि भारत डेयरी सेक्टर को अमेरिका के लिए खोलता है, तो इसका सीधा असर करीब 8 करोड़ किसानों पर पड़ेगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे भारतीय किसानों को सालाना 1.03 लाख करोड़ रुपये तक का नुकसान हो सकता है.

डेयरी क्षेत्र का योगदान

भारत में डेयरी उद्योग ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार का एक बड़ा जरिया है और देश की सकल मूल्य संवर्धन (GVA) में इसका 2.5-3% योगदान है, जो करीब 7.5 से 9 लाख करोड़ रुपये के बराबर है. करीब 8 करोड़ लोग सीधे तौर पर इस क्षेत्र से जुड़े हुए हैं.

दूध के दामों पर असर और किसानों..

अगर अमेरिका से डेयरी उत्पाद भारत में आने लगते हैं, तो दूध की कीमतों में 15 से 20 फीसदी तक की गिरावट हो सकती है. सिर्फ 15% की गिरावट से ही देश में डेयरी से होने वाला कुल रेवेन्यू करीब 1.8 लाख करोड़ रुपये घट जाएगा. इसमें से करीब 60% यानी 1.03 लाख करोड़ रुपये का नुकसान सीधे किसानों को उठाना पड़ सकता है.

छोटे किसानों की आजीविका पर संकट

SBI रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी डेयरी उत्पादों को भारी सब्सिडी मिलती है. अगर ऐसे उत्पाद भारतीय बाजार में आए, तो छोटे और सीमांत किसान, जो पूरी तरह से डेयरी पर निर्भर हैं, उनकी आजीविका पर गंभीर असर पड़ेगा. इसके साथ ही दूध का आयात 2.5 करोड़ टन प्रतिवर्ष तक बढ़ सकता है.

अन्य विशेषज्ञों की राय

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की एक रिपोर्ट में भी यही चिंता जताई गई है. GTRI का कहना है कि अमेरिका के डेयरी, पोल्ट्री, जीएम सोया और चावल जैसे उत्पाद, जो भारी सब्सिडी के साथ आते हैं, भारतीय कृषि के लिए गंभीर खतरा बन सकते हैं. इससे भारत की खाद्य सुरक्षा भी कमजोर हो सकती है.

सरकार का स्पष्ट रुख: कोई समझौता नहीं

भारत सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह दबाव में आकर कोई फैसला नहीं लेगी. वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि यह समझौता तभी होगा जब दोनों देशों के लिए फायदेमंद हो. वहीं कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि भारतीय किसानों के हितों से समझौता नहीं किया जाएगा और वही इस डील का आधार होगा.

यह भी पढ़ें-यमन में फांसी से बचीं निमिषा प्रिया, भारत के बुजुर्ग धर्मगुरु की पहल लाई राहत

Advertisement
Advertisement
Author Image

Amit Kumar

View all posts

Advertisement
×