Nobel Prize 2025 Winners: इन 3 वैज्ञानिकों ने चिकित्सा में हासिल किया नोबेल प्राइज
Nobel Prize 2025 Winners: नोबेल समिति ने 6 अक्टूबर यानी आज चिकित्सा के क्षेत्र में इस साल के पुरस्कार की घोषणा की। यह प्रतिष्ठित सम्मान अमेरिका की मैरी ई. ब्रंकॉ, फ्रेड राम्सडेल और जापान के शिमोन साकागुची को संयुक्त रूप से दिया गया है। इन वैज्ञानिकों को यह पुरस्कार 'पेरिफेरल इम्यून टॉलरेंस' यानी शरीर की बाहरी प्रतिरक्षा प्रणाली में सहनशीलता से जुड़ी उनकी अहम खोज के लिए मिला है।
Nobel Prize 2025 Winners: क्या है 'पेरिफेरल इम्यून टॉलरेंस'?
पेरिफेरल इम्यून टॉलरेंस एक ऐसी जैविक प्रक्रिया है, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को अपने ही स्वस्थ अंगों और ऊतकों पर हमला करने से रोकती है। यह सहनशीलता हमारे शरीर में खुद की कोशिकाओं को सुरक्षित बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यदि यह प्रक्रिया सही से काम न करे, तो शरीर को ऑटोइम्यून बीमारियाँ हो सकती हैं, जैसे कि टाइप 1 डायबिटीज, मल्टीपल स्क्लेरोसिस और रूमेटॉइड आर्थराइटिस।

Nobel Prize in Medicine: फॉक्सपी3 जीन की खोज और भूमिका
1990 के दशक में मैरी ब्रंकॉ ने फॉक्सपी3 (FOXP3) जीन की पहचान की। इसके बाद राम्सडेल और साकागुची ने इस जीन के कार्यों को विस्तार से समझाया। उन्होंने पाया कि यह जीन शरीर में रेग्युलेटरी टी कोशिकाओं (Tregs) को नियंत्रित करता है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को संतुलन में रखने का काम करती हैं। ये कोशिकाएं यह सुनिश्चित करती हैं कि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अपने ही अंगों को हानि न पहुंचाए।
Nobel Prize 2025: कैंसर और ट्रांसप्लांट में क्रांतिकारी खोज
इस खोज से चिकित्सा विज्ञान में नई राहें खुलीं। विशेष रूप से कैंसर इम्यूनोथेरेपी और अंग प्रत्यारोपण (Organ Transplant) के क्षेत्र में इसका बड़ा प्रभाव पड़ा है। अब वैज्ञानिक शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को नियंत्रित कर कैंसर के खिलाफ लड़ाई को और प्रभावी बना रहे हैं। साथ ही, ट्रांसप्लांट के समय अंग अस्वीकृति को रोकने के लिए भी यह तकनीक मददगार है।

BREAKING NEWS
The 2025 #NobelPrize in Physiology or Medicine has been awarded to Mary E. Brunkow, Fred Ramsdell and Shimon Sakaguchi “for their discoveries concerning peripheral immune tolerance.” pic.twitter.com/nhjxJSoZEr— The Nobel Prize (@NobelPrize) October 6, 2025
इलाज में इस्तेमाल हो रही नई दवाएं
तीनों वैज्ञानिकों ने यह सिद्ध किया कि प्रतिरक्षा प्रणाली की सहनशीलता सिर्फ केंद्रीय (central) स्तर पर नहीं, बल्कि शरीर के बाहरी हिस्सों में भी जरूरी है। आज उनकी खोज के आधार पर बनी Tregs थेरेपी का उपयोग ऑटोइम्यून बीमारियों के इलाज में किया जा रहा है। इससे रोगियों को ज्यादा प्रभावी और सुरक्षित इलाज मिल रहा है।

चिकित्सा विज्ञान के लिए मील का पत्थर
नोबेल समिति ने कहा कि यह खोज मानव स्वास्थ्य के लिए बेहद उपयोगी साबित हुई है। इससे न केवल गंभीर बीमारियों के इलाज में मदद मिल रही है, बल्कि भविष्य में नई दवाओं और उपचार विधियों के विकास का रास्ता भी खुला है। वैज्ञानिकों ने इस खोज को इम्यूनोलॉजी (प्रतिरक्षा विज्ञान) के इतिहास में एक बड़ी उपलब्धि माना है।

पुरस्कार राशि और सम्मान
तीनों वैज्ञानिकों को संयुक्त रूप से लगभग 1.1 करोड़ स्वीडिश क्रोना (करीब 10 लाख अमेरिकी डॉलर) की पुरस्कार राशि दी जाएगी। यह पुरस्कार चिकित्सा जगत में प्रतिरक्षा प्रणाली की सहनशीलता की महत्ता को उजागर करता है।
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