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नोएडा मुआवजा घोटाला: SIT करेगी 1198 फाइलों की दोबारा जांच

नोएडा मुआवजा घोटाले में एसआईटी करेगी 15 वर्षों की फाइलों की जांच

02:07 AM Feb 19, 2025 IST | IANS

नोएडा मुआवजा घोटाले में एसआईटी करेगी 15 वर्षों की फाइलों की जांच

नोएडा मुआवजा घोटाला  sit करेगी 1198 फाइलों की दोबारा जांच

नोएडा प्राधिकरण के गेझा तिलपताबाद गांव में अतिरिक्त मुआवजा वितरण घोटाले की जांच के लिए विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने मंगलवार को नोएडा अथॉरिटी के दफ्तर का दौरा किया। एसआईटी टीम ने करीब छह घंटे तक नोएडा अथॉरिटी में रहकर लैंड एक्विजिशन प्रक्रिया का अध्ययन किया।

जांच में शामिल एसआईटी की तीन सदस्यीय टीम में एडीजी एस.बी. शिरोडकर, सीबी-सीआईडी के आईजी एम. राजेश पी. राव और डीआईजी हेमंत कुटियाल शामिल हैं। इस दौरान नोएडा अथॉरिटी के सीईओ, चीफ लैंड एक्विजिशन ऑफिसर (सी एल ए) और लैंड विभाग के अधिकारी एसआईटी के साथ मौजूद रहे।

एसआईटी अब 2009 से 2023 तक के कुल 15 वर्षों में हुए अतिरिक्त मुआवजा वितरण की 1,198 फाइलों की दोबारा जांच करेगी। इन फाइलों में मुआवजे के वितरण में अनियमितताओं का पता चला है, जिससे प्राधिकरण को करीब 117 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर प्रदेश सरकार ने एसआईटी का गठन किया था, क्योंकि पहले की जांच रिपोर्ट में यह पाया गया कि नोएडा प्राधिकरण के तीन अधिकारियों ने मिलकर इस घोटाले को अंजाम दिया। रिपोर्ट में कहा गया कि किसानों से समझौता कर अनियमित रूप से मुआवजा अधिक दिया गया था।

एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में 12 प्रकरणों के अलावा आठ नए मामलों का भी खुलासा किया, जिसमें मुआवजा ज्यादा दिया गया। इससे पहले, एसआईटी की जांच में 20 मामलों में मुआवजा वितरण में गड़बड़ी पाई गई थी, जबकि बाकी मामलों में मुआवजा वितरण सही पाया गया था। इन 20 मामलों में प्रमुख तौर पर गेझा तिलपताबाद और भूड़ा गांव के किसानों को अनियमित रूप से अतिरिक्त मुआवजा दिया गया।

एसआईटी की जांच में पाया गया कि प्राधिकरण ने किसानों से समझौते किए, जबकि कोई विधिक बाध्यता नहीं थी। इसके अलावा, कुछ अधिकारियों ने तथ्यों को छिपाकर और किसानों से मिलीभगत करके अतिरिक्त मुआवजा राशि का वितरण किया।

यह मामला 2009 से 2023 तक के विभिन्न गांवों और किसानों से जुड़ा है, जिसमें प्राधिकरण की ओर से गलत तरीके से मुआवजा वितरण किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने पहले इस मामले की जांच के लिए आदेश दिए थे, जिसके बाद प्रदेश सरकार ने एसआईटी का गठन किया था। अब इस जांच के बाद यह स्पष्ट हो जाएगा कि दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ क्या कदम उठाए जाएंगे।

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