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अब डिजिटल वोटर आई कार्ड

हमने वह दौर भी देखा जब बड़े-बड़े मतपत्रों के माध्यम से चुनावों में मतदान होता था। मतपत्रों पर पसंदीदा उम्मीदवार के चुनाव चिन्ह पर मुहर लगाने के बाद उसे फोल्ड कैसे करना है

12:45 AM Dec 13, 2020 IST | Aditya Chopra

हमने वह दौर भी देखा जब बड़े-बड़े मतपत्रों के माध्यम से चुनावों में मतदान होता था। मतपत्रों पर पसंदीदा उम्मीदवार के चुनाव चिन्ह पर मुहर लगाने के बाद उसे फोल्ड कैसे करना है

हमने वह दौर भी देखा जब बड़े-बड़े मतपत्रों के माध्यम से चुनावों में मतदान होता था। मतपत्रों पर पसंदीदा उम्मीदवार के चुनाव चिन्ह पर मुहर लगाने के बाद उसे फोल्ड कैसे करना है, इसके लिए मतदाताओं को जागरूक करने के लिए निर्वाचन आयोग से लेकर राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता जुटे रहते थे। अगर मतपत्र गलत ढंग से फोल्ड हो जाए तो आपके द्वारा लगाई गई मुहर की स्याही दूसरे उम्मीदवार के चुनाव चिन्ह पर लग जाती, परिणामस्वरूप आपका बहुमूल्य वोट रद्द हो जाता। जैसे-जैसे प्रौद्योगिकी का​ विकास हुआ, वैसे-वैसे मतदान और मतगणना की प्रक्रिया ही बदल गई। अब भारत लगातार डिजिटल हो रहा है। अब मतदान ईवीएम मशीनों से होता है आैर मतगणना भी आसान हो गई है।
मतपत्रों से गणना में काफी समय और श्रम लगता था, लोग दो-दो दिन तक मतगणना केन्द्रों के बाहर जमे रहते थे। अब ईवीएम मशीनों से मतगणना होती है तो तीन-चार घंटों में ही विजेता का फैसला हो जाता है। रुझान तो घंटे भर में ही आ जाते हैं। अब चुनाव आयोग मोदी सरकार के डिजिटल इंडिया अभियान को आगे बढ़ाते हुए वोटर कार्ड को भी डिजिटल फार्मेट में लाने पर विचार कर रहा है। अगर ऐसा होता है तो इससे देश के मतदाताओं को बड़ा लाभ मिलेगा, क्योंकि लाइन में लगने और इधर-उधर की भाग-दौड़ से मुक्ति मिलेगी। निर्वाचन आयोग वोटर कार्ड को डिजिटल फार्मेट में बदलने की योजना पर काम कर रहा है। आने वाले समय में मतदाता आधार कार्ड की तरह वोटर आई डी को भी डिजिटल फार्मेट में अपने पास रख सकेंगे। जब आधार कार्ड, पैन और ड्राइविंग लाइसैंस डिजिटल मोड पर उपलब्ध हैं तो फिर डिजिटल वोटर आई कार्ड में क्या मुश्किल है। निर्वाचन आयोग फैसला लेने से पहले अधिकारियों, राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों और जनता से सुझाव ले रहा है। इसका अर्थ यही होगा कि डिजिटल वोटर आई कार्ड आपके मोबाइल में होगा। अब वोटर आई कार्ड को प्रिंट करने और लोगों तक पहुंचाने में समय लगता है। अगर डिजिटल वोटर कार्ड का फैसला होता है तो मोबाइल, वेबसाइट या ईमेल के माध्यम से डाउनलोड किया जा सकेगा। इससे लम्बी प्रक्रिया से मु​क्ति मिलेगी। वोटर आई कार्ड पहली बार 1993 में शुरू किए गए थे आैर इन्हें पहचान और पते का पुराना प्रमाण माना जाता है। निर्वाचन आयोग को डिजिटल वोटर आई कार्ड प्रौद्योगिकी के दुरुपयोग को रोकने के लिए ठोस व्यवस्था बनानी होगी। जब लोग मोबाइल से रेलवे, हवाई, सिनेमा टिकट बुक करवा रहे हैं, जब इन व्यवस्थाओं में दुरुपयोग नहीं हो रहा तो वोटर आई कार्ड  के डिजिटल फार्मेट में भी दुरुपयोग की आशंका नहीं होनी चाहिए। वोटर आई कार्ड भी ओटीपी के आने के बाद ही डाउनलोड किया जा सकेगा।
भारत के डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के पांच वर्ष पूरे हो चुके हैं। देश की डिजिटल यात्रा ने सशक्तिकरण, समावेश और ​डिजिटल परिवर्तन पर ध्यान केन्द्रित किया है और इसका सकारात्मक प्रभाव भारतीय नागरिकों के जीवन के सभी पहलुओ   में महसूस किया जा रहा है। कोरोना महामारी में भी डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के कारण लोग घर से काम करने, ​डिजिटल पेमेंट करने, छात्र टेलीविजन, मोबाइल, लैपटाप से शिक्षा प्राप्त करने, मरीज टेली परामर्श लेने तथा भारत के सुदूर क्षेत्र के किसान सीधे अपने बैंक खातों में पीएम किसान योजना का लाभ प्राप्त करने में सक्षम रहे हैं। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम ने आधार, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण, कामन सर्विस सैंटर, डि​जीलॉकर और अन्य सेवाओं के माध्यम से शासन लोगों के बहुत करीब पहुंचा है।
2014 में ई-सेवाओं की संख्या 2,463 थी जो 2020 तक 3,858 हो गई है। 2014 में दैनिक औसत इलैक्ट्रानिक लेन-देन 66 लाख रुपए से बढ़कर वर्ष 2020 में 16.3 करोड़ रुपए हो गया। अब तक 125.7 करोड़ नागरिकों को आधार जारी किया जा चुका है और 4,216 करोड़ प्रभावीकरणों को सुगम बनाया गया है। भारत सरकार के 56 मंत्रालयों की 426 योजनाओं के तहत 11.1 लाख करोड़ का प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के तहत वितरित किया गया है जिससे 1.7 लाख करोड़ की बचत हुई है। अब भारत में कारोबार करना पहले से ही अधिक सुगम हो गया है। अब डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के लिए मुख्य फोकस ईज आफ डूइंग बिजनेस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर है।  
अब समय आ गया है कि हम नई प्रौद्योगिकी से आत्मसात करें और अपना जीवन सहज और सुगम बनाएं। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम से देश के समावेशी विकास में तकनीक की अहम भूमिका होगी और वैश्विक स्तर पर भारतीय अर्थव्यवस्था में आर्थिक वृद्धि को गति दी जा सकती है। निर्वाचन आयोग द्वारा वोटर आईडी कार्ड को डिजिटल फार्मेट में लाने से समय और धन की बचत हो सकेगी।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com
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