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अब मध्यप्रदेश की पहचान तकनीकी प्रधान राज्य के रूप में भी होगी : शिवराज

मध्यप्रदेश में विज्ञानं प्रौद्योगिकी और नवाचार निति के विमोचन के बाद, मुख्यमंत्री ‘शिवराज सिंह चौहान’ ने उम्मीद जताई है की “अब प्रदेश की पहचान ‘तकनिकी प्रधान राज्य के रूप में भी होगी।”

12:48 PM Dec 27, 2022 IST | Desk Team

मध्यप्रदेश में विज्ञानं प्रौद्योगिकी और नवाचार निति के विमोचन के बाद, मुख्यमंत्री ‘शिवराज सिंह चौहान’ ने उम्मीद जताई है की “अब प्रदेश की पहचान ‘तकनिकी प्रधान राज्य के रूप में भी होगी।”

अब मध्यप्रदेश की पहचान तकनीकी प्रधान राज्य के रूप में भी होगी   शिवराज

मध्यप्रदेश में विज्ञानं प्रौद्योगिकी और नवाचार निति के विमोचन के बाद, मुख्यमंत्री ‘शिवराज सिंह चौहान’ ने उम्मीद जताई है की “अब प्रदेश की पहचान ‘तकनिकी प्रधान राज्य के रूप में भी होगी।”  उन्होंने कहा कि, “पहले मध्यप्रदेश को कृषि प्रधान प्रदेश के रूप में जाना जाता था।” आगे मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि, “इस नीति के प्रमुख तीन उद्देश्य हैं : वैज्ञानिक सोच और समझ को दैनिक जीवन का अंग बनाना, सरकार और समाज में आधुनिक तकनीक का अधिक से अधिक उपयोग करना तथा नया सोचने, नया सीखने और नई पहल करने वाली पीढ़ी का निर्माण करना।”

प्रदेश में राज्य नवाचार कोष की स्थापना की जायेगी

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में राज्य नवाचार कोष की स्थापना की जायेगी। भारतीय ज्ञान परम्परा को आगे बढ़ाने में विज्ञान और तकनीकी का पूरा उपयोग किया जायेगा। मध्यप्रदेश आध्यात्म और विज्ञान की दृष्टि से बहुत समृद्ध है। भारतीय कैलेंडर अधिक सटीक और वैज्ञानिक है। मध्यप्रदेश का उज्जैन शहर प्राचीन काल-गणना का महत्वपूर्ण केन्द्र रहा है।
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इस मौके पर आईआईटी गांधीनगर और मध्यप्रदेश शासन के बीच एमओयू हस्ताक्षरित हुआ। आईआईटी इंदौर से भी एमओयू हुआ। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा ने कहा कि नये प्रयोगों से जन-सामान्य को सुविधाएं पहुंचाई जा रही है। गांव-गांव तक विज्ञान के प्रति रूचि बढ़ाई जा रही है। प्रदेश के हर व्यक्ति का जीवन आनंदमय हो, इसके लिये मुख्यमंत्री चौहान लगातार प्रयासरत हैं। आने वाली पीढ़ी को टेक्नालॉजी के माध्यम से अच्छा वातावरण दे सकते हैं।
टेक्नालॉजी और नवाचार से ही सुशासन स्थापित किया जा सकता है
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रमुख सचिव निकुंज रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश में टेक्नालॉजी और नवाचार से ही सुशासन स्थापित किया जा सकता है। यह नीति मुख्यमंत्री चौहान के विजन को प्रस्तुत करती है। अधिकाधिक छात्र विज्ञान और प्रौद्योगिकी की पढ़ाई को चुनेंगे। निवेश, रोजगार बढ़ेगा और अर्थ-व्यवस्था सुदृढ़ होगी। प्रो. रजत मोना ने कहा कि, आज हम मध्यप्रदेश शासन के साथ एमओयू साइन कर रहे हैं, जिससे सेन्टर फॉर केपेसिटी बिल्डिंग की स्थापना होगी। भारत सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय कुमार सूद ने कहा कि, यह पालिसी यूनिक है, जो बहुत कम स्टेट में है। इससे बहुत प्रभाव पड़ेगा। मध्यप्रदेश की साइंस इकोसिस्टम को सु²ढ़ करेगी। पॉलिसी महत्वपूर्ण विषयों का समावेश है, जो सराहनीय है।
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साइंस का समाज के साथ जोड़ना बहुत जरूरी है
अटल बिहारी वाजपेयी नीति विश्लेषण संस्थान के उपाध्यक्ष प्रो. सचिन चतुवेर्दी ने कहा कि प्रदेश के लिए यह पॉलिसी महत्वपूर्ण कदम है। प्रदेश 550 बिलियन डॉलर का योगदान की भूमिका में साइंस एवं टेक्नोलॉजी का महत्वपूर्ण योगदान होगा। मध्यप्रदेश में डिजिटल टेक्नालॉजी में महत्वपूर्ण कार्य हुआ है। गुजरात और हिमाचल प्रदेश के बाद मध्यप्रदेश तीसरा राज्य बन गया है।
पद्मविभूषण विजय कुमार सारस्वत ने कहा कि साइंस टेक्नोलॉजी को हम महसूस कर रहे हैं। हमारे जीवन में साइंस-टेक्नालॉजी से सुधार हुआ है। साइंस को समाज के साथ जोड़ कर पूरा उपयोग किया जा सकता है। समाज की प्रगति के लिए साइंस का समाज के साथ जोड़ना बहुत जरूरी है। प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि इनोवेशन को आगे बढ़ायें। आज हमारी साइंस-टेक्नालॉजी को गति मिली है।
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