अब कोई गुुलशन न उजड़े, अब वतन आजाद है...
यह सच है कि हमारे देश और दुनिया ने आतंकवाद को झेला है और ऐसे भी लोग हैं जो मौत का शिकार हुए। इतिहास गवाह है कि निपराध लोग या फिर सत्य की राह पर चलते हुए और अपना कर्त्तव्य निभाते हुए काल का ग्रास बन गए। पिछले दिनों दिल्ली का ऐतिहासिक लालकिला जो कि हमारी आजादी का सबसे ज्वलंत उदाहरण है वहां आतंकवादी कार विस्फोट कर दें और 13 लोगों की जान ले लें, इस घटना की जितनी निंदा की जाये वह कम है। कायर आतंकवादियों ने मानवता पर एक और चोट की है। जो पिछले दिनों से टीवी और सोशल मीडिया पर उभरकर सामने आ रहा है उसके अनुसार यह हमारे दिल्ली के दिल लालाकिला इलाके में सांप्रदायिक सद्भावना पर चोट की एक घिनौनी कोशिश थी जिसमें आतंकवादी सफल नहीं हो सके।
मैं इस घटना को लेकर बहुत संवेदनशील इसलिए भी हूं क्योंकि सच की राह पर चलते हुए हमारे पंजाब केसरी के संस्थापक रहे शहीद शिरोमणि लाला जगत नारायण जी और अमर शहीद रमेश चंद्र जी ने 1981 और 1984 में कर्त्तव्य और सच्चाई के पथ पर चलते हुए अपने प्राण न्यौछावर किये थे। इसीलिए मैं कहती हूं कि जिस घर में ऐसे हादसों से मौत होती है उन्हें ही इसकी पीड़ा का दर्द सबसे ज्यादा पता होता है। यद्यपि सरकारी एजेंसियां हर कोण से जांच कर रही हैं और गुनाहगारों की आखिरी पंक्ति तक पहुंचने का प्रयास कर रही हैं लेकिन कुछ और भी तथ्य हैं जो यह प्रमाणित कर रहे हैं कि आखिरकार लालकिले को ही टारगेट पर क्यों किया गया। जिस इलाके में गौरी मंदिर, जैन मंदिर, शीशगंज साहब गुरुद्वारा हो वहां सांप्रदायिक सद्भाव रहता है और वर्षों से लोग इन तीनों तीर्थ स्थलों के दर्शन करके पुण्य कमाते हैं। व्यापार का सबसे बड़ा केंद्र होने के नाते चांदनी चौक इलाके में हजारों-लाखों व्यापारियों का हर रोज आना-जाना रहता है, इसी कड़ी में हजारों-लाखों मजदूर यहां अपनी रोजी रोटी कमाते हैं। यह आतंकी हमला इन लोगों का मनोबल कमजोर करने की एक कोशिश है लेकिन प्रधानमंत्री मोदी जी, गृहमंत्री अमित शाह और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने साफ कहा है कि गुनाहगार बच नहीं पायेंगे और उन्हें ऐसी सजा दी जायेगी जो दुनिया देखेगी। इसके अलावा कई और ऐसे तथ्य हैं जो लालकिले को हमारी महिलाओं और बच्चों के आकर्षण से जोड़ते हैं। लालकिला और चांदनी चौक इलाके की मिट्टी-मिट्टी में इतिहास छिपा पड़ा है। खानपान के अलावा सैकड़ों चीजें ऐसी हैं जो हर किसी का ध्यान आकर्षित करती हैं। कहीं म्यूजियम है जहां आजादी की जंग की दास्तां है तो कहीं लोग ऐतिहासिक लाइब्रेरियों में जाकर यहां इतिहास के पन्नों से अपना ज्ञान बढ़ाते हैं।
खरीदारी के लिए लोग न आ सके,काम तलाश में और रोजी-रोटी के मकसद से जुड़े लोगों को डराना-धमकाना इन आतंकवादियों का मकसद हो सकता है इसीलिए कार में विस्फोट के तरीके को चुनकर आतंकियों ने अपना काम किया। अमन चैन पर प्रहार करने की यह कोशिश जल्दी पकड़ी गयी। यह सच है कि सरकारी तंत्र हर एंगल से जांच में जुटा हुआ है लेकिन मेरा व्यक्तिगत तौर पर फिर भी एक मशिवरा है कि ऐसे ऐतिहासिक स्थलों पर जहां अकसर भीड़भाड़ बहुत ज्यादा रहती हो वहां विशेष रूप से पार्किंग स्थलों में ज्यादा से ज्यादा सुरक्षा तैनाती के बंदोबस्त होने चाहिए। हालांकि काफी हद तक पार्किंग के ठेके प्राइवेट लोगों को दिए हुए हैं लेकिन पार्किंग स्थलों में अंदर के क्षेत्रों में कुछ पिकेट बनाकर वहां अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी अगर तैनात किये जाएं तो काफी हद तक संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखी जा सकती है।
यह अच्छा रहा कि आतंकवादी पिछले दिनों त्यौहारों के मौके पर हमारी कड़ी सुरक्षा के चलते कुछ नहीं कर पाये लेकिन यह भी एक कड़वा सच है कि मौका मिलने पर उन्होंने लालकिले पर अपना कांड करके दिखा दिया। जो बेचारे मारे गए वह भी किसी के मां-बेटे, भाई-बहन और पति थे और जो घायल हैं उनके लिए खुद पीएम मोदी ने अस्पताल में जाकर उनका हाल चाल जाना और इलाज में हर बढ़िया सुविधा देने का ऐलान किया है। आतंकवादियों को सजा मिलेगी यह तय है लेकिन फिर भी सरकार से लोग उम्मीदें रखते हैं कि किसी भी सूरत में आतंकी हमला नहीं होना चाहिए जिससे हम सभी अमन चैन से सुरक्षित रह सके। मुझे हर उस परिवार से सहानुभूति है िजसका सदस्य गया। उनका नुक्सान, उनकी कमी कभी भी पूरी नहीं की जा सकती। बस यही कह सकती हूं, अब कोई गुलशन न उजड़े, अब वतन आजाद है।