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अब इस देश से लौहा लेगा Iran, बोर्डर पर तैनात किए सैनिक!

09:34 PM Jul 29, 2025 IST | Amit Kumar
अब इस देश से लौहा लेगा iran   बोर्डर पर तैनात किए  सैनिक
Iran

Iran, इजराइल और अमेरिका के साथ बढ़ते तनाव के बीच हाल ही में एक और मुद्दा सामने आया है, जो Iran की राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा रहा है। इस बार मामला है Azerbaijan द्वारा प्रस्तावित ज़ंगेज़ुर कॉरिडोर का, जो कॉकस क्षेत्र में नई अस्थिरता पैदा कर सकता है। अजरबैजान एक ऐसा परिवहन मार्ग बनाना चाहता है जो उसकी मुख्य भूमि को नखचिवान नामक क्षेत्र से जोड़ेगा। यह रास्ता आर्मेनिया के दक्षिणी स्यूनिक इलाके से होकर गुजरेगा और ईरान के रास्ते की जगह लेगा।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस कॉरिडोर के बनने से Azerbaijan को Iran से होकर नहीं गुजरना पड़ेगा और वह सीधे तौर पर यूरोप और एशिया से जुड़ सकेगा। लेकिन इस योजना से ईरान को अपना रणनीतिक महत्व घटता नजर आ रहा है और आर्मेनिया की संप्रभुता को भी खतरा हो सकता है।

Azerbaijan को ताकत कहां से मिली?

2020 में हुए नागोर्नो-काराबाख युद्ध में Azerbaijan  की जीत के बाद इस कॉरिडोर की योजना को नया बल मिला। युद्ध के बाद हुए शांति समझौते में नए ट्रांसपोर्ट रूट की बात तो हुई थी, लेकिन किसी भी पक्ष को दूसरे देश की जमीन पर अधिकार नहीं दिया गया। फिर भी, Azerbaijan इस कॉरिडोर को बनाकर Iran के रास्ते की जरूरत खत्म करना चाहता है, और इस पर पूरा नियंत्रण चाहता है।

Iran की प्रतिक्रिया

ईरान ने पहले भी इस योजना का विरोध किया था और 2023-2024 में जब तुर्की और Azerbaijan ने इस परियोजना को आगे बढ़ाने की कोशिश की, तो ईरान ने अपनी सेना आर्मेनिया के पास तैनात कर दी। यह सीधा संदेश था कि वह किसी भी हाल में इस कॉरिडोर को बनने नहीं देगा। अब जब इस योजना को फिर से उठाया जा रहा है, ईरान ने अपनी सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था और मजबूत कर दी है। इससे साफ है कि अगर अजरबैजान ने जबरदस्ती योजना को लागू करने की कोशिश की, तो सैन्य संघर्ष की स्थिति बन सकती है।

अमेरिका की संभावित भूमिका

एक नया मोड़ तब आया जब तुर्की में अमेरिकी राजदूत ने सुझाव दिया कि अमेरिका इस कॉरिडोर के निर्माण और संचालन में भूमिका निभा सकता है। इस बयान से Azerbaijan के राष्ट्रपति अलीयेव को और अधिक हौसला मिला कि वह किसी भी समझौते को नकार सकें।

Iran को क्या खतरा है?

Iran का मानना है कि यह कॉरिडोर सिर्फ एक आर्थिक परियोजना नहीं है, बल्कि इसका मकसद ईरान और रूस को क्षेत्रीय रूप से अलग-थलग करना है। जानकारों का कहना है कि इससे क्षेत्र में अलगाववाद को बढ़ावा मिलेगा और ईरान की सीमाओं पर दबाव बढ़ेगा।

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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, रविवार को उत्तर कोरिया में विजयी दिवस मनाया गया। इस मौके पर किम जोंग उन ने अपने भाषण में कहा कि हमारा देश पहले भी America के  सैनिकों से भिड़ चुका है और आगे भी अगर युद्ध हुआ तो हम पूरी ताकत से लड़ेंगे।

उन्होंने यह भी कहा कि अब उत्तर कोरिया की सेना ऐसे सैन्य अभियानों पर ध्यान दे रही है जो America के साम्राज्यवाद का डटकर सामना कर सकें। किम ने अपने सैनिकों का उत्साह बढ़ाते हुए कहा कि हमारा लक्ष्य है एक मजबूत सेना और समृद्ध देश बनाना। इसके लिए हर उत्तर कोरियाई नागरिक को तैयार रहना होगा।

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