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अब भारत में बनेगी राफेल फाइटर जेट की रीढ़, डसॉल्ट-टाटा के बीच हुई बड़ी डील

भारत में बनेगी राफेल फाइटर जेट की रीढ़

08:51 AM Jun 05, 2025 IST | Amit Kumar

भारत में बनेगी राफेल फाइटर जेट की रीढ़

यह पहली बार है जब राफेल विमान के फ्यूजलेज का निर्माण फ्रांस के बाहर किया जाएगा. यह फैसला भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ योजनाओं के लिए एक बड़ा कदम माना जा रहा है.

Rafale Fighter Jet: भारत की रक्षा और एयरोस्पेस क्षमताओं के लिए आज (5 जून 2025) का दिन बेहद महत्वपूर्ण बन गया है. इस दिन फ्रांस की फेमस डिफेंस और एविएशन कंपनी डसॉल्ट एविएशन और भारत की अग्रणी एयरोस्पेस कंपनी टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) के बीच एक बड़ा समझौता हुआ है. इस करार के तहत अब राफेल लड़ाकू विमान के मुख्य ढांचे यानी फ्यूजलेज का निर्माण भारत में किया जाएगा.

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यह पहली बार है जब राफेल विमान के फ्यूजलेज का निर्माण फ्रांस के बाहर किया जाएगा. यह फैसला भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ योजनाओं के लिए एक बड़ा कदम माना जा रहा है. इस साझेदारी के जरिए भारत वैश्विक रक्षा विनिर्माण मानचित्र पर एक मजबूत स्थान हासिल करने की ओर अग्रसर है.

हैदराबाद में बनेगी अत्याधुनिक निर्माण यूनिट

इस समझौते के तहत , TASL हैदराबाद में एक अत्याधुनिक निर्माण इकाई स्थापित करेगी, जहां राफेल फाइटर जेट के विभिन्न हिस्सों का निर्माण होगा. इसमें रियर फ्यूजलेज के लेटरल हिस्से, पूरे पिछले सेक्शन, सेंट्रल और फ्रंट सेक्शन शामिल होंगे. इस यूनिट के वित्त साल 2028 तक उत्पादन शुरू करने की संभावना है. साथ ही, हर महीने लगभग दो फुल फ्यूजलेज बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.

क्या होता है फ्यूजलेज ?

फ्यूजलेज किसी भी विमान का केंद्रीय ढांचा होता है, जिसे आम भाषा में विमान का ‘शरीर’ कहा जाता है. यह वह भाग होता है जिससे विमान के अन्य मुख्य घटक जैसे पंख, पूंछ और इंजन जुड़े होते हैं. लड़ाकू विमानों में इसका डिजाइन विशेष रूप से स्टील्थ तकनीक और मजबूती को ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है. राफेल जैसे अत्याधुनिक विमान के लिए इसका निर्माण एक तकनीकी चुनौती होती है, जिसे अब भारत में पूरा किया जाएगा.

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प्रेस विज्ञप्ति की मुख्य बातें

इस सहयोग पर आधारित प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि दोनों कंपनियों ने चार अलग-अलग प्रोडक्शन ट्रांसफर एग्रीमेंट्स पर हस्ताक्षर किए हैं. इन समझौतों का उद्देश्य भारत की एयरोस्पेस उत्पादन क्षमताओं को मजबूती देना और अंतरराष्ट्रीय सप्लाई चैन को सपोर्ट करना है.

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समझौते की खास बातें:

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