UPI New Rules Kya Hai: अब बैलेंस चेक और पेमेंट स्टेटस पर लगी लिमिट, आज से बदले UPI के ये नियम, जानें जेब पर कितना पड़ा असर
UPI New Rules Kya Hai: अगर आप भी दिनभर में जमकर यूपीआई ट्रांसजेक्शन का उपयोग करते हैं तो यह खबर आपके लिए बहुत जरूरी है। आज यानी एक अगस्त से ऑनलाइन ट्रांसजेक्शन से जुड़े कई नियमों में बदलाव लागू हो गए हैं। ये बदलाव सीधे तौर आपकी जेब पर असर डालेंगे। दरअसल, NPCI (National Payments Corporation of India ) ने अब आपकी डिजिटल पेमेंट्स और पेमेंट स्टेटस पर लिमिट लगा दी गई है, इसलिए आपको लिमिट का ध्यान रखते हुए पेमेंट करनी होगी। चलिए जानते हैं आपकी जेब पर कितनी लिमिट लगी है।
UPI New Rules Kya Hai और आपकी जेब पर कितने लगेगी लिमिट?
1. बैलेंस चेक करने की सीमा (Balance Limit) - अब आप एक दिन में सिर्फ़ 50 बार ही अकाउंट बैलेंस चेक कर पाएंगे। पहले इसकी कोई सीमा नहीं थी, लेकिन अब बार-बार बैलेंस चेक करने की आदत पर लगाम लग गई है। यह बदलाव ख़ास तौर पर उन यूज़र्स को ध्यान में रखकर किया गया है जो समय-समय पर बैलेंस चेक करते हैं।
2. सिर्फ़ तय समय पर ही ऑटोपे भुगतान (Auto-Payment) - अब ऑटोपे ट्रांज़ैक्शन सिर्फ़ सुबह 10 बजे से पहले या दोपहर 1 बजे से शाम 5 बजे के बीच ही प्रोसेस होंगे। यानी अगर आपने नेटफ्लिक्स, एसआईपी या किसी भी ऐप से पेमेंट ऑटो पर सेट किया है, तो सिर्फ़ इन्हीं टाइम स्लॉट में पैसे कटेंगे।
3. ट्रांज़ैक्शन हिस्ट्री की सीमा (UPI Transaction Limit)- अब किसी भी एक UPI ऐप से अकाउंट डिटेल या ट्रांज़ैक्शन हिस्ट्री दिन में सिर्फ़ 25 बार ही देखी जा सकेगी। यानी बार-बार हिस्ट्री स्क्रॉल करने की आदत अब सीमित हो गई है।
4. पेमेंट स्टेटस देखने की सीमा- UPI पेमेंट के बाद, अब आप दिन में सिर्फ़ 3 बार ही पेमेंट स्टेटस चेक कर पाएंगे, और हर बार के बीच 90 सेकंड का अंतराल ज़रूरी होगा। इसका उद्देश्य ऐप पर बार-बार आने से बचना है।
5. भुगतान वापसी की सीमा- अब आप महीने में केवल 10 बार ही चार्जबैक का अनुरोध कर सकते हैं। किसी एक व्यक्ति या व्यापारी से पैसे वापस करने की सीमा केवल 5 बार होगी। यानी अब फर्जी वापसी अनुरोधों पर भी लगाम लगेगी।
UPI New Rules Kya Hai और क्यों किए गए बदलाव?
NPCI के अनुसार, UPI पर हर महीने लगभग 16 अरब लेनदेन हो रहे हैं। अप्रैल और मई में यूपीआई आउटेज की कई शिकायतें आईं। ज़्यादातर समस्याएँ एपीआई कॉल के ओवरलोड के कारण होती हैं, जैसे हर कुछ मिनट में बैलेंस चेक करना या बार-बार भुगतान की स्थिति देखना। अब नए नियमों से न केवल सिस्टम पर दबाव कम होगा, बल्कि आपके लेनदेन भी पहले से ज़्यादा सुचारू और विश्वसनीय होंगे।
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