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सार्वजनिक बैंकों का एनपीए 23 हजार करोड़ कम हुआ : वित्त मंत्रालय

कुमार ने कहा कि दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के जरिये ऋणदाता तथा कर्जदार के संबंध में बदलाव से समाधान प्रक्रिया मजबूत हुई है।

12:48 PM Dec 29, 2018 IST | Desk Team

कुमार ने कहा कि दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के जरिये ऋणदाता तथा कर्जदार के संबंध में बदलाव से समाधान प्रक्रिया मजबूत हुई है।

नई दिल्ली : सरकार की विभिन्न मुहिमों का असर दिखने लगा है और इनके कारण सार्वजनिक बैंकों की गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) में चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 23 हजार करोड़ रुपये से अधिक की कमी आयी है। वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसकी जानकारी दी है।

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वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने कहा है कि इसके साथ ही सार्वजनिक बैंकों ने चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 60,726 करोड़ रुपये की वसूली भी की है। यह पिछले साल की समान अवधि में की गयी वसूली के दो गुने से अधिक है। कुमार ने कहा कि सार्वजनिक बैंकों का समग्र एनपीए मार्च 2018 में 9.62 लाख करोड़ रुपये के शिखर पर पहुंचने के बाद से चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 26,860 करोड़ रुपये कम हुआ है।

वित्त मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार, सार्वजनिक बैंकों के 31 से 90 दिनों के बीच के बकाये के गैर-एनपीए खाते जून 2017 के 2.25 लाख करोड़ रुपये से 61 प्रतिशत कम होकर सितंबर 2018 में 0.87 लाख करोड़ रुपये पर आ गये हैं। कुमार ने कहा कि दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के जरिये ऋणदाता तथा कर्जदार के संबंध में बदलाव से समाधान प्रक्रिया मजबूत हुई है।

इसके अलरवा जानबूझकर डिफॉल्ट करने वाले तथा संबंधित व्यक्तियों पर रोक लगाने से इस साल रिकॉर्ड वसूली में मदद मिली है। उन्होंने कहा कि सुधारों के साथ ही सार्वजनिक बैंकों का पुनर्पूंजीकरण भी किया गया जिससे संपत्ति की खराब गुणवत्ता की समस्या निराकरण हुआ।

एनपीएस में सरकारी योगदान बढ़ाकर 14 प्रतिशत किया गया, निकासी को कर-मुक्त बनाया गया

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