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एनटीए : साख का संकट

05:15 AM Jun 20, 2024 IST | Shivam Kumar Jha

NTA Credibility Crisis: भारत में नीट को लागू हुए एक दशक से कुछ ज्यादा ही समय हो गया है लेकिन इसने चारों तरफ से बदनामी ही बटोरी है। सबसे बड़ा संकट नीट परीक्षा आयोजित करने वाली एजैंसी यानि एनटीए की विश्वसनीयता को लेकर खड़ा हो गया है। नीट परीक्षा में धांधलेबाजी की परतें प्याज के छिल्कों की तरह उधड़ने लगी हैं। पहले तो एनटीए आरोपों को लेकर टालमटोल करती रही। उसने आरोपों को निराधार बताया लेकिन जब मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा तो परतें हटने लगीं। सुप्रीम कोर्ट ने नीट परीक्षा में धांधलियों को लेकर एनटीए को जमकर फटकार लगाई और सख्त टिप्पणियां भी कीं। सुप्रीम कोर्ट ने दो टूक शब्दों में कहा कि अगर किसी की ओर से 0.001 प्रतिशत लापरवाही हुई है तो उससे पूरी तरह निपटा जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि हम बच्चों की मेहनत को भूल नहीं सकते। कल्पना कीजिए कि नीट परीक्षा में फ्रॉड करके कोई व्यक्ति डॉक्टर बन जाता है तो समाज के ​िलए वह कितना ज्यादा हानिकारक होगा। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब अब एनटीए को देना है। नीट परीक्षा में धांधली को लेकर अब ​बिहार में गिरफ्तारियां भी हुई हैं और पेपर लीक प्रकरण में एक मंत्री की भूमिका संदेह के दायरे में है।

परीक्षा देने वाले कई छात्रों का स्पष्ट कहना है कि प्रश्नपत्र गुजरात आैर बिहार में पहले ही लीक हो गया था। परीक्षा से एक दिन पहले यानि 4 मई को पटना में पेपर लीक करने वाला एक गिरोह पैसे लेकर 25 छात्रों को एक हॉस्टल में ले गया, वहां इन विद्यार्थियों को उत्तर सहित प्रश्नपत्र दिए गए। अगले दिन परीक्षा में सभी को हू-बहू वही प्रश्नपत्र मिला। पेपर लीक में शामिल गिरोह ने देश के कितने राज्यों और शहरों में वारदात को अंजाम दिया है यह तो वही गिरोह जानता है। यह देश की सबसे महत्वपूर्ण परीक्षा का दर्जा रखती है जहां नीट परीक्षा को मेडिकल, डेंटल और आयुष चिकित्सा शाखाओं के प्रवेश द्वार के रूप में देखा जाता है। यह घोटाला उन शासकों की नाक के नीचे हुआ जो सुशासन और पारदर्शिता जैसी बड़ी-बड़ी बातें कर रहे थे।

परीक्षा देने वाले छात्रों का आक्रोश जायज है। मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं के पर्चे लीक होने में सबसे ज्यादा कोचिंग संस्थानों और भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे हुए लोगों का हाथ देखा गया है ले​िकन अभी तक इन पर नकेल कसने का कोई ठोस तंत्र तैयार नहीं हो पाया है। नतीजे प्रकाशित होने के बाद यह देखा गया कि कुछ छात्रों को 720 में से 718 अंक मिले जो मौजूदा मूल्यांकन पद्धति में असम्भव है। इस बार असामान्य रूप से ज्यादा संख्या में छात्रों ने पूरे अंक हासिल किए। अब तो एनटीए ने सुप्रीम कोर्ट में भी स्वीकार किया कि ग्रेस मार्क्स गलत तरीके से दिए गए। आखिर लाखों रुपए खर्च करके परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्र कब तक धांधलेबाजी सहन करते रहेंगे। हर साल खराब ढंग से प्रबंधित परीक्षा केन्द्रों और छात्रों को क्या पहनने की इजाजत है। इसे लेकर बेसिर-पैर की सख्ती के मामले चर्चित होते रहे हैं लेकिन ऐसे-ऐसे घपले सामने आ रहे हैं जिन पर कोई ध्यान नहीं देता। कहा तो यह भी जा रहा है कि परीक्षा में पास कराने के​ लिए कोचिंग सैंटरों और सोल्वर गैंग ने 25 लाख से 50 लाख तक बटोरे हैं। एनटीए का गठन इस मकसद से किया गया था कि यह पूरी पारदर्शिता के साथ परीक्षाओं का आयोजन करेगी, इससे नकल माफियाओं पर अंकुश लगेगा। लगभग 23 लाख छात्रों के इस परीक्षा में शामिल होने के मद्देनजर इसमें कोई अचरज नहीं कि नीट का एक उतार-चढ़ाव भरा अतीत है।

विशेषज्ञों का कहना है कि इस पैमाने पर होने वाली परीक्षा को पूरी तरह त्रुटिहीन बनाना असंभव है लेकिन साल-दर-साल परीक्षा के दौरान घोर उल्लंघनों की खबरें सुर्खियां बन रही हैं। एनटीए को राज्यों की मदद से यह सुनिश्चित करना होगा कि तकनीकी गड़बड़ियां और कदाचार से जुड़े घपले न हों। इसमें प्रश्नपत्रों का समय से पहले जारी होना और वास्तविक अभ्यर्थी की जगह दूसरों का इस्तेमाल शामिल है। अगर यह अधिक सख्ती बरतने और एक ज्यादा लंबी व ज्यादा सतर्कता भरी तैयारी से संभव है तो ऐसा करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी जानी चाहिए। इसके अलावा इन मांगों पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि नीट के सभी दाखिले सिंगल विंडो काउंसलिंग के तहत आएं और पीजी दाखिलों के लिए जीरो पर्सेंटाइल मानदंड का पुनर्मूल्यांकन हो, साथ ही निजी मेडिकल कॉलेजों में फीस का सख्त नियमन हो।
परीक्षा में धांधली छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ है और चिकित्सा क्षेत्र में अयोग्य लोगों की फौज जमा करने की एक सुनिश्चित साजिश है। दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाना चाहिए। उम्मीद है कि केन्द्र सरकार दृढ़ राजनीतिक इच्छा शक्ति दिखाकर दोषियों को दंडित करेगी। सवाल यही है कि क्या एनटीए की साख बहाल होगी।

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