हे भगवान! साल 2025 में युद्ध, हादसे..., 1941 का कैलेंडर क्यों हो रहा वायरल?
1941 का कैलेंडर क्यों हो रहा वायरल?
इस साल भारत में कई बड़े हादसे और आतंकी हमले हुए हैं. प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान मची भगदड़, दिल्ली और बेंगलुरु में आयोजनों के दौरान हुई दुखद घटनाएं, गुजरात की पटाखा फैक्ट्री में आग, जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला और हाल ही में अहमदाबाद में हुआ प्लेन क्रैश. ये सभी घटनाएं साल 2025 को एक अशांत साल बना चुकी हैं.
Year 2025: साल 2025 अब तक कई बड़ी और दुखद घटनाओं का साक्षी बन चुका है. भारत और दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में हुई इन घटनाओं ने कई लोगों को 1941 की याद दिला दी है. सोशल मीडिया पर भी इस बात की चर्चा जोरों पर है कि मौजूदा साल कई मामलों में 1941 के समान लग रहा है, चाहे वह राजनीतिक-युद्ध संबंधित घटनाएं हों या फिर कैलेंडर की समानता हो.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस साल भारत में कई बड़े हादसे और आतंकी हमले हुए हैं. प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान मची भगदड़, दिल्ली और बेंगलुरु में आयोजनों के दौरान हुई दुखद घटनाएं, गुजरात की पटाखा फैक्ट्री में आग, जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला और हाल ही में अहमदाबाद में हुआ प्लेन क्रैश. ये सभी घटनाएं साल 2025 को एक अशांत साल बना चुकी हैं.
वैश्विक स्तर पर भी हालात चिंताजनक
भारत ही नहीं, वैश्विक स्तर पर भी हालात चिंताजनक बने हुए हैं. ईरान और इजरायल के बीच युद्ध, रूस-यूक्रेन संघर्ष, गाजा और दक्षिणी लेबनान में सैन्य कार्रवाइयों ने पूरी दुनिया को तनावपूर्ण बना दिया है. भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में चार दिन तक चली सैन्य झड़प ने भी स्थिति को और गंभीर बना दिया.
2025 बनाम 1941 कैलेंडर
2025 और 1941 के बीच एक और अद्भुत समानता यह है कि दोनों सालों का कैलेंडर एकदम मेल खाता है. दोनों ही साल बुधवार से शुरू हुए और लीप ईयर नहीं हैं. इसका अर्थ है कि साल की हर तारीख वही सप्ताह का दिन है जो 1941 में था. यह कोई संयोग मात्र नहीं, बल्कि ग्रेगोरियन कैलेंडर की चक्रीय प्रकृति का परिणाम है, जो हर कुछ सालों में इस तरह की समानता को जन्म देती है.
1941: जब दुनिया युद्ध की आग में…
साल 1941 इतिहास के पन्नों में दूसरे विश्व युद्ध के एक निर्णायक साल के रूप में दर्ज है. इस साल 27 मई को ब्रिटिश नौसेना ने फ्रांस के पास बिस्मार्क नामक जर्मन युद्धपोत को डुबो दिया था, जिसमें 2000 से अधिक जर्मन सैनिक मारे गए. इसके अलावा, जुलाई में अमेरिका ने जापानी कब्जे के प्रतिशोध में अपने देश में सभी जापानी संपत्तियां जब्त कर लीं.
इसी साल नाजी जर्मनी ने सोवियत संघ पर ‘ऑपरेशन बारबारोसा’ के तहत हमला किया और दिसंबर में जापान ने अमेरिका के पर्ल हार्बर पर बमबारी कर दी, जिससे अमेरिका भी युद्ध में शामिल हो गया. इस तरह, यह साल एक वैश्विक युद्ध की ओर पूरी तरह मुड़ गया.
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इतिहास की पुनरावृत्ति या मात्र संयोग?
2025 में दुनिया जिस तरह से युद्ध, आतंकवाद और प्राकृतिक आपदाओं का सामना कर रही है, वह कई मायनों में 1941 की घटनाओं से मेल खाती है. इतिहासकारों और एक्स्पर्ट्स के लिए यह एक चिंतन का विषय बन गया है कि क्या हम इतिहास की पुनरावृत्ति देख रहे हैं या यह सब एक संयोग मात्र है.