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पहली बार ओलंपिक में पहुंची भारतीय मुक्केबाज लवलीना का शानदार प्रदर्शन, क्वार्टर फाइनल में बनायी जगह

पहली बार ओलंपिक में हिस्सा ले रही भारतीय मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन (69 किग्रा) ने मंगलवार को यहां जर्मनी की अनुभवी नेदिन एपेट्ज को कड़े मुकाबले में हराकर क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई।

12:51 PM Jul 27, 2021 IST | Ujjwal Jain

पहली बार ओलंपिक में हिस्सा ले रही भारतीय मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन (69 किग्रा) ने मंगलवार को यहां जर्मनी की अनुभवी नेदिन एपेट्ज को कड़े मुकाबले में हराकर क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई।

पहली बार ओलंपिक में पहुंची भारतीय मुक्केबाज लवलीना का शानदार प्रदर्शन  क्वार्टर फाइनल में बनायी जगह
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पहली बार ओलंपिक में हिस्सा ले रही भारतीय मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन (69 किग्रा) ने मंगलवार को यहां जर्मनी की अनुभवी नेदिन एपेट्ज को कड़े मुकाबले में हराकर क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई।
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मंगलवार को रिंग में उतरने वाली एकमात्र भारतीय मुक्केबाज लवलीना ने प्री क्वार्टर फाइनल में अपने से 12 साल बड़ी एपेट्ज को 3-2 से हराया। दोनों खिलाड़ी ओलंपिक में पदार्पण कर रही थी और लवलीना भारत की नौ सदस्यीय टीम से अंतिम आठ में जगह बनाने वाली पहली खिलाड़ी बनी।
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तनाव भरे मुकाबले में 23 साल की लवलीना ने शानदार जज्बा दिखाया और बेहद करीबी अंतर से जीत दर्ज करने में सफल रही। लवलीना ने तीनों दौर में खंडित फैसले से जीत दर्ज की। ओलंपिक की मुक्केबाजी स्पर्धा में क्वालीफाई करने वाली जर्मनी की पहली महिला मुक्केबाज 35 साल की एपेट्ज दो बार विश्व चैंपियनशिप की कांस्य पदक विजेता और पूर्व यूरोपीय चैंपियन हैं।
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लवलीना विश्व चैंपियनशिप में दो और एशियाई चैंपियनशिप में एक बार की कांस्य पदक विजेता है। वह अगले दौर में 30 जुलाई को चीनी ताइपे की निएन चिन चेन से भिड़ेंगी जो पूर्व विश्व चैंपियन हैं और मौजूदा खेलों में उन्हें चौथी वरीयता दी गई है। इस मुकाबले में जीत से लवलीना का पदक पक्का हो जाएगा। चेन 2019 एशियाई चैंपियनशिप की रजत पदक विजेता हैं। उन्होंने प्री क्वार्टर फाइनल में इटली की एंजेला करिनी को 3-2 से हराया।
असम की लवलीना ने शुरुआती दौर में आक्रामक खेल दिखाया लेकिन इसके बाद रणनीति बदलते हुए इंतजार करने का फैसला किया। इस रणनीति ने काम किया लेकिन जर्मनी की मुक्केबाज ने अपने सटीक मुक्कों से कई बार लवलीना को परेशान किया। लवलीना ने बायें हाथ से लगाए दमदार मुक्कों से अपना पलड़ा थोड़ा भारी रखा।
एपेट्ज जर्मनी के मुक्केबाजी जगत में बड़ा नाम है। वह न्युरोसाइंस में पीएचडी कर रही हैं जिसे ओलंपिक की तैयारी के लिए उन्होंने एक साल के लिए रोक दिया था। उन्होंने पिछले साल यूरोपीय क्वालीफिकेशन टूर्नामेंट के सेमीफाइनल में जगह बनाकर ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया था।
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