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भारत के तटस्थ रुख पर US ने कहा- इंडिया को दूरी बनानी चाहिए रूस और गुटनिरपेक्षता के सिद्धांत से

अमेरिकी उप विदेश मंत्री वेंडी शर्मन ने कहा है कि अमेरिका चाहेगा कि भारत गुटनिरपेक्ष समूह में शामिल रहे देशों के संगठन जी-77 के तहत रूस के साथ अपने संबंधों और साझेदारी को घटाये तथा गुटनिरपेक्षता का सिद्धांत छोड़ दे

04:38 PM Apr 09, 2022 IST | Ujjwal Jain

अमेरिकी उप विदेश मंत्री वेंडी शर्मन ने कहा है कि अमेरिका चाहेगा कि भारत गुटनिरपेक्ष समूह में शामिल रहे देशों के संगठन जी-77 के तहत रूस के साथ अपने संबंधों और साझेदारी को घटाये तथा गुटनिरपेक्षता का सिद्धांत छोड़ दे

अमेरिकी उप विदेश मंत्री वेंडी शर्मन ने कहा है कि अमेरिका चाहेगा कि भारत गुटनिरपेक्ष समूह में शामिल रहे देशों के संगठन जी-77 के तहत रूस के साथ अपने संबंधों और साझेदारी को घटाये तथा गुटनिरपेक्षता का सिद्धांत छोड़ दे। शर्मन ने अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की विदेश मामलों की समिति के समक्ष यह बात कही और साथ ही इस बात पर भी जोर दिया कि भारत और अमेरिका के बीच साझेदारी बेहद महत्वपूर्ण है।
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शर्मन ने कहा, भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र
बाइडन प्रशासन ने सांसदों से कहा है कि यह समय भारत और अमेरिका के बीच रक्षा साझेदारी को और अधिक मजबूत करने का है, क्योंकि दोनों ही देशों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र को समृद्ध और सुरक्षित बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। शर्मन ने कहा, भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र हैं। उसके साथ हमारे मजबूत रक्षा संबंध हैं। वे ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ क्वाड का भी हिस्सा हैं। हमने साथ मिलकर कई ऐसे कदम उठाए हैं, जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र की समृद्धि और सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं।
 भारत रूस के साथ अपनी गुटनिरपेक्ष जी-77 साझेदारी को समाप्त कर ले
अमेरिकी कांग्रेस के सदस्य टिम बर्चेट के एक सवाल के जवाब में शर्मन ने कहा, हम स्पष्ट रूप से ऐसा चाहेंगे कि भारत रूस के साथ अपनी गुटनिरपेक्ष जी-77 साझेदारी को समाप्त कर ले। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने भारतीय अधिकारियों से कहा है कि प्रतिबंधों के कारण रूस से रक्षा और तकनीकी उपकरणों के कलपुर्जे हासिल करना या उन्हें बदलना भारत के लिए अब बहुत मुश्किल होगा।
 रक्षा उपकरणों की खरीद और उनके सह-उत्पादन के प्रयासों को बढ़ाया 
अमेरिकी उप विदेश मंत्री ने कहा, भारत ने हमारे साथ अपने रक्षा संबंधों को मजबूत कर रक्षा उपकरणों की खरीद और उनके सह-उत्पादन के प्रयासों को बढ़ाया है। और मुझे लगता है कि आने वाले वर्षों में दोनों देशों के बीच रक्षा संबंध और अधिक मजबूत होंगे।” गौरतलब है कि अमेरिकी अधिकारियों ने भारत द्वारा रूस से एस-400 मिसाइल प्रणाली की खरीद पर चिंता व्यक्त की है।
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