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पांच सितंबर को तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ मुजफ्फरनगर में होगी किसानों की महारैली

केंद्र सरकार के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ आठ माह से आंदोलन कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने पांच सितंबर को मुजफ्फरनगर में महारैली और उत्‍तर प्रदेश राज्‍य के सभी मंडल मुख्यालयों पर महापंचायत आयोजित करने की घोषणा की है।

06:32 PM Jul 26, 2021 IST | Ujjwal Jain

केंद्र सरकार के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ आठ माह से आंदोलन कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने पांच सितंबर को मुजफ्फरनगर में महारैली और उत्‍तर प्रदेश राज्‍य के सभी मंडल मुख्यालयों पर महापंचायत आयोजित करने की घोषणा की है।

केंद्र सरकार के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ आठ माह से आंदोलन कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने पांच सितंबर को मुजफ्फरनगर में महारैली और उत्‍तर प्रदेश राज्‍य के सभी मंडल मुख्यालयों पर महापंचायत आयोजित करने की घोषणा की है। मोर्चा ने उत्तर प्रदेश में अपने आंदोलन के लिए चार चरणों की रणनीति बनाई है। 
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यहां प्रेस क्‍लब में संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले आयोजित पत्रकार वार्ता में भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत, जय किसान आंदोलन के प्रोफेसर योगेंद्र यादव, राष्‍ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के शिवकुमार कक्का जी, जगजीत सिंह दल्‍लेवाल और डॉक्टर आशीष मित्तल समेत कई नेताओं ने सत्‍तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसके सहयोगी दलों के कार्यक्रमों का विरोध और उनके नेताओं का बहिष्कार करने के ऐलान के साथ आंदोलन के अगले कार्यक्रमों पर विस्तार से चर्चा की। 
राकेश टिकैत ने कहा, ”तीन किसान विरोधी कानूनों को रद्द करने तथा न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर चल रहा ऐतिहासिक किसान आंदोलन आठ माह पूरे कर चुका है। इन आठ महीनों में किसानों के आत्मसम्मान और एकता का प्रतीक बना यह आंदोलन अब किसान ही नहीं देश के सभी संघर्षशील वर्गों का लोकतंत्र बचाने और देश बचाने का आंदोलन बन चुका है।” किसान नेताओं ने कहा कि अब आंदोलन को और तीव्र, सघन तथा असरदार बनाने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा ने इसे राष्ट्रीय आंदोलन के अगले पड़ाव के रूप में मिशन उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से शुरू करने का फैसला किया है।
 उन्होंने दावा किया कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में आंदोलन की धार तेज होगी और इस मिशन का उद्देश्य होगा कि पंजाब और हरियाणा की तरह उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भी हर गांव किसान आंदोलन का दुर्ग बने, कोने – कोने में किसान पर हमलावर कॉरपोरेट सत्ता के प्रतीकों को चुनौती दी जाए और किसान विरोधी भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगियों का हर कदम पर विरोध हो। उनका कहना था कि आज भारतीय खेती और किसानों को कॉर्पोरेट और उनके राजनीतिक दलालों से बचाना है। 
संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने मांग की कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में सभी टोल प्लाजा को निशुल्क किया जाए, पूंजीपतियों के व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर विरोध प्रदर्शन आयोजित किए जाएं । उन्होंने किसानों से भाजपा और उसके सहयोगी दलों के कार्यक्रमों का विरोध और उनके नेताओं का बहिष्कार करने का आह्वान किया। उन्होंने बताया कि इस मिशन को कार्य रूप देने के लिए पूरे उत्तर प्रदेश में बैठकों, यात्राओं और रैलियों का सिलसिला शुरू किया जाएगा।
 संयुक्त किसान मोर्चा ने चार चरणों में आंदोलन को विभक्त किया है जिसके तहत पहले चरण में राज्यों में आंदोलन में सक्रिय संगठनों के साथ संपर्क और समन्‍वय स्‍थापित किया जाएगा और दूसरे चरण मे मंडलवार किसान कन्वेंशन और जिलेवार तैयारी बैठक होगी। तीसरे चरण में पांच सितंबर को मुजफ्फरनगर में देश भर से किसानों की ऐतिहासिक महापंचायत आयोजित की जाएगी और चौथे चरण में सभी मंडल मुख्यालयों पर महापंचायत का आयोजन किया जाएगा। संयुक्त किसान मोर्चा ने यह भी फैसला किया है कि इस मिशन के तहत राष्ट्रीय मुद्दों के साथ-साथ किसानों के स्थानीय मुद्दे भी उठाए जाएंगे। 
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