शिवसेना चिन्ह विवाद पर कोर्ट का उद्धव गुट को चुनावों पर ध्यान देने का निर्देश
उद्धव गुट को चुनाव चिन्ह विवाद में कोर्ट से फोकस की सलाह
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना (यूबीटी) गुट से कहा कि वह आगामी महाराष्ट्र स्थानीय निकाय चुनावों पर ध्यान केंद्रित करें, क्योंकि पार्टी ने ‘धनुष और तीर’ चुनाव चिन्ह से संबंधित अपनी याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग की है। शिवसेना (यूटीबी) की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने एकनाथ शिंदे समूह को आधिकारिक शिवसेना के रूप में मान्यता देने और उन्हें ‘धनुष और तीर’ चुनाव चिन्ह देने के चुनाव पैनल के फैसले के खिलाफ पार्टी की याचिका पर जल्द सुनवाई के लिए मामले का उल्लेख किया। जस्टिस सूर्यकांत और एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने सिब्बल से कहा कि समय की कमी के कारण इस मामले को अदालत की गर्मियों की छुट्टी के बाद ही उठाया जा सकता है।
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सिब्बल ने कहा कि शिवसेना (यूटीबी) के पास रहा यह चुनाव चिह्न स्थानीय निकाय चुनावों में शिंदे गुट द्वारा इस्तेमाल किया जाएगा और यह विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में मायने रखेगा। न्यायमूर्ति कांत ने पूछा कि स्थानीय निकाय चुनाव कब से पार्टी चिह्नों पर लड़े जाने लगे हैं, सिब्बल ने कहा कि महाराष्ट्र में ऐसा होता है और पार्टी चिह्न का मतदाताओं के मन पर बहुत प्रभाव पड़ेगा। सिब्बल ने कहा कि चुनाव आयोग ने केवल विधायी बहुमत के आधार पर एकनाथ शिंदे गुट को चुनाव चिह्न देने का फैसला किया, जो सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ के फैसले के विपरीत है।
न्यायमूर्ति कांत ने सिब्बल से कहा, “चुनाव सुचारू रूप से होने दें। आप उस पर ध्यान केंद्रित करें। स्थानीय निकायों में अधिकांश मतदाता किसी चिह्न का समर्थन नहीं करते हैं।” सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि यदि सिब्बल कोई मामला बनाते हैं और यदि यह बहुत जरूरी है तो मामले की सुनवाई अवकाश पीठ द्वारा की जा सकती है। 6 मई को सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य में स्थानीय निकाय चुनावों का मार्ग प्रशस्त किया, जो आरक्षण के मुद्दे के कारण पांच वर्षों से अधिक समय से रुके हुए थे। इसने महाराष्ट्र चुनाव आयोग को चार सप्ताह में इसे अधिसूचित करने का आदेश दिया। 17 फरवरी, 2024 को चुनाव आयोग ने शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को ‘शिवसेना’ नाम और उसका चुनाव चिन्ह ‘धनुष-बाण’ आवंटित किया।
उद्धव ठाकरे गुट को महाराष्ट्र विधानसभा में उपचुनाव के लिए ‘शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे)’ नाम और ‘ज्वलंत मशाल’ के प्रतीक का उपयोग करने की अनुमति दी गई थी। चुनाव आयोग ने पिछले साल 26 फरवरी को होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा के उपचुनावों के मद्देनजर उस अंतरिम व्यवस्था की अनुमति दी थी। ठाकरे गुट ने शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को पार्टी का नाम आवंटित करने के भारत के चुनाव आयोग के आदेश को चुनौती दी थी।
2023 में शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग को यह तय करने की अनुमति दी थी कि ठाकरे और शिंदे के बीच किस गुट को ‘असली’ शिवसेना पार्टी के रूप में मान्यता दी जाए और ‘धनुष-बाण’ चुनाव चिन्ह आवंटित किया जाए। ठाकरे गुट ने तर्क दिया था कि चुनाव आयोग, चुनाव चिह्न (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 के तहत “विवादों के तटस्थ मध्यस्थ” के रूप में अपने कर्तव्यों में विफल रहा है।