Punjab: ऑपरेशन ब्लू स्टार की 41वीं बरसी, स्वर्ण मंदिर में लगे खालिस्तान जिंदाबाद के नारे
सिख समुदाय ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में जश्न मनाया
ऑपरेशन ब्लू स्टार की 41वीं बरसी पर अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में खालिस्तान समर्थक नारे लगे। सिमरनजीत सिंह मान के आगमन पर सुरक्षा बढ़ाई गई। जत्थेदार जसबीर सिंह रोडे ने सरकार की आलोचना की, जबकि सात समंदर पार भी लोग इस घटना को याद कर रहे हैं।
पंजाब में ऑपरेशन ब्लू स्टार की 41वीं बरसी पर अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में कई लोगों ने खालिस्तान समर्थक नारे लगाए। बता दें कि ऑपरेशन ब्लू स्टार की 41वीं बरसी और ऑपरेशन के दौरान मारे गए जरनैल सिंह भिंडरावाले की पुण्यतिथि पर शिअद के नेता सिमरनजीत सिंह मान के स्वर्ण मंदिर पहुंचने पर लोगों ने खालिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाए। ऑपरेशन ब्लू स्टार 1 जून से 10 जून 1984 तक चला 10 दिवसीय सैन्य अभियान था। ऑपरेशन ब्लू स्टार की 41वीं बरसी पर सिख समुदाय ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में जश्न मनाया। इस अवसर पर स्वर्ण मंदिर के आसपास सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है।
जत्थेदार जसबीर सिंह रोडे का बयान
इस अवसर पर अकाल तख्त के पूर्व जत्थेदार जसबीर सिंह रोडे ने कहा कि आज तक सरकार के पास इस बात का जवाब नहीं है कि सिखों के ऐसे पवित्र स्थान पर हमला क्यों किया गया। सिख अपने अधिकारों की मांग कर रहे थे। उन्होंने भारत सरकार के खिलाफ हमले की घोषणा नहीं की थी। फिर बिना किसी नोटिस या चेतावनी के हम पर हमला किया गया, जैसे दुश्मन देशों पर हमला किया जाता है। आज सात समंदर पार भी लोग जश्न मना रहे हैं। देश भर से लोग उन लोगों को श्रद्धांजलि देने आए हैं, जिन्होंने हमारे धर्म की खातिर अपनी जान कुर्बान कर दी।
ऑपरेशन ब्लू स्टार का इतिहास
बता दें कि 6 जून 1984 वह दिन था जब पंजाब में जरनैल सिंह भिंडरावाले के नेतृत्व में सिख उग्रवाद को रोकने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के आदेश पर भारतीय सेना ने ऑपरेशन ब्लू स्टार के तहत स्वर्ण मंदिर में धावा बोला था। बताया गया कि भिंडरावाले ने स्वर्ण मंदिर परिसर में भारी मात्रा में हथियार छिपा रखे थे। भिंडरावाले कट्टरपंथी सिख संगठन दमदमी टकसाल का प्रमुख था। जून 1984 में स्वर्ण मंदिर परिसर से उग्रवादियों को बाहर निकालने के लिए भारतीय सेना द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान वह अपने हथियारबंद अनुयायियों के साथ मारा गया था। इस ऑपरेशन की कड़ी आलोचना हुई। कुछ महीनों बाद, 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की उनके दो सिख अंगरक्षकों ने उनके नई दिल्ली स्थित आवास पर हत्या कर दी।
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सरबजीत सिंह खालसा की चुनाव में जीत
बेअंत सिंह और सतवंत सिंह इंदिरा गांधी के अंगरक्षक थे और उन्होंने 31 अक्टूबर 1984 को उनके आवास पर उनकी हत्या कर दी थी। पिछले साल हुए लोकसभा चुनावों में बेअंत सिंह (इंदिरा गांधी के अंगरक्षकों में से एक) के बेटे सरबजीत सिंह खालसा ने फरीदकोट निर्वाचन क्षेत्र से आम आदमी पार्टी के नेता करमजीत सिंह अनमोल पर 70,053 मतों के अंतर से जीत दर्ज की थी।