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फिल्मों की री-रिलीज पर बोले ‘Maharani’ के लेखक Umashankar Singh- ‘प्रेम की तलाश में हैं दर्शक’

उमाशंकर सिंह ने कहा, री-रिलीज फिल्मों में दर्शकों की प्रेम की तलाश

06:06 AM Mar 03, 2025 IST | Anjali Dahiya

उमाशंकर सिंह ने कहा, री-रिलीज फिल्मों में दर्शकों की प्रेम की तलाश

बिहार की राजनीति पर बेस्ड मनोरंजक वेब सीरीज ‘महारानी’ की स्क्रिप्ट लिखने वाले लेखक उमाशंकर सिंह ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से खुलकर बात की। इस दौरान उन्होंने बताया कि सालों पुरानी फिल्में री-रिलीज पर दर्शकों को क्यों पसंद आ रही हैं। उनका मानना है कि आज के दर्शक प्रेम की तलाश में हैं, जो उन्हें पुरानी फिल्मों में दिखाई दे रहा है।

‘महारानी’ लेखक ने कहा

उमाशंकर सिंह ने ‘सनम तेरी कसम’ का जिक्र करते हुए री-रिलीज फिल्मों के बारे में बताया, “आज के समय में भी कई शानदार फिल्में बन रही हैं। ‘सुपरमैन ऑफ मालेगांव’ को ले लें या ऐसी ही और भी फिल्में हैं, जिसे दर्शक पसंद कर रहे हैं। उसके साथ जुड़ाव महसूस कर रहे हैं। हालांकि, पुरानी फिल्मों का जलवा फिर से सिनेमाघरों में बरकरार है और वजह है प्रेम, प्यार या मोहब्बत। आप उदाहरण के तौर पर ‘सनम तेरी कसम’ को ही ले लीजिए। आज खून खराबा से भरी ‘एनिमल’, ‘बागी’ जैसी फिल्मों के दौर में भी ‘सनम तेरी कसम’ जैसी फिल्में सिनेमाघरों में री-रिलीज हो रही हैं और सफलता का टैग लगाने में भी सफल रहीं हैं।”

उन्होंने आगे कहा, ” ऐसी फिल्में दर्शकों को ‘प्रेम’ की वजह से पसंद आ रही हैं। वास्तव में प्रेम समाज से गायब होता जा रहा है। आज भी दर्शकों का एक वर्ग प्रेम की तलाश कर रहा है और उन्हें ऐसे कंटेंट चाहिए, जो ‘लैला मजनू’ ‘सनम तेरी कसम’ की तरह हो। ये फिल्में देखकर लोग सिनेमाघरों में अपनी सीट पर बैठकर रो रहे थे।”

इसके साथ ही उन्होंने फ्रेंचाइजी पर भी बात की। उन्होंने कहा, “ देखिए जितनी भी फिल्में बन रही हैं, उनमें से ज्यादातर फ्रेंचाइजी हैं। आप ‘सिंघम’, ‘रेड’, ‘हाउसफुल’ या ऐसी ही फिल्मों को उदाहरण के तौर पर देख सकते हैं। ओरिजिनल फिल्मों के मामले में कड़ी कमजोर हो गई है। हमें नहीं भूलना चाहिए कि हमने आखिरकार ‘मुन्ना भाई एमबीबीएस’ जैसी फिल्म भी बनाई है।”

हालांकि, उनका मानना है कि अब बॉलीवुड ने रिस्क लेना बंद कर दिया है। उन्होंने कहा, “ इंडस्ट्री ने फुल मनोरंजन के तौर पर सलमान खान की फिल्म ‘बजरंगी भाईजान’ जैसी फिल्म भी बनाई है, हालांकि,अब कोशिश कम हो गई है, मेकर्स रिस्क नहीं लेना चाहते। बॉलीवुड में एक से बढ़कर एक लेखक हैं।”

उमाशंकर ने पुराने समय के साथ बॉलीवुड के आज के समय को कंपेयर करते हुए कहा, “पहले लोग फिल्मों में पैसे लगाने के लिए अपने घर तक को गिरवी रख देते थे। वह डिस्ट्रीब्यूटर के साथ संपर्क में रहते थे। लेक‍िन अब ऐसा नहीं है। जोखिम लेना नहीं चाह रहे हैं। अब बस हर हाल में फायदा चाहिए। इसके पीछे साफ वजह है कि यह अब व्यापार बन चुका है और हर कोई पहले यही सोचता है कि भरपाई कैसे होगा।”

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