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शाहजहांपुर जेल में योग दिवस पर सजी 'संवेदना और संकल्प' की तस्वीर, बंदियों ने किया योगा

योग दिवस पर जेल में संवेदना की तस्वीर

01:10 AM Jun 21, 2025 IST | IANS

योग दिवस पर जेल में संवेदना की तस्वीर

शाहजहांपुर जेल में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर बंदियों ने योग और प्राणायाम का अभ्यास किया। इस पहल ने आत्म विकास की नई राह दिखाई, जिसमें ताड़ासन, भुजंगासन और कपालभाति जैसे आसनों का अभ्यास किया गया। योग के लाभों पर चर्चा करते हुए, बंदियों को मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए प्रेरित किया गया।

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर शनिवार को शाहजहांपुर जिला कारागार एक साधना स्थल में तब्दील हो गया, जब सूर्योदय से पहले ही जेल परिसर में बंदियों ने योग और प्राणायाम के माध्यम से मन, शरीर और आत्मा को जोड़ने का अभ्यास शुरू किया। सुधार और सशक्तिकरण की इस पहल ने जेल की चारदीवारी के भीतर आत्म विकास की एक नई राह दिखाई।

सुबह से शुरू हुए इस विशेष योग सत्र में पुरुष और महिला बंदियों ने प्रशिक्षकों के निर्देशन में ताड़ासन, भुजंगासन, वज्रासन, अनुलोम-विलोम और कपालभाति जैसे विविध आसनों का अभ्यास किया। महिला बैरक में स्वयंसेवी संस्था ‘उड़ान: एक उम्मीद’ वेलफेयर फाउंडेशन की अध्यक्ष नीलम गुप्ता के नेतृत्व में महिला योग प्रशिक्षकों की टीम ने सभी महिला कैदियों को योग कराया। योग क्रियाओं के लाभों पर विस्तार से चर्चा करते हुए संस्था ने बंदियों को प्रसाद भी वितरित किया।

पुरुष बंदियों को भी बाहरी योग प्रशिक्षकों द्वारा विस्तृत प्रशिक्षण दिया गया, जिसमें योग के मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक लाभों पर विशेष बल दिया गया। प्रशिक्षकों ने बताया कि नियमित योगाभ्यास से तनाव, अवसाद, उच्च रक्तचाप और नींद संबंधी समस्याओं में उल्लेखनीय सुधार संभव है। इस अवसर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के पदाधिकारी भी मौजूद रहे। वरिष्ठ जेल अधीक्षक मिजाजी लाल ने स्वयं योग क्रियाएं करते हुए बंदियों को उसके लाभों को व्यवहारिक भाषा में समझाया।

उन्होंने कहा, ‘योग केवल स्वास्थ्य का साधन नहीं, बल्कि मानसिक स्थिरता, अनुशासन और आत्मबल का पथ भी है। नियमित अभ्यास से बंदी समाज में पुनः गरिमामय और आत्मनिर्भर जीवन की ओर अग्रसर हो सकते हैं।’

जेल अधीक्षक ने यह भी जानकारी दी कि पूरे जेल परिसर में आयुर्वेदिक औषधीय पौधों का रोपण किया गया है, जिनका प्रयोग बंदी अपनी शारीरिक समस्याओं के अनुसार कर सकते हैं। उन्होंने सभी बंदियों से आग्रह किया कि वे इन प्राकृतिक संसाधनों का लाभ उठाकर छोटी-मोटी बीमारियों से छुटकारा पाएं और निरोगी जीवन की ओर बढ़ें। कार्यक्रम में जेल प्रशासन, चिकित्सा दल, सुरक्षा कर्मियों और स्वयंसेवी संस्थाओं की सक्रिय भागीदारी रही।

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