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एक जनपद, एक उत्पाद ने दिलाई काला नमक चावल को अन्तर्राष्ट्रीय पहचान : सीएम योगी

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि एक जनपद, एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना से जुड़ने के बाद यूपी के काला नमक चावल को एक नई पहचान मिली है।

05:16 PM Mar 13, 2021 IST | Ujjwal Jain

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि एक जनपद, एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना से जुड़ने के बाद यूपी के काला नमक चावल को एक नई पहचान मिली है।

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एक जनपद  एक उत्पाद  ने दिलाई काला नमक चावल को अन्तर्राष्ट्रीय पहचान   सीएम योगी
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यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि एक जनपद, एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना से जुड़ने के बाद यूपी के काला नमक चावल को एक नई पहचान मिली है। उच्च श्रेणी की मार्केटिंग व ब्रांडिंग की बदौलत आज काला नमक चावल की खुशबू सिद्धार्थनगर से निकल कर देश और दुनिया में महक रही है। तकनीक के जरिए काला नमक चावल की उत्पादन क्षमता को बढ़ाया गया और लागत को कम किया गया। इसका सीधा फायदा किसानों को मिल रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सिद्धार्थनगर में काला नमक महोत्सव का अपने आवास से वर्चुअली सम्बोधित कर रहे थे। इस मौके पर स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह, बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ. सतीश चंद्र द्विवेदी व डुमरियागंज के सांसद जगदिम्बका पाल मौजूद रहे।
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प्रदेश सरकार की ओर से झांसी के स्ट्राबेरी और लखनऊ के गुड़ महोत्सव की तर्ज पर सिद्धार्थनगर के राजकीय इंटर कालेज, नौगढ़ में तीन दिवसीय काला नमक महोत्सव का आयोजन किया गया है। मालूम हो कि कालानमक चावल सिद्धार्थनगर का ओडीओपी है। महोत्सव में काला नमक चावल से बने स्वादिष्ट भोजन का मजा भी लोग ले सकेंगे। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने किसानों को बधाई देते हुए कहा कि सभी कृषि विज्ञान केन्द्रों में काला नमक चावल की उत्पादन क्षमता को लेकर नए शोध किए जा रहे हैं। भविष्य में इसकी उपज और गुणवत्ता और सुधरेगी। इसका लाभ किसानों को मिलेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि, “पहले सिद्धार्थनगर में जब काला नमक चावल का उत्पादन होता था, तो आबादी कम थी और कृषि क्षेत्रफल अधिक। इससे काला नमक चावल के उत्पादन में लागत अधिक आती थी। जनपद सिद्धार्थनगर व आसपास क्षेत्रों के 22 हजार हेक्टेयर में फसल पैदा की जाती थी। नुकसान के चलते इसकी पैदावार कम होती गई। 2017 से पहले काला नमक का उत्पादन 22 सौ हेक्टेयर तक पहुंच गया। वैज्ञानिकों ने इस पर शोध किया और काला नमक की वेराइटी में व्यापक सुधार किया गया। इसकी उत्पादन क्षमता को बढ़ाया गया। इसके बाद काला नमक को ओडीओपी योजना से जोड़ा गया। अब अकेले सिद्धार्थनगर में ही लगभग 5 हजार हेक्टेयर में काला नमक चावल धान का उत्पादन किया जा रहा है।”
योगी ने कहा कि, “160 से कम दिनों में फसल तैयार करने के लिए वैज्ञानिकों ने काफी कार्य किया। काला नमक चावल का पौधा लम्बा होने से बरसात या तेज हवा के झोंके से गिर जाता था। इससे किसानों को काफी नुकसान होता था। वैज्ञानिकों ने तकनीक के जरिए पौधे की लम्बाई को कम किया और उत्पादन क्षमता बढ़ाने में सफलता हासिल की। काला नमक चावल में खुशबू के साथ-साथ प्रचूर मात्रा में पोषक तत्व आयरन, ओमेगा-3, जिंक, आयरन ओमेगा 6 पाए जाते हैं। इसी कारण देश व दुनिया के अंदर काला नमक चावल की लोकप्रियता बढ़ी है। इससे किसानों की आमदनी में भी बढ़ोतरी हुई है। खासकर पिछले तीन से चार सालों में।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी हाल में ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने छत पर स्ट्राबेरी का उत्पादन करने वाली झांसी के एक किसान की बेटी का जिक्र किया था। बुंदेलखंड की धरती हमेशा से सूखे की चपेट में रहती है, लेकिन यहां पर कैसे परिवर्तन लाया जा सकता है। यह उस बेटी ने करके दिखा दिया। आज किसान की वह बेटी डेढ़ एकड़ में स्ट्राबेरी का उत्पादन करके 42 लाख रुपए का प्रोडक्शन कर चुकी है। ऐसे ही सुलतानपुर के किसान गया प्रसाद मुरारी सिंह ने ड्रैगन फ्रूट का उत्पादन कर इतिहास रचा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि, “किसानों की उत्पादन क्षमता को बढ़ाने और लागत को कम करने का प्रयास सरकार कर रही है। जिन किसानों ने फसल उत्पादन में नजीर पेश की उनको समाज के सामने लाने का काम भी सरकार ने किया है। सीएम ने कहा कि चंदौली के प्रगतिशील किसानों ने ब्लैक राइस चावल की पैदावार शुरू की है। जो किसान मणिपुर से लेकर आए हैं। यह चावल पूरी तरह से काला होता है। मुझे सपा के एक एमएलसी ने इसकी खीर खाने का आग्रह किया था। वाकई वह बेहद स्वादिष्ट थी। वहां के किसान काफी अच्छी आमदनी कमा रहे हैं। सिद्धार्थनगर के काला नमक की ऊपरी सतह ही सिर्फ काली होती है जबकि चावल सफेद होता है।”
योगी ने कहा कि जनप्रतिनिधयों को भी काला नमक चावल की ब्रांडिंग में सहयोग देना चाहिए। इससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी। काला नमक चावल में विटामिन व प्रोटीन के साथ-साथ बड़े पैमाने पर पोषक तत्व पाए जाते हैं। जो एक नए ब्रांड के रूप में इसे अन्तर्राष्ट्रीय मंच उपलब्ध करा रहा है। मधुमेह जैसी बीमारियों में भी यह लाभदायक है।
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