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Online Gaming Bill Kya Hai: सट्टेबाजी ऐप्स पर अब कसी जाएगी नकेल, सरकार ने उठाया बड़ा कदम

05:16 PM Aug 19, 2025 IST | Amit Kumar
Online Gaming Bill Kya Hai

Online Gaming Bill Kya Hai: केंद्र सरकार ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए ऑनलाइन गेमिंग से जुड़े नए विधेयक को मंजूरी दी है। इसका उद्देश्य डिजिटल प्लेटफॉर्म पर चल रहे सट्टेबाजी और जुए पर लगाम लगाना है। यह विधेयक देश में तेजी से बढ़ते ऑनलाइन गेमिंग उद्योग को कानूनी ढांचे के तहत लाने का प्रयास करेगा।

Online Gaming Bill Kya Hai: क्या है विधेयक?

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सरकार जल्द ही संसद में एक नया विधेयक पेश करने जा रही है, जो ऑनलाइन गेमिंग की निगरानी और नियंत्रण से जुड़ा है। इसके लिए केंद्रीय कैबिनेट ने हरी झंडी दे दी है। यह कानून बन जाने के बाद, सरकार को उन प्लेटफॉर्म्स के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार होगा जो अनुचित तरीके से लोगों को जुए और सट्टेबाजी के लिए प्रेरित करते हैं।

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सख्त सजा का प्रावधान

यह विधेयक केवल नियम-कायदे बनाने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें कड़ी सजा के प्रावधान भी रखे गए हैं। अगर कोई ऑनलाइन गेमिंग ऑपरेटर या व्यक्ति लोगों को धोखे से फंसाता है या Online Betting से जुड़ी ऐप्स का प्रचार करता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसमें जेल की सजा और जुर्माना दोनों शामिल हो सकते हैं।

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Online Gaming पर सरकार की सख्ती

पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग के क्षेत्र में नियमों को सख्त किया है। अक्टूबर 2023 से, ऑनलाइन गेमिंग पर 28% जीएसटी लगाया गया है। वहीं, 2024-25 के वित्तीय वर्ष से, गेमिंग में जीती गई रकम पर 30% टैक्स देना अनिवार्य कर दिया गया है। इसके साथ ही, विदेशी गेमिंग प्लेटफॉर्म भी अब टैक्स के दायरे में आ चुके हैं।

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अवैध साइटों पर रोक

सरकार ने जांच एजेंसियों को यह अधिकार दिया है कि वे बिना लाइसेंस या अवैध वेबसाइटों और ऐप्स को ब्लॉक कर सकें। 2022 से लेकर फरवरी 2025 तक, सरकार ने 1400 से अधिक वेबसाइटों और ऐप्स पर रोक लगाई है, जो सट्टेबाजी और जुए से जुड़ी थीं।

अवैध सट्टेबाजी पर हो सकती है 7 साल की सजा

भारतीय न्याय संहिता के तहत लागू नए आपराधिक कानूनों में, अवैध सट्टेबाजी करने वालों को 7 साल तक की जेल और जुर्माने का प्रावधान किया गया है। हालांकि, "जुआ और सट्टेबाजी" संविधान की राज्य सूची में आता है, यानी इस पर अंतिम निर्णय लेने का अधिकार राज्य सरकारों के पास भी है।

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