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NDA के तीसरी टांग तोडऩे के बाद ही मोदी सरकार से आमजनों को मुक्ति मिलेगी : रघुवंश प्रसाद

अलावे कोई राह दिखाई नहीं देता। जेपीसी जांच की मांग को लेकर संसद की कार्यवाही ठप है इसे केन्द्र को मानकर संसद की कार्यवाही चलवाना चाहिए।

07:42 PM Dec 21, 2018 IST | Desk Team

अलावे कोई राह दिखाई नहीं देता। जेपीसी जांच की मांग को लेकर संसद की कार्यवाही ठप है इसे केन्द्र को मानकर संसद की कार्यवाही चलवाना चाहिए।

पटना : राजद संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह पूर्व केन्द्रीय मंत्री डा. रघुवंश प्रसाद ङ्क्षसह ने कहा कि एनडीए के दो टांग तोड़ दिये हैं अब तीसरी टांग तोडऩे में लगा हॅू। इसमें सफल होने के बाद भाजपा के नरेन्द्र मोदी सरकार से आमजनों की मुक्ति स्वत: मिल जायेगी। नया साल 2019 महागठबंधन का होगा, वहीं एनडीए की विदाई तय है। उन्होंने कहा किसंसद की कार्यवाही राफेल डील की जांच जेपीसी से कराने की मांग को लेकर नहीं चल पा रही है और देश की नजर उस पर टिकी हुई है। इस सबंध में सुप्रीम कोर्ट में केन्द्र ने गलत हलफनामा दाखिल कर फैसले के बाद हलफनामा में भूल सुधार के लिए ओदन किया है।

जबकि गलत हलफनामा, जिसमें सीएजी ने राफेल डील को सही पाया है, के आधार का जिक्र करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पीआईएल याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि जहाज के मूल्यों की तलना करना कोर्ट का काम नहीं है। कोर्ट के इस निर्णय के बाद केन्द्र सरकार ने अपने 40 मंत्रियों द्वारा देश के 40 जगहों पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर क्लीन चीट का प्रचार करा रही है।

जबकि असलियत यह है कि 26 राफेल जहाज 58000 करोड़ रुपये में फ्रांस से लेने और द सौल्ट कंपनी के साथ एचएएल कंपनी के साथ साझेदारी पर सहमति बन गयी थी उसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 5800 करोड़ रुपये में केवल 36 जहाज लेकर सरकारी कंपनी के बदले अनिल अंबानी की गैर अनुभवी कंपनी जिसका रजिस्टे्रशन एक स प्ताह पहले कराकर साझेदार बना दिया। उन्होंने बताया कि अपने देश की जनता में जहाज का मूल्य और सरकारी कंपनी के बदले प्राइवेट कंपनी लाने पर इसे पूरी तरह संदेह की गुंजाईश हो गयी है और आमजन इसे एक घोटाला की संज्ञा दे रहे हैं।

सरकार राफेल जहाज का मूल्य क्यों नहीं गुप्त रखी है? सरकारी कंपनी के बदले प्राइवेट कंपनी क्यों लायी? 58000 करोड़ रुपये में 126 जहाज के बदले केवल 36 जहाज क्यों लिया जा रहा है और सरकार जांच से क्यों भाग रही है। देश इन चीजों को जानना चाहती है। इसलिए संयुक्त संसदीय समिति से जांच के अलावे कोई राह दिखाई नहीं देता। जेपीसी जांच की मांग को लेकर संसद की कार्यवाही ठप है इसे केन्द्र को मानकर संसद की कार्यवाही चलवाना चाहिए। संवाददाता सम्मेलन में प्रदेश प्रवक्ता चितरंजन गगन एवं आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष पी के चौधरी आदि मौजूद थे।

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