इस मामले पर नाराज होकर क्या अखिलेश से तलाक लेंगे राजभर, भाजपा से करीबी पर अटकलें बढ़ी
उत्तर प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) की सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने सोमवार को कहा कि वह सपा प्रमुख अखिलेश यादव से मुलाकात करके पूछेंगे कि विपक्षी दलों के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के कार्यक्रम में उन्हें क्यों आमंत्रित नहीं किया गया।
12:45 PM Jul 11, 2022 IST | Ujjwal Jain
उत्तर प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) की सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने सोमवार को कहा कि वह सपा प्रमुख अखिलेश यादव से मुलाकात करके पूछेंगे कि विपक्षी दलों के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के कार्यक्रम में उन्हें क्यों आमंत्रित नहीं किया गया।
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क्या फिर भाजपा के नजदीक जा रहे है राजभर
राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव 18 जुलाई को होने हैं। मतदान में सुभासपा की भूमिका को लेकर असमंजस बना हुआ है क्योंकि पार्टी प्रमुख ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। इस बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से उनकी नजदीकी की अटकलें तेज हो गई हैं और यह भी कयास लग रहे हैं कि राजभर सपा से दूर हो सकते हैं।
सुभासपा अध्यक्ष ने सोमवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा कि वह अखिलेश यादव से मुलाकात करना चाहते हैं जिसके लिए उन्होंने रविवार को सपा नेता उदयवीर सिंह (अखिलेश यादव के करीबी) से फोन पर बात की और उन्हें अखिलेश से मुलाकात व बातचीत की अपनी मंशा से अवगत कराया।
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यशवंत सिन्हा के कार्यक्रम में नहीं बुलाये जाने पर खफा
गौरतलब है कि राष्ट्रपति पद के लिये विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार यशवंत सिन्हा की बृहस्पतिवार को पत्रकार वार्ता हुई थी। सपा ने इस पत्रकार वार्ता में गठबंधन के एक अन्य सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के प्रमुख जयंत सिंह को तो बुलाया था, लेकिन सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर इसमें नजर नहीं आए थे।
राजभर ने कहा कि वह सपा प्रमुख से मिलकर यह जानना चाहते हैं कि आखिरकार उन्हें विपक्षी दलों के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के कार्यक्रम में क्यों आमंत्रित नहीं किया गया। उन्होंने दावा किया कि वह 12 जुलाई तक अखिलेश के रुख का इंतजार करेंगे और फिर अपने निर्णय की घोषणा करेंगे।
जो सही है, वह वही बोल रहे हैं – राजभर
उन्होंने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के समर्थन पर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त करने से इंकार किया। राजभर ने कहा कि चुनाव में अभी समय है। हालांकि उन्होंने मुर्मू को उम्मीदवार बनाए जाने पर प्रसन्नता जताई और कहा कि वह राजनीति में अति दलित व पिछड़े वर्ग की लड़ाई लड़ते हैं ।
उन्होंने कहा कि डॉक्टर बी आर आंबेडकर, डॉक्टर राम मनोहर लोहिया व पंडित दीनदयाल उपाध्याय की मंशा थी कि राजनीति में हाशिए पर रहे लोगों को आगे लाया जाए। यह पूछे जाने पर कि क्या वह द्रौपदी मुर्मू की प्रशंसा कर राजग उम्मीदवार का समर्थन नहीं कर रहे, राजभर ने कहा कि जो सही है, वह वही बोल रहे हैं।
योगी आदित्यनाथ के भोज में बुलावे पर पहुंचे थे राजभर
गौरतलब है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को यहां राजग के सांसदों और विधायकों से अपने लिए समर्थन मांगा।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को अपने पांच कालिदास मार्ग स्थित सरकारी आवास पर मुर्मू के सम्मान में रात्रिभोज आयोजित किया जिसमें भाजपा के सहयोगी दलों के नेताओं के अलावा ओमप्रकाश राजभर भी शामिल हुए थे। बाद में राजभर ने दावा किया था कि वह मुर्मू के बुलावे पर गये थे।
शनिवार को बलिया में सुभासपा नेता ने सपा से गठबंधन को लेकर यह भी कहा था ‘‘हमारी तरफ से कोई दरार नहीं है। सुभासपा गठबंधन धर्म के निर्वहन के लिए कटिबद्ध है। हम सपा के साथ गठबंधन में हैं और रहेंगे। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव अगर गठबंधन को तोड़ेंगे, तब फिर हम निर्णय करेंगे।’’
चुनाव के वक्त भाजपा से अलग होकर सपा के साथ जा मिले थे राजभर
उत्तर प्रदेश की 403 सदस्यों वाली विधानसभा में राजभर की पार्टी के छह विधायक हैं। उन्होंने हाल ही में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव सपा के नेतृत्व वाले विपक्षी समूह के सहयोगी के रूप में लड़ा था। 2017 के विधानसभा चुनाव में सुभासपा, भाजपा के साथ थी और राज्य में भाजपा की सरकार बनने के बाद सत्ता में शामिल भी हुई थी लेकिन बाद में पार्टी सरकार से अलग हो गयी थी।
राजभर ने पिछले सोमवार को जारी एक बयान में यह भी दावा किया था कि वह 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ ही रहेंगे।उन्होंने योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली राज्य सरकार पर हमला करते हुए कहा कि योगी सरकार के 100 दिन के कार्यकाल में भाजपा ने सिर्फ नफरत फैलाने का काम किया है।
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