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अमेरिका ने 25 मिनट में मचाई तबाही, 125 से अधिक विमान आए... जानिए कैसे ईरान पर हुआ हमला

‘डिकॉय मिशन’ से ईरान को दिया गया चकमा

09:31 AM Jun 22, 2025 IST | Priya Pathania

‘डिकॉय मिशन’ से ईरान को दिया गया चकमा

अमेरिका ने ‘ऑपरेशन मिडनाइट हैमर’ के तहत ईरान के फोर्डो, नतान्ज़ और इस्फाहान स्थित परमाणु ठिकानों पर अचानक हवाई हमला किया। 7 B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स और 125 से अधिक विमानों ने इस मिशन को अंजाम दिया। हमले में बंकर बस्टर बम और टोमहॉक मिसाइलें इस्तेमाल की गईं।

वॉशिंगटन : अमेरिका ने अपने इतिहास के सबसे तेज और खुफिया सैन्य अभियानों में से एक को अंजाम देते हुए ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर जोरदार हवाई हमला किया है। रविवार तड़के ‘ऑपरेशन मिडनाइट हैमर’ के तहत अमेरिकी वायुसेना ने महज 25 मिनट में ईरान के Fordow, Natanz और Isfahan में स्थित परमाणु स्थलों को निशाना बनाया। अमेरिकी सेना ने दावा किया है कि यह ऑपरेशन पूरी तरह सफल रहा और ईरान का परमाणु कार्यक्रम अब “पूरी तरह समाप्त” हो चुका है।

125 से अधिक विमान, 7 स्टील्थ बॉम्बर्स और टोमहॉक मिसाइलों का इस्तेमाल

अमेरिकी जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के चेयरमैन जनरल डैन केन ने व्हाइट हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस हमले की विस्तृत जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि इस ऑपरेशन में अमेरिका के 7 स्टील्थ B-2 बॉम्बर्स शामिल थे, जिन्होंने Fordow और Natanz में 30,000 पाउंड वजनी बंकर बस्टर बम गिराए। वहीं, इस्फाहान के ठिकाने को टोमहॉक क्रूज़ मिसाइलों से निशाना बनाया गया। जनरल केन के अनुसार, इस बेहद गोपनीय ऑपरेशन में 125 से अधिक सैन्य विमान शामिल थे। हमले में कुल 14 बंकर-बस्टर बम और दो दर्जन से अधिक टोमहॉक मिसाइलें दागी गईं।

मिशन की शुरुआत: मिसौरी से उड़ी B-2 बॉम्बर्स

B-2 बॉम्बर्स ने अमेरिका के मिसौरी स्थित एयरबेस से उड़ान भरी और लगभग 18 घंटे लंबे मिशन को अंजाम दिया। इस अभियान को अत्यधिक सावधानी के साथ अंजाम दिया गया, जिसमें संचार को न्यूनतम रखा गया ताकि ईरान को हमले की भनक न लगे। हर B-2 बॉम्बर में दो-दो पायलट तैनात थे।

हमला कैसे हुआ?

भारतीय समयानुसार रविवार तड़के सुबह 4:10 बजे पहला हमला Fordow न्यूक्लियर साइट पर हुआ, जहां दो बंकर-बस्टर बम गिराए गए। इसके तुरंत बाद Natanz और फिर Isfahan पर हमले हुए। सुबह 4:35 बजे तक सभी अमेरिकी विमान ईरानी हवाई क्षेत्र से बाहर निकल चुके थे।

‘डिकॉय मिशन’ से ईरान को दिया गया चकमा

जनरल केन ने बताया कि ऑपरेशन की सफलता के लिए एक विशेष ‘डिसेप्शन रणनीति’ (डिकॉय मिशन) अपनाई गई। इसके तहत कुछ विमानों को जानबूझकर प्रशांत महासागर की ओर भेजा गया ताकि ईरान को हमले की वास्तविक दिशा और उद्देश्य का भ्रम बना रहे। इस योजना की जानकारी केवल सीमित वरिष्ठ अधिकारियों तक सीमित रखी गई थी।

ट्रंप ने दिया था हमले का आदेश

इस हमले की अनुमति अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दी थी। ट्रंप ने हाल ही में कहा था कि अमेरिका तय करेगा कि वह ईरान पर हमलों में इजरायल का समर्थन करेगा या नहीं। लेकिन इस बयान के केवल दो दिन बाद ही उन्होंने व्हाइट हाउस के सिचुएशन रूम से इस ऑपरेशन की निगरानी करते हुए हमले का आदेश दिया।

ईरानी सुरक्षा तंत्र फेल: कोई प्रतिक्रिया नहीं

जनरल केन ने दावा किया कि अमेरिकी विमानों को ईरानी रडार या सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणालियों ने ट्रैक नहीं किया। उन्होंने कहा, “हमने ईरान को अंत तक भ्रम में रखा।”

रक्षामंत्री का दावा: ‘ईरान का परमाणु कार्यक्रम अब समाप्त’

अमेरिकी रक्षामंत्री पीट हेगसेथ ने ऑपरेशन को “ऐतिहासिक सफलता” बताया और कहा कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम अब पूरी तरह समाप्त हो चुका है। उन्होंने कहा, “राष्ट्रपति ट्रंप पहले दिन से स्पष्ट थे कि ईरान को कभी भी परमाणु हथियार नहीं हासिल करने दिया जाएगा। आज हमने वह लक्ष्य हासिल कर लिया है।”

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