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टूट रहीं रिश्तों की कड़ियां

आखिर क्यों आज के दौर में रिश्ते रिस रहे हैं? आखिर क्यों अपने शौक और सपनों को…

04:18 AM Jun 13, 2025 IST | Aakash Chopra

आखिर क्यों आज के दौर में रिश्ते रिस रहे हैं? आखिर क्यों अपने शौक और सपनों को…

आखिर क्यों आज के दौर में रिश्ते रिस रहे हैं? आखिर क्यों अपने शौक और सपनों को पूरा करने के लिए या किसी बोझ से मुक्ति पाने के लिए रिश्तों के ही टुकड़े-टुकड़े किए जा रहे हैं? आखिर क्यों नए रिश्ते बनाने के लिए पुराने रिश्तों की बलि चढ़ाई जा रही है? क्या कत्ल के अलावा एक-दूसरे से अलग होने का कोई विकल्प बाकी नहीं रह गया है या इसके पीछे कोई बड़ी मानसिकता है, जो बरसों से मन में पनप रही है। अपनों से परिवार बनता है, परिवार से समाज लेकिन परिवारों की नींव दरक रही है। रिश्तों में लगाव की कड़ियां टूट रही हैं। यही वजह है कि अपने ही जान के दुश्मन बन रहे हैं। भाई-भाई की जान का दुश्मन बन बैठा है, बेटा बाप को और मां बेटे को मार रही है। महज एक साल में ही ऐसे केस सामने आए हैं, जिसमें कोई रिश्ता ऐसा नहीं बचा, जिसका कत्ल न हुआ हो। रिश्तों में बढ़ रही दूरियों के कई कारण हैं। सोशल मीडिया जिम्मेवार है। अनजान लोगों से चैटिंग करना, घंटों उनसे बातचीत का असर दिलो-दिमाग पर पड़ता है। लोग काल्पनिक दुनिया में रहते हैं। अपनों के बीच संवादहीनता शुरू हो जाती है। रिश्तों की गर्माहट खत्म हो जाती है। एक कारण व्यस्तता भी है। लोगों के पास समय नहीं कि परिवार पर ध्यान दे सकें। पति-पत्नी एक-दूजे को समय नहीं दे पाते। इससे समस्या बढ़ती है। ‘आशिक का ऑर्डर, पति का मर्डर’, ‘नीले ड्रम के बाद सूटकेस कांड’, ‘मैंने राक्षस को मार डाला’ ये टाइटल किसी फिल्म के नहीं बल्कि वो वास्तविक घटनाएं हैं, जिनसे आज के अखबार भरे पड़े हैं। आजकल कुछ महिलाएं अपने ‘प्यार’ के लिए अपने ही पति के खून की प्यासी हो रही हैं। बिना किसी डर और खौफ के वे अपने पति और पवित्र रिश्तों का कत्ल कर रही हैं। जिस रिश्ते की शुरूआत सात फेरों और वचनों से होती है, जहां एक जन्म नहीं बल्कि सात जन्मों तक साथ रहने का वचन दिया जाता है, आज उसी रिश्ते को महिलाएं धोखे और साजिश से दागदार कर रही हैं। इंदौर के नवविवाहित जोड़े राजा रघुवंशी और सोनम रघुवंशी की मेघालय हनीमून यात्रा एक ऐसी खौफनाक साजिश में बदल गई, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। 11 मई 2025 को हिंदू रीति-रिवाजों से हुई शादी के महज नौ दिन बाद, 20 मई को यह जोड़ा हनीमून के लिए मेघालय के शिलांग रवाना हुआ लेकिन 23 मई को दोनों के फोन बंद होने के बाद कहानी ने रहस्यमय मोड़ ले लिया। 2 जून को राजा का शव चेरापूंजी के पास वेईसावडॉन्ग झरने की गहरी खाई में मिला, जबकि सोनम लापता थी। शुरूआत में इसे लूटपाट और हत्या का मामला माना गया, लेकिन 9 जून को सोनम की गिरफ्तारी ने इस केस को एक नया मोड़ दे दिया। कहा जा रहा है कि सोनम राज कुशवाहा नाम के एक शख्स से प्यार करती थी, इसी वजह से उसने हत्या कराई।

मनोवैज्ञानिक विश्लेषण के नजरिये से सोनम की मानसिक स्थिति पर गौर करना भी जरूरी है। भारतीय समाज में अरेंज मैरिज एक सामान्य प्रथा है ले​िकन इसके पीछे अक्सर सामाजिक और पारिवा​िरक दबाव काम करते हैं। क्या सोनम पर परिवार या समाज का दबाव था कि वह इस शादी के लिए राजी हो? भारतीय समाज में, खासकर मध्यवर्गीय परिवारों में आर्थिक स्थिति और सामाजिक रूतबे को प्राथमिकता दी जाती है, जिसके चलते व्यक्तिगत इच्छाओं को दबा ​​दिया जाता है। यह सवाल उठता है कि क्या सोनम सामाजिक दबाव का ​शिकार थी, जो उसे इस हद तक ले गया।

पिछले कुछ महीनों से कुछ खबरें मन को बेहद विचलित कर रही हैं। मेरठ का सौरभ कांड में जहां कातिल ‘मुस्कान’ ने अपने प्रेमी संग मिलकर अपने पति को दर्दनाक मौत दे दी, वहीं औरैया की प्रगति हो या फिर देवरिया की रजिया, जिसने दुबई से लौटे अपने पति को मारकर, उसके शव के टुकड़े-टुकड़े कर उसी सूटकेस में भर दिए, जिसे लेकर उसका पति नौशाद दुबई से लौटा था। बताया जा रहा है कि रजिया के अपने भतीजे से अवैध संबंध थे। ताजा मामला तो कर्नाटक से सामने आया है जहां एक पूर्व डीजीपी ओमप्रकाश को उसकी पत्नी ने बड़ी ही क्रूरता से तड़पा-तड़पाकर मौत के घाट उतार दिया। इतना ही नहीं उसने तो पति की हत्या कर अपनी एक दोस्त को फोन पर जानकारी देते हुए यह भी कहा कि मैंने राक्षस को मार डाला। मई 2022 में दिल्ली में अपने फ्लैट में श्रद्धा वालकर की कथित तौर पर उनके लिव-इन-पार्टनर आफताब अमीन पूनावाला ने गला घोंटकर हत्या कर दी थी। उसने कथित तौर पर उसके शरीर के 36 टुकड़े किए और कटे हुए हिस्सों को रेफ्रिजरेटर में भर दिया और फिर कई दिनों तक राष्ट्रीय राजधानी में कई जगहों पर शव के टुकड़ों को बिखेरता रहा, ताकि किसी को हत्या का पता न चले। हालांकि, पुलिस ने आफ़ताब को गिरफ्तार कर लिया था। इस मामले में दिल्ली पुलिस ने 24 जनवरी, 2023 को 6,629 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी। इन सभी घटनाओं में एक कॉमन पैक्टर है, बेवफाई, अवैध संबंध और बरसों से पति द्वारा अत्याचार सहते रहना। इन सभी घटनाओं में क्रूरता इतनी बढ़ी कि रिश्तों ने एक बदसूरत मोड़ ले लिया। कहीं मार-काटकर नीले ड्रम या सूटकेस में सात वचनों की पोटली को ही स्वाहा कर दिया गया तो कहीं सांप से कटवाकर रिश्ते को खतरनाक अंजाम तक पहुंचाया गया। ऐसा नहीं है कि इश्क में पहले कत्ल नहीं हुआ करते थे। पहले भी आशिकों ने हाथों में खंजर या तमंचे उठाए हैं लेकिन 2010 के बाद से पति-पत्नी, इश्क, बेवफाई और अवैध संबंध की वजह से होने वाले कत्ल की तादाद तेजी से बढ़ी।

पिछले 15 सालों के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो साफ पता चलता है कि जैसे-जैसे सोशल मीडिया का चलन बढ़ा, पति-पत्नी के रिश्ते, शादी के बाद के संबंध और इश्क और खूनी होता चला गया। आंकड़ों के हिसाब से 2010 से 2014 के दरम्यान लव अफेयर और संबंधों की वजह से होने वाले कत्ल का प्रतिशत 7 से 8 फीसदी था लेकिन 2015 से 2022 के दरम्यान ये बढ़कर 10 से 11 फीसदी हो गया। ये गिनती लगातार बढ़ती जा रही है। एनसीआरबी के डेटा के मुताबिक 2022 में देशभर में खुदकुशी के कुल 17 हजार 924 केस दर्ज हुए थे, जिनमें से अकेले शादी से जुड़े मामलों में 8 हजार 204 पति या पत्नी ने खुदकुशी की। जबकि इश्क के चलते 7 हजार 692 प्रेमी जोड़ों में से किसी एक ने खुदकुशी कर ली।

इसके अलावा अवैध संबंधों की वजह से भी 855 लोगों ने खुदकुशी की। एनसीआरबी के अलावा नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के एक आंकड़े के मुताबिक 4 फीसदी शादीशुदा महिलाओं ने यह माना है कि वो अपने पति को शारीरिक तौर पर चोट पहुंचाती हंै। अब मुहब्बत उस एहसास का नाम नहीं रहा जो कभी हर दिल में रहा करता था। सवाल यही है कि आखिर हमारा समाज किस दिशा में जा रहा है। क्या तरक्की और स्वतंत्रता का यही पैमाना है? सामाजिक और पारिवारिक मूल्यों के क्षरण का सिलसिला आखिर कहां जाकर थमेगा, इसके बारे में गहन चिंतन-मनन की जरूरत है। ये मामले पुलिस और कानूनी व्यवस्था के लिए चुनौती होने के साथ-साथ समाज के लिए एक चेतावनी भी हैं। इन कहानियों से यह भी सवाल उठता है कि क्या हम अपने रिश्तों को वाकई समझते हैं? क्या हम सामाजिक दबावों के बीच व्यक्तिगत इच्छाओं को दबाकर ऐसी त्रासदियों को न्योता दे रहे हैं? राजा, सौरभ, दिलीप और दीपक की कहानियां सिर्फ क्राइम की नहीं, बल्कि टूटे सपनों, विश्वासघात और इंसानी कमजोरियों की हैं। ये हमें सिखाती हैं कि प्यार और विश्वास के बिना कोई रिश्ता अधूरा है और अगर इसे जबरदस्ती बांधा गया, तो परिणाम घातक हो सकते हैं।

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