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ऑपरेशन सिन्दूर : रण​नीतिक कौशल

04:31 AM Aug 11, 2025 IST | Aditya Chopra
ऑपरेशन सिन्दूर   रण​नीतिक कौशल
पंजाब केसरी के डायरेक्टर आदित्य नारायण चोपड़ा

लहराया केसरिया रंग जब सीमा के उस पार
बढ़े हमारे वीर जवान, लिए हृदय में अंगार
नाम रखा जो मिशन का-ऑपरेशन सिन्दूर
शौर्य, बलिदान और प्रेम का बना वो दस्तूर
सिन्दूर प्रतीक है वीरता और त्याग का
सिन्दूर प्रर्याय है प्रेम और बलिदान का
जब देश पुकारे बेटों को तब मांगें सूनी हो जाती हैं
पर कदम रुकते नहीं जब रण चंडी चढ़ जाती है।
ऋचा शर्मा की यह पंक्तियां ऑपरेशन सिन्दूर के दौरान भारतीय सेना के शौर्य को समर्पित हैं। भारतीय वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमरप्रीत सिंह ने बैंगलुरु में एक कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए ऑपरेशन सिन्दूर के बहुत से पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने मई में ऑपरेशन सिन्दूर के दौरान पाकिस्तान के पांच लड़ाकू जेट और एक बड़े एयरक्राफ्ट को मार गिराने की जानकारी दी और साथ ही यह भी कहा कि पाकिस्तान के साथ संघर्ष के दौरान रूस से लिए गए एस-400 गेम चेंजर साबित हुआ। वायुसेना प्रमुख ने ऑपरेशन सिन्दूर की सफलता का श्रेय केन्द्र सरकार की राजनीतिक इच्छा शक्ति को देते हुए कहा कि सशस्त्र बलों पर कोई पाबंदी या दबाव नहीं था। हमें योजना बनाने और क्रियान्वित करने की पूरी आजादी थी। उन्होंने युद्ध ​िवराम करने के फैसले को भी एक अच्छा निर्णय बताया। समूचे देश को भारतीय सेना पर गर्व है क्योंकि जब-जब पाकिस्तान ने भारत पर हमला किया है तब-तब भारतीय सेना ने उसे करारा जवाब दिया है। ऑपरेशन सिन्दूर अभूतपूर्व रहा उसमें पहलगाम आतंकी हमले के आकाओं को सबक सिखाने और समर्थ भारत का रौद्र रूप निहित है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तो यहां तक कहा था कि उनकी रगों में लहू नहीं गर्म सिन्दूर बह रहा है। जो सिन्दूर मिटाने निकले थे उन्हें मिट्टी में मिलाया है। जब सिन्दूर बारूद बन जाता है तो उसके क्या नतीजे होते हैं यह दुश्मन ने देख लिया है। भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने भी पाकिस्तान के दुष्प्रचार की पोल खोलते हुए ऑपरेशन सिन्दूर को समझाने के लिए शतरंज का उदाहरण दिया। जनरल ने कहा कि हमें नहीं पता था कि दुश्मन की अगली चाल क्या होगी और फिर हम आगे क्या करने वाले हैं। हम शतरंज की चालें चल रहे थे। कहीं हम उन्हें शह और मात दे रहे थे और कहीं हम जान जोखिम में डालकर आगे बढ़ रहे थे। भारतीय सेना ने पाकिस्तान की रणनीति पर अपने तरीके से मुकाबला किया। भारत का रणनीतिक संदेश बहुत महत्वपूर्ण था और वह संदेश था न्याय। ऑपरेशन सिन्दूर के तीन माह बाद एयरफोर्स चीफ एयरमार्शल एपी सिंह द्वारा रूस के एस-400 मिसाइल सिस्टम की तारीफ करने का अपना एक अर्थ है। उन्होंने विपक्षी दलों द्वारा उठाए जा रहे सवालों का जवाब तो दिया ही साथ ही अपने बयान के माध्यम से भारत ने अमेरिका सहित दुनिया को संदेश पहुंचा दिया है। अमेरिका ने भारत पर रूस से हथियार और तेल खरीदने के कारण 50 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया है। ऐसेे वक्त में रूस के एस-400 कवच पर न सिर्फ भरोसा करना, बल्कि उसकी तारीफ करने के पीछे भारत का साफ संदेश यही है कि रूस के साथ उसके संबंध बेहद मजबूत हैं। रूस हमारा परखा हुआ ​िमत्र है। युद्ध हो या शांतिकाल रूस हमेशा भारत के साथ खड़ा रहा है।
एस-400 डिफेंस मिसाइल सिस्टम को रूस ने बनाया है और यह सतह से हवा में अपने टारगेट को मार गिरा सकती है। यह 400 किमी की दूरी और 30 किमी की ऊंचाई तक के किसी भी टारगेट (विमान, यूएवी, बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइल) को मार गिरा सकती है। एस-400 मिसाइल सिस्टम एक साथ 100 टारगेट को ट्रैक कर सकती है और 6 टारगेट को एक साथ निशाना बना सकती है।
भारत ने हमेशा रूस जैसे रणनीतिक साझीदार पर ज्यादा भरोसा किया है। ट्रंप के टैरिफ दबाव के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन से भी बातचीत की है और उसके एक दिन पहले ही राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने रूस के राष्ट्रपति से मुलाकात की थी। सैन्य सिद्धांतकार कहते हैं कि सैन्य रणनीति को हमेशा व्यापक राजनीतिक लक्ष्यों के साथ रेखांकित करना चाहिए। उनके सिद्धांतों को अगर आज के दौर में देखें तो सैन्य अभियान अनिश्चितता से भरे होते हैं, यानी वे किस लक्ष्य को हासिल करने के मकसद से शुरू किए जाते हैं और उनके नतीजे क्या निकलते हैं, इसके बारे में कुछ भी निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता है। एक सेना किस प्रकार काम करती है और अपने उद्देश्यों को पाने के लिए क्या कदम उठाती, क्या रणनीति अपनाती है, उसी से युद्ध के मैदान में और बाहर उसकी सफलता या विफलता को आंका जाता है। हाल ही में भारतीय सेनाओं की ओर से पाकिस्तान के खिलाफ चलाए गए ऑपरेशन सिन्दूर को ही देखा जाए तो इसे पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर और आतंक के कर्ताधर्ता पाकिस्तान की जमीन पर मौजूद आतंकवादी संगठनों के विरुद्ध शुरू किया गया था।
ऑपरेशन सिंदूर का पहला लक्ष्य वहां के आतंकी ठिकानों और ट्रेनिंग कैंपों को निशाना बनाकर आतंक की रीढ़ तोड़ना था। इसके जवाब में पाकिस्तान ने भारत पर हवाई हमले किए और भारत के नागरिक व सैन्य ठिकानों को निशाना बनाकर मिसाइल व ड्रोन्स दागे। ऐसा करके पाकिस्तान ने कहीं न कहीं जल्दबाजी दिखाई और असंयमित सैन्य कार्रवाई की। उसकी इस हरकत के जवाब में भारतीय सेनाओं ने 9 एयरबेस और उनकी रडार प्रणाली और आतंकी ठिकानों को 22 सैकेंड में तबाह कर दिया। भारतीय सेना ने संतुलन और संयम से कार्रवाई कर एक लाइन खींच दी और दुश्मन को बता दिया कि अगर इसे पार किया गया तो वह पाकिस्तान को तबाह कर देगा। भारतीय सेना ने युद्ध संचालन के लिहाज से युद्ध सिद्धांतों का भी पालन किया। भारत ने किसी नागरिक ठिकानों को निशाना न बनाते हुए ऐसी रणनीति से काम किया कि उसे संभालने का मौका नहीं दिया। भारतीय सेना ने एक न्यू नार्मल यानि एक नया मापदंड स्थापित किया और यह दिखाया कि सीमापार आतंकवाद कुचलने के लिए वह किस स्तर पर जाकर सैन्य कार्रवाई को अंजाम दे सकता है। भारतीय सेना ने अपने रणनीतिक कौशल से न केवल अपनी सुरक्षा की बल्कि कुछ सैकेंड में ही पाकिस्तान को धूल चटा दी।

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