अमित शाह से मात खाते विरोधी
भारत के दूसरे सबसे शक्तिशाली व्यक्ति गृहमंत्री अमित शाह भाजपा के उदय के पीछे…
भारत के दूसरे सबसे शक्तिशाली व्यक्ति गृहमंत्री अमित शाह भाजपा के उदय के पीछे एक प्रेरक शक्ति रहे हैं। उनके रणनीतिक कौशल और संगठनात्मक कौशल भाजपा के चुनावी भाग्य को आकार देने में सहायक रहे हैं। चुनावी नब्ज को समझने और जीतने की रणनीति बनाने की उनकी क्षमता ने उन्हें आधुनिक राजनीति का चाणक्य बना दिया है। गृहमंत्री के रूप में अमित शाह ने ऐसे सख्त कदम उठाए जिनके बारे में कभी सोचा भी नहीं जाता था। गृहमंत्री स्वयं कहते रहे हैं कि वे चाणक्य और वीर सावरकर से प्रेरणा लेते हैं। अगर कोई भारतीय राजनीति को समझना और भारत में शासन करना चाहता है तो उसे इन दो युग निर्माताओं के दर्शन को आत्मसात करना होगा। गृहमंत्री पद पर रहते कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक, कच्छ से लेकर कामरूप तक उन्होंने जिस ताने-बाने को बुना है उसकी सराहना की ही जानी चाहिए। यही कारण है कि उनके कट्टर आलोचक और विरोधी पार्टियों के नेता उनसे मात खा रहे हैं। राज्यसभा में गृह मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा का जवाब देते हुए विपक्षी दलों को िनरुत्तर कर दिया।
उन्होंने आतंकवाद पर करारा हमला बोलते हुए सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति का जिक्र किया। उन्होंने अनुच्छेद 370 समेत तमाम मुद्दों पर कांग्रेस समेत विपक्ष को घेरा। उन्होंने कहा कि चार दशक से देश में तीन नासूर थे, पहला- आतंकवाद, दूसरा-नक्सलवाद और तीसरा-पूर्व उग्रवाद। हमने आतंकवाद को मुंहतोड़ जवाब दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई। अमित शाह ने कहा कि मैं इस सदन में जिम्मेदारी के साथ कहता हूं कि इस देश में नक्सलवाद 21 मार्च 2026 तक समाप्त हो जाएगा।
गृहमंत्री ने पाकिस्तान में घुसकर एयर स्ट्राइक, सर्जिकल स्ट्राइक का उल्लेख किया। साथ ही नक्सल प्रभावित इलाकों में सिमटते लाल आतंक और पूर्वोत्तर में कम होते उग्रवाद का उल्लेख भी किया। दक्षिण भारतीय राज्यों में भाषा िववाद पर भी बोलते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि हिन्दी किसी भी भाषा से प्रतिस्पर्धा नहीं करती, बल्कि वह तो सभी भारतीय भाषाओं की सखी है। उन्होंने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन को यह कहकर जवाब दिया कि वह अपने राजनीतिक हित साधने के िलए भाषा विवाद भड़का रहे हैं। उन्होंने कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के नेताओं पर करारे तंज कसे।
अमित शाह के कार्यकाल में ही अापराधिक न्याय प्रणाली में बदलाव किया गया। उनकी राजनीतिक सूझबूझ समर्पण आैर उनकी पार्टी और समर्थकों से अर्जित गहरे विश्वास का प्रमाण रही। अपने अभियानों के दौरान उन्होंने पार्टी के विमर्श को हिन्दुत्व और कट्टर राष्ट्रवाद के साथ विकास के मुद्दे पर आगे बढ़ाया और विपक्ष के विमर्श का जोरदार तरीके से मुकाबला करने के लिए हर अवसर का इस्तेमाल किया। गृहमंत्री के बारे में मशहूर है कि वह न तो खुद आराम करते हैं और न किसी को करने देते हैं। भाजपा के अध्यक्ष पद पर रहते हुए उन्होंने सबसे बड़ा परिवर्तन यह किया था कि पार्टी दिन-रात काम करने लगी। भाजपा हर चुनावी तैयारी के लिहाज से दूसरे दलों से आगे चलती है। यह अमित शाह की मेहनत का ही परिणाम है। गृहमंत्री राजनीति में प्रयोग करने वाले नेता के रूप में देखे जाते हैं। पार्टी की विचारधारा और नीतियों के प्रति प्रतिबद्ध रहते हुए कोई भी प्रयोग करने से पहले वे काफी होमवर्क करते हैं जिससे उनका दांव अक्सर फिट बैठता है।
अमित शाह की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ जो ट्यूनिंग देखने को मिलती है वैसी मिसाल राजनीति में कम ही दिखती हैं। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को यदि राजनीतिक रूप से कोई खतरा नहीं है तो इसका एक कारण यह भी है कि उनके राजनीतिक कवच बन कर अमित शाह हमेशा खड़े रहते हैं। मोदी ने अमित शाह को कठिन से कठिन कार्य दिये लेकिन उन्होंने जिस तरह सफल रणनीति बनाकर उन्हें अंजाम तक पहुंचाया उसके चलते मोदी भी उनके मुरीद हैं।
विचारधारा के व्यापक ह्रास के दौर में वैचारिक पुनरोद्धार यह भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के उन सबसे महत्वपूर्ण योगदानों में से है जो उन्होंने बीते कुछ सालों में पार्टी के लिए किए हैं। जब राष्ट्रीय भूमिका में उनका पदार्पण हुआ तब अपने कार्यकाल के आरंभिक दिनों में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने एक बिंदु को बारंबार उठाया कि पार्टी को दक्षिणी, पूर्वी और पूर्वोत्तर क्षेत्रों में पैठ बनाने-बढ़ाने की जरूरत है। इस रणनीतिक विस्तार के लिए शाह ने संगठन की जड़ों को गहरा करने और आधार को विस्तृत बनाने की बात कही। उनके मुताबिक इस गहराई और विस्तार से पार्टी को संगठनात्मक स्थिरता मिलेगी और साथ ही उसकी देशव्यापी अपील बनेगी। इससे भाजपा का जमीनी आधार और मजबूत होना सुनिश्चित होगा। उनके इस तर्क पर विविध प्रकार की प्रतिक्रियाएं मिलीं, कुछ ने सवाल खड़े किए तो कुछ ने उनकी बातों को खारिज कर दिया, किंतु अपने कार्यकाल के एक ही साल में शाह ने अपने गणित को सही साबित कर दिखाया। उनके प्रबंधन और अथक प्रयासों से ही यह संभव हो पाया है कि आज भाजपा ने अपना आधार दक्षिण से लेकर पूर्व तक और उससे भी आगे पूर्वोत्तर तक बढ़ा लिया है। कश्मीर का आतंकवाद, नक्सली िहंसा और पूर्वोत्तर का उग्रवाद इन तीनों ने भारत को बहुत जख्म दिए हैं। आतंकवाद का उन्मूलन किए जाने से भारत को बड़ी राहत मिली है। यह गृहमंत्री की बहुत बड़ी सफलता है।