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दुष्प्रचार कर अल्पसंख्यकों को बरगला रहा है विपक्ष : सुशील मोदी

श्री मोदी ने कहा कि 2003 में राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मनमोहन सिंह ने नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन किया था। संसद में मनमोहन सिंह ने बयान दिया था कि-‘ बंटवारे के बाद बंग्लादेश में अल्पसंख्यकों को प्रताड़ना का शिकार होना पड़ा है

03:03 PM Dec 22, 2019 IST | Desk Team

श्री मोदी ने कहा कि 2003 में राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मनमोहन सिंह ने नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन किया था। संसद में मनमोहन सिंह ने बयान दिया था कि-‘ बंटवारे के बाद बंग्लादेश में अल्पसंख्यकों को प्रताड़ना का शिकार होना पड़ा है

पटना : भाजपा प्रदेश परिषद की बैठक को सम्बोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने नव निर्वाचित प्रदेश अध्यक्ष को बधाई दी और कहा कि नागरिकता संशोधन कानून को लेकर राजद, कांग्रेस व वामपंथी पार्टियां दुष्प्रचार कर राज्य व देश के अलपसंख्यकों के बीच भ्रम फैला रही है। यह कानून किसी धर्म के खिलाफ नहीं है। भाजपा बड़े पैमाने पर जन सम्पर्क अभियान चला कर बुनी जा रही भ्रम जाल को तोड़ेगी। राजद के बंद के दौरान बिहार में बड़े पैमाने पर हिंसा व लूटपाट हुई। नेता प्रतिपक्ष के इशारे पर पत्रकारों के कैमरे तोड़े गए और उन पर हमले हुए। क्या राजद भागलपुर के कार्यकर्ताओं की तरह नेता प्रतिपक्ष पर भी कार्रवाई करेगा और पत्रकारों को इलाज के खर्चें व तोड़े गए कैमरों की क्षति की भरपाई करेगी?
श्री मोदी ने कहा कि 2003 में राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मनमोहन सिंह ने नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन किया था। संसद में मनमोहन सिंह ने बयान दिया था कि-‘ बंटवारे के बाद बंग्लादेश में अल्पसंख्यकों को प्रताड़ना का शिकार होना पड़ा है। यह हमारा नैतिक दायित्व है कि दुर्भाग्यशाली नागरिकों को भारत में शरण लेना पड़ता है तो हमारा दृष्टिकोण इन्हें नागरिकता देने में और लिबरल होना चाहिए।’ अटल जी की सरकार के दौरान नागरिकता संशोधन के लिए बने रुल्स को 3 साल तक मनमोहन सरकार ने कायम रखा।
 
सीपीएम के महासचिव प्रकाश करात ने 2012 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिख कर कहा था कि बंग्लादेश के शरणार्थियों को नागरिकता मिलनी चाहिए क्योंकि उनमें अधिकांश मांझी और अनुसूचित जाति के हैं, तब वह ठीक था और आज जब नरेद्र मोदी की सरकार ने हिन्दुओं के साथ अन्य पांच अल्पसंख्यकों बौद्ध, सिख, ईसाई,जैन और पारसी समुदाय को इस कानून में शामिल कर लिया है तो यह भेदभाव और धार्मिक अन्याय कैसे हो गया?
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