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नागरिकता कानून का विरोध : दिल्ली में आगजनी, हिंसा : पुलिसकर्मी जख्मी, बसों में आग लगाई

नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों का रविवार को पुलिस के साथ संघर्ष हो गया और उन्होंने दक्षिण पूर्व दिल्ली के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में डीटीसी की कई बसों और एक अग्निशमन गाड़ी में आग लगा दी।

02:14 PM Dec 15, 2019 IST | Shera Rajput

नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों का रविवार को पुलिस के साथ संघर्ष हो गया और उन्होंने दक्षिण पूर्व दिल्ली के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में डीटीसी की कई बसों और एक अग्निशमन गाड़ी में आग लगा दी।

नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों का रविवार को पुलिस के साथ संघर्ष हो गया और उन्होंने दक्षिण पूर्व दिल्ली के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में डीटीसी की कई बसों और एक अग्निशमन गाड़ी में आग लगा दी। पुलिस ने बताया कि इस हिंसक प्रदर्शन में एक पुलिसकर्मी और दो दमकलकर्मी जख्मी हो गए। 
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जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों के प्रदर्शन के दौरान समस्या उत्पन्न हुई। हालांकि, छात्रों के समूह ने बयान जारी कर नागरिकता अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा से खुद को अलग किया। छात्रों के समूह ने आरोप लगाया कि प्रदर्शन में ‘‘कुछ तत्व’’ शामिल हो गए और उन्होंने इसे ‘‘बाधित’’ किया। 
प्रदर्शनकारियों ने बसों में आग लगा दी और कम से कम तीन बस पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए और दमकल की एक गाड़ी भी क्षतिग्रस्त हो गई। 
एक प्रत्यक्षदर्शी ने दावा किया कि प्रदर्शनकारियों ने एक मोटरसाइकिल से पेट्रोल निकाला और इसका इस्तेमाल बसों को जलाने के लिए किया। प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले का इस्तेमाल किया जब वे शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे थे। 
दिल्ली अग्निशमन सेवा के एक अधिकारी ने कहा कि घटनास्थल पर दमकल की चार गाड़ियां भेजी गई हैं। प्रदर्शनकारियों की हिंसा में एक दमकल गाड़ी पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई और दो कर्मी जख्मी हो गए। 
जलाई गई बसों से धुएं का गुबार उठता दिखा और दमकलकर्मियों ने उन्हें बुझाने का प्रयास किया। 
इस बीच, दिल्ली पुलिस जामिया मिल्लिया इस्लामिया परिसर में पहुंची है और विश्वविद्यालय के द्वारों को बंद कर दिया है। विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने यह जानकारी दी। 
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि किसी भी तरह की हिंसा अस्वीकार्य है और प्रदर्शन शांतिपूर्ण होना चाहिए। 
दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने हिंसक प्रदर्शनों को देखते हुए रविवार शाम को सुखदेव विहार मेट्रो स्टेशन का प्रवेश एवं निकास द्वार बंद कर दिया। 
डीएमआरसी ने ट्वीट किया, ‘‘दिल्ली पुलिस की सलाह पर सुखदेव विहार के प्रवेश एवं निकास द्वार तथा आश्रम स्टेशन के गेट नंबर 3 को बंद कर दिया गया है। ट्रेन सुखदेव विहार स्टेशन पर नहीं रुकेगी।’’ 
जामिया मिल्लिया इस्लामिया, ओखला विहार, जसोला विहार, शाहीन बाग के प्रवेश एवं निकास द्वार भी बंद कर दिए गए हैं और इन स्टेशनों पर कोई ट्रेन नहीं रुकेगी। 
कांग्रेस से संबद्ध नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय सचिव सिमॉन फारूकी ने दावा किया कि प्रदर्शनकारी शांतिपूर्ण तरीके से मथुरा रोड पर बैठे थे तभी पुलिस ने उनमें से कुछ को ‘‘परेशान’’ करने का प्रयास किया जिसका उन्होंने विरोध किया। 
संघर्ष के कारण इलाके में यातायात बाधित हो गया और सड़कों पर वाहन कई घंटे तक फंसे रहे। 
दिल्ली यातायात पुलिस ने ट्वीट कर कहा कि आंदोलन के कारण ओखला अंडरपास से सरिता विहार तक यातायात बंद रहा। जाम के कारण बदरपुर और आश्रम चौक से आने वाले वाहनों को वैकल्पिक मार्गों की तरफ भेजा गया। 
जामिया टीचर्स एसोसिएशन ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ हिंसा की निंदा की और कहा कि वह दक्षिणी दिल्ली में आगजनी का हिस्सा नहीं है। 
एसोसिएशन ने स्थानीय राजनीतिक नेताओं के नेतृत्व वाले इस तरह के ‘‘दिशाहीन’’ प्रदर्शन से दूर रहने की छात्रों से अपील की। 
एसोसिएशन ने एक बयान में कहा, ‘‘जामिया शांति का संदेश देता है। जेटीए जामिया के निकट या भारत में कहीं पर भी इस तरह की हिंसा की निंदा करता है।’’
 
बयान में कहा गया है कि सोमवार को जेटीए कार्यालय में कार्यकारिणी समिति की एक आपात बैठक बुलाई गई है जिसमें ‘‘विरोध में जामिया के नाम का दुरुपयोग किये जाने पर चर्चा की जायेगी।’’ 
जामिया के छात्र नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। शनिवार की शाम को उन्होंने विश्वविद्यालय में पूर्ण तालाबंदी की अपील की थी और घोषणा की थी कि वे शांतिपूर्ण प्रदर्शन करेंगे। 
जामिया के छात्रों ने आज हुई हिंसा के बाद बयान जारी कर कहा, ‘‘हम बार-बार कहते रहे हैं कि हमारा प्रदर्शन शांतिपूर्ण और अहिंसक है। हम इस रुख पर अड़े हुए हैं और हिंसा में शामिल किसी भी पक्ष की निंदा करते हैं।’’ 
बयान में कहा गया है, ‘‘हमने उस समय भी शांति बनाए रखी जब छात्रों पर लाठीचार्ज किए गए और कुछ महिला प्रदर्शनकारियों को बुरी तरह पीटा गया। मीडियाकर्मी इन घटनाओं के गवाह रहे हैं।’’ 
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