बंगाल, त्रिपुरा बॉर्डर पर घुसपैठ की कोशिश नाकाम, BSF ने 11 बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया
बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद भी जारी हिंसा के बीच वहां के लोग पड़ोसी देश भारत में घुसपैठ की कोशिश कर रहे हैं। इस बीच, सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और मेघालय की सीमाओं से भारत में घुसने की कोशिश करते 11 बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया है। बीएसएफ ने यह जानकारी दी है। पड़ोसी देश बांग्लादेश में चल रहे राजनीतिक संकट के बीच भारत ने बांग्लादेश से लगी सभी सीमाओं पर सुरक्षा अलर्ट जारी किया है।
इससे पहले बीएसएफ ने बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) की मदद से 9 अगस्त को पश्चिम बंगाल के कूचबिहार जिले में बांग्लादेश से लगती सीमा पर घुसपैठ की कोशिश को नाकाम किया था। बीएसएफ के एक प्रवक्ता के अनुसार, बीएसएफ को पश्चिम बंगाल के कूचबिहार में भारत-बांग्लादेश सीमा पर लगभग 1,000 बांग्लादेशी नागरिकों के सीमा पर आने की बात पता चली, जो भारत में शरण लेने के इरादे से सीमा पर आ रहे थे। उन्होंने बताया कि इन लोगों का पता चलने पर बीएसएफ ने तुरंत इन बांग्लादेशी नागरिकों को वापस लेने के लिए बीजीबी से संपर्क किया। इसके बाद दोनों एजेंसियों की ओर से यह सुनिश्चित किया गया कि सीमा पर शांतिपूर्ण तरीके से स्थिति नियंत्रित की जाए।
पीटीआई के मुताबिक बीएसएफ के एक प्रवक्ता ने बताया कि पकड़े गए लोगों से पूछताछ की जा रही है और आगे की कानूनी कार्रवाई के लिए उन्हें राज्य पुलिस को सौंपने की तैयारी की जा रही है। प्रवक्ता ने कहा कि आपसी मुद्दों को सुलझाने के लिए बीएसएफ अपने समकक्ष बीजीबी के साथ नियमित संपर्क में है, खासकर बांग्लादेश में भारतीय नागरिकों और अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों पर अत्याचार की रोकथाम के लिए।
बीएसएफ ने की सुरक्षा समीक्षा बैठक
बीएसएफ के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर ने एक बयान में कहा कि इसके पूर्वी कमान प्रमुख, अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) रवि गांधी ने बांग्लादेश में मौजूदा अशांति और आगामी 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अवसर के बीच 4,096 किलोमीटर लंबी भारत-बांग्लादेश सीमा पर सुरक्षा की समीक्षा के लिए शनिवार को एक परिचालन सम्मेलन की अध्यक्षता की।
अल्पसंख्यकों को बनाया जा रहा निशाना
बता दें कि बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के शपथ ग्रहण के बाद भी हिंसा और प्रदर्शन का दौर जारी है। बांग्लादेश में पिछले एक महीने से आरक्षण के विरोध में छात्र आंदोलन कर रहे थे। देखते ही देखते आंदोलन हिंसक हो गया। आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद भी वहां हिंसा जारी रही। छात्र शेख हसीना से इस्तीफे की मांग पर अड़ गए। हालात इस कदर बिगड़ गए कि शेख हसीना को प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा देकर मुल्क छोड़ना पड़ा। तमाम कोशिशों के बाद भी वहां स्थित बेकाबू है। कट्टरपंथियों द्वारा हिंदू और अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है।