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हमारा संविधान : इन्हें कैसे भूल पाएंगे

यह विश्व के किसी भी देश का सबसे बड़ा हस्तलिखित संविधान था..

09:59 AM Jan 26, 2025 IST | Dr. Chander Trikha

यह विश्व के किसी भी देश का सबसे बड़ा हस्तलिखित संविधान था..

हमारा संविधान   इन्हें कैसे भूल पाएंगे

यह विश्व के किसी भी देश का सबसे बड़ा हस्तलिखित संविधान था। गणतंत्र-दिवस एवं संविधान की चर्चा के बीच उस शख्स की चर्चा भी हो जानी चाहिए, जिसने समूचा भारतीय संविधान अपने हाथ से लिखा और इसके लिए केवल कलमों, पैन व ‘होल्डर’ और ‘निबों’ की लागत के अलावा उसने एक पैसा भी पारिश्रमिक नहीं लिया। इस शख्स रायजादा प्रेमबिहारी नारायण ने कांस्टीच्यूशन हाल (अब कांस्टीच्यूशन क्लब) के एक कमरे में बैठकर ‘कैलिग्राफी’ में हमारे करोड़ों देशवासियों के ‘मुकद्दर’ एवं अधिकारों की इबारत लिखी। इस काम के लिए उसने 303 की निबों वाले पैनों का प्रयोग किया। छह माह का समय लगाया। उसके लिए बरकिंघम से ‘निब’ मंगाए गए थे और कुल 251 पृष्ठों की इबारत ‘कैलिग्राफी’ के माध्यम से उकेरी गई थी।

उसके साथ ही शांति निकेतन से प्रख्यात कलाकार नंदलाल बोस और उसके कला-विषय के मेधावी छात्रों की मदद भी ली गई। उन कलाकरों ने इस जीवंत दस्तावेज के हर पृष्ठ की साज-सज्जा कलात्मक ढंग से प्रस्तुत की। कलाकार नंदलाल बोस को आधुनिक चित्रकला व प्राचीन संस्कृति से जुड़ी इबारत के अनुसार, कला पक्ष उकेरने में पूरी दक्षता हासिल थी। उसने वेदों, महाभारत और रामायण सरीखे प्राचीन ग्रंथों की छवि भी उभारी, साथ ही साथ महात्मा गांधी व नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जीवनवृत्त से जुड़ी कुछ कलात्मक चित्रों/छवियों को भी उभारा। नेताजी, राष्ट्रध्वज को सैल्यूट की मुद्रा में दिखाए गए, जबकि 19वें अनुच्छेद में दांडी-मार्च के भी रेखाचित्र उकेरे गए। टीपू सुल्तान को भी एक पृष्ठ की सज्जा में स्थान मिला और सम्राट अशोक को भी एक महत्वपूर्ण पृष्ठ के कोनों पर चित्रात्मक स्थान दिया गया।

बिहार प्रदेश के मूल वासी और एक ही समय में दो भिन्न-भिन्न विषयों पर अपने दोनों हाथों से दोनों कलमों के द्वारा लिखने वाले डॉ. राजेंद्र प्रसाद भारतीय संविधान सभा के अध्यक्ष थे। महाराष्ट्र प्रदेश के मूल निवासी बैरिस्टर डॉ. भीमराव अम्बेडकर भारतीय संविधान प्रारूप कमेटी के अध्यक्ष थे। भारतीय संविधान के ड्राफ्टमेन डॉ. वीएन राय, हेग स्थित अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश थे और भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी भी रहे। वह भारतीय संविधान निर्माण के संवैधानिक सलाहकार थे। भारतीय संविधान का ड्राफ्ट तैयार करवाने की जिम्मेदारी श्री जवाहर लाल नेहरू ने इन्हीं डॉ. वीएन राय को सौंपी थी। डॉ. वीएन राय ने भारतीय संविधान की प्रस्तावना अमेरिकन संविधान की प्रस्तावना की तर्ज पर ड्राफ्ट की थी। जैसे -अमेरिकन संविधान की प्रस्तावना मेें ‘हम अमेरिका के लोग’ दर्ज हैं, वैसे ही डॉ. वीएन राय ने भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘हम भारत के नागरिक’ के स्थान पर ‘हम भारत के लोग’ दर्ज किया। इस सारे कार्य के लिए सरकार ने डॉ. वीएन राय को 25000 रुपया पारिश्रमिक के रूप में दिया।

भारतीय संविधान को लिखने के लिए हस्तनिर्मित कागज पूना से मंगवाया गया था। उस समय भारतवर्ष में टाइपराइटिंग मशीन नहीं थी। उस समय भारत में श्री प्रेमबिहारी नारायण रायजादा से अधिक योग्य विद्वान एवं स्वविवेकशील कैलीग्राफिस्ट कोई अन्य नहीं था। श्री प्रेमबिहारी नारायण रायजादा ने भारतीय संविधान को हिंदी एवं अंग्रेजी भाषा में लिखने में 303 निब होल्डर कलम और 254 स्याही दवात का इस्तेमाल किया और लेखन कार्य 6 माह में पूरा किया। भारतीय संविधान की ‘मूल प्रति’ के प्रत्येक पेज पर इनके कॉपीराइट के तहत इनका नाम तथा अंतिम पृष्ठ पर इनके नाम के साथ इनके दादाजी का नाम आज भी दर्ज है।

ऐसा ही विलक्षण योगदान चित्रकार नन्दलाल बोस का था जो अजंता गुफाओं के भित्तिचित्रों से बहुत प्रभावित थे। वे शास्त्रीय भारतीय संस्कृति को पुनर्जीवित करने की चाह रखने वाले कलाकारों और लेखकों के एक अंतर्राष्ट्रीय समूह का हिस्सा बन गए थे। यह एक ऐसा समूह था जिसमें पहले से ही ओकाकुरा काकुज़ो, विलियम रोथेनस्टीन, योकोयामा ताइकन, क्रिस्टियाना हेरिंगम, लॉरेंस बिन्योन, अबनिंद्रनाथ टैगोर और लंदन के आधुनिकतावादी मूर्तिकार एरिक गिल और जैकब एपस्टीन शामिल थे।

1930 में नमक पर ब्रिटिश कर का विरोध करने के लिए महात्मा गांधी की गिरफ्तारी के अवसर को चिह्नित करने के लिए, बोस ने गांधीजी की लाठी के साथ चलते हुए एक काले और सफेद लिनोकट प्रिंट बनाया। यह अहिंसक आंदोलन के लिए चर्चित एक प्रतिष्ठित छवि बन गई।

200 साल की गुलामी के बाद भारत दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में सामने कैसे आया? इसकी कहानी बहुत दिलचस्प है। ब्रिटिश हुकूमत के शासन के अंत के साथ ही ये सवाल सबसे बड़ा था कि इतने बड़े देश के शासन की जिम्मेदारी किसे सौंपी जाए। आखिर वो कौन होगा जिसके हवाले पूरा देश होगा। आखिर कांग्रेस में वो कौन-कौन से नेता होंगे जिन्हें अंग्रेज देश चलाने की जिम्मेदारी देंगे। इसी सवाल का जवाब तलाशने के लिए 23 मार्च 1946 को कैबिनेट मिशन का एक दल दिल्ली पहुंचा। इस टीम में पैट्रिक लॉरेंस, सर स्टेपफोर्ड क्रिप्स और एबी एलेंजेंडर शामिल थे। इस दल ने सभी पक्षों से मिलकर बात की और 16 मई 1946 को ये कैबिनेट मिशन इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि भारत की आजादी के बाद अंग्रेज भारत की सत्ता संविधान सभा को सौंप देंगे। इस संविधान सभा में कौन- कौन होगा इसके लिए चुनाव होगा। ये भी तय हुआ कि संविधान सभा में कुल 389 सदस्य होंगे। जिनमें 292 सदस्य प्रांतों से और 93 सदस्य प्रिंसली स्टेट (रियासतों) से होंगे। 25 जून को कैबिनेट मिशन की आम योजना पर सहमति बन गई। इसी कैबिनेट मिशन की सिफारिशों के तहत अंतरिम सरकार का गठन हुआ।

हम जानते हैं कि प्रारूप समिति ने मई 1947 में संविधान सभा के सामने मसौदा पेश किया था। इस ड्राफ्ट में 7500 से ज्यादा संशोधन सुझाए गए, जिनमें से लगभग 2500 को स्वीकार किया गया। संविधान सभा का मसौदा तैयार करने के लिए 7 सदस्यों की ड्राफ्टिंग कमेटी बनाई गई थी। इस ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष डॉ. आंबेडकर थे। वहीं कमेटी के सदस्य कन्हैयालाल मुंशी, मोहम्मद सादुल्लाह, अल्लादि कृष्णस्वामी अय्यर, गोपाल स्वामी अय्यंगार, एन. माधव राव और टीटी कृष्णामचारी थे।

जब संविधान का ड्राफ्ट बनाने की बात आई, तो 7 सदस्यों में से सिर्फ आंबेडकर ही मौजूद थे। इस घटना का जिक्र ड्राफ्टिंग कमेटी के सदस्य टी.टी कृष्णामचारी ने संविधान सभा में किया। टीटी कृष्णामाचारी ने नवंबर 1948 में संविधान सभा में कहा कि ‘मृत्यु, बीमारी और अन्य व्यस्तताओं’ की वजह से कमेटी के ज्यादातर सदस्यों ने मसौदा बनाने में पर्याप्त योगदान नहीं दिया। इसके चलते संविधान तैयार करने का बोझ डॉ. आंबेडकर पर आ पड़ा।

संविधान की सर्वसम्मति से स्वीकृति के मौके पर 25 नवंबर 1949 के उनके जिस ऐतिहासिक भाषण को बार-बार उद्धृत किया जाता है। उसमें उन्होंने कहा था कि जो श्रेय मुझे दिया गया है, इसका वास्तव में मैं ही अधिकारी नहीं हूं। उसके अधिकारी बेनेगल नरसिंह राव भी हैं, जो इस संविधान के संवैधानिक सलाहार हैं और जिन्होंने प्रारूप समित के विचारार्थ मोटे तौर पर संविधान का मसौदा बनाया। आंबेडकर ने करीब 100 दिनों तक संविधान सभा में खड़े होकर संविधान के पूरे ड्राफ्ट को धैर्यपूर्वक समझाया और हर एक सुझाव पर विमर्श किया।

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